सिख विरोधी दंगा: कमलनाथ के खिलाफ याचिका पर एसआईटी को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का मिला समय
Feb 6, 2024, 19:50 IST
नई दिल्ली, 6 फरवरी दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में कथित भूमिका के लिए कांग्रेस नेता कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर एसआईटी को अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का समय दे दिया है। जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को करने का आदेश दिया।
भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने याचिका दाखिल की है। मामला 03 नवंबर 1984 का है। कमलनाथ पर आरोप है कि वे दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज पर हमला कर रही भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे। गुरुद्वारा रकाबगंज पर हुए हमले में दो सिखों को जिंदा जला दिया गया था। याचिका में सिरसा ने मांग की है कि कमलनाथ के खिलाफ दर्ज एफआईआर में एसआईटी कार्रवाई करे। गुरुद्वारा रकाबगंज पर हमला मामले में कमलनाथ के खिलाफ दिल्ली के संसद मार्ग थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर में पांच लोगों को आरोपित बनाया गया है जो कमलनाथ के घर में छिपे थे।
संसद मार्ग थाने में दर्ज एफआईआर में नामित सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया और कमलनाथ के नाम का एफआईआर में कभी उल्लेख नहीं किया गया। एसआईटी ने 2019 में सिख विरोधी दंगों के उन मामलों को दोबारा खोलने का फैसला किया था जिनमें या तो दोषी बरी कर दिए गए थे या ट्रायल बंद कर दिया गया था। एसआईटी के इस फैसले के बाद सिरसा ने कमलनाथ को भी बतौर आरोपित बनाकर मुकदमा चलाने की मांग की है।
भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने याचिका दाखिल की है। मामला 03 नवंबर 1984 का है। कमलनाथ पर आरोप है कि वे दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज पर हमला कर रही भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे। गुरुद्वारा रकाबगंज पर हुए हमले में दो सिखों को जिंदा जला दिया गया था। याचिका में सिरसा ने मांग की है कि कमलनाथ के खिलाफ दर्ज एफआईआर में एसआईटी कार्रवाई करे। गुरुद्वारा रकाबगंज पर हमला मामले में कमलनाथ के खिलाफ दिल्ली के संसद मार्ग थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर में पांच लोगों को आरोपित बनाया गया है जो कमलनाथ के घर में छिपे थे।
संसद मार्ग थाने में दर्ज एफआईआर में नामित सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया और कमलनाथ के नाम का एफआईआर में कभी उल्लेख नहीं किया गया। एसआईटी ने 2019 में सिख विरोधी दंगों के उन मामलों को दोबारा खोलने का फैसला किया था जिनमें या तो दोषी बरी कर दिए गए थे या ट्रायल बंद कर दिया गया था। एसआईटी के इस फैसले के बाद सिरसा ने कमलनाथ को भी बतौर आरोपित बनाकर मुकदमा चलाने की मांग की है।