नेपाल से विदेश का हवाई सफर महंगा, स्थानीय पर्यटकों और श्रमिकों की भारतीय एयरपोर्ट पर भीड़
Jan 5, 2025, 13:20 IST
काठमांडू, 05 जनवरी नेपाल में अंतरराष्ट्रीय हवाई किराया अत्यधिक अधिक होने के कारण पर्यटक और श्रमिक के रूप में तीसरे देशों में जाने वाले नेपाली नागरिक आजकल भारत के विभिन्न विमानस्थलों का प्रयोग करने को बाध्य हैं। नेपाल से तीसरे देश में पर्यटकों को भेजने वाली विभिन्न ट्रैवल एजेंसियां और श्रमिकों को भेजने वाली मैनपावर कंपनियां अपने ग्राहकों को पहले भारत और फिर वहां से हवाई मार्गों के जरिए से उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचा रही हैं।
काठमांडू-यूएई का एक तरफ का हवाई किराया इस समय नेपाली करेंसी में 55 हजार से 75 हजार रुपये तक है। नेपाली सीमा से सबसे करीब पश्चिम बंगाल के बागडोगरा विमानस्थल से यूएई का किराया नेपाली करेंसी में सिर्फ 35 से 40 हजार के बीच ही है। यानी काठमांडू-यूएई की तुलना में बागडोगरा-यूएई का हवाई किराया करीब 20 से 35 हजार रुपये सस्ता है।
काठमांडू से कतर के दोहा तक जाने में 80,000 नेपाली रुपये से अधिक का खर्च आता है। भारत के बागडोगरा से यह खर्च केवल 50,000 रुपये आता है। काठमांडू से बैंकाक का किराया 35 हजार से 40 हजार रुपये के बीच है। दिल्ली से बैंकाक का किराया महज 16 से 20 हजार रुपये के बीच है।
एक ट्रैवल एजेंसी के अनुसार, भारत से बैंकाक, मलेशिया, मॉरीशस, सऊदी अरब, कतर, लेबनान, ओमान और बहरीन सहित खाड़ी देशों में जाना सस्ता है। नेपाल की तुलना में बागडोगरा हो या दिल्ली, इन देशों में जाने पर हवाई किराया 12 से 35 हजार रुपये सस्ता है। नेपाल से निकटतम भारतीय हवाई अड्डा पश्चिम बंगाल का बागडोगरा है। इस एयरपोर्ट पर नेपाली कामगारों की काफी आवाजाही रहती है। काठमांडू में स्थित मैनपावर ऑपरेटर संजय सुबेदी ने कहा कि पिछले तीन महीने में सिर्फ बागडोगरा एयरपोर्ट से हफ्ते में लगभग 200 श्रमिकों को खाड़ी देशों में भेजा गया।
इसके अलावा भारतीय एयरपोर्ट का उपयोग करने के पीछे का प्रमुख कारण अब बिना नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) के यात्रा की अनुमति देना भी है। पहले किसी भी नेपाली नागरिकों को भारतीय एयरपोर्ट का प्रयोग कर तीसरे देश की उड़ान भरने के लिए नेपाली दूतावास से एनओसी लेना आवश्यक होता था। नेपाल सरकार ने तीन पहले पहले इसकी अनिवार्यता को समाप्त कर दिया था।
नेपाल फॉरेन एम्प्लॉयमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र भंडारी के मुताबिक, किराया अधिक होने के कारण पर्यटक और मजदूर भारतीय रास्ते से खाड़ी देशों में जाना अधिक पसंद कर रहे हैं। जब तक नेपाल सरकार हवाई टिकट के महंगे मूल्य को नियंत्रित नहीं करती तब तक लोग नेपाल छोड़ कर भारतीय एयरपोर्ट से विदेश जाते रहेंगे। भंडारी का अनुमान है कि पिछले तीन महीनों में कम से कम 15,000 नेपाली श्रमिकों ने विदेशी रोजगार के लिए भारतीय हवाई अड्डों का उपयोग किया है। वर्तमान में भी हर दिन 1,500 नेपाली रोजगार के लिए विदेश जा रहे हैं।
काठमांडू-यूएई का एक तरफ का हवाई किराया इस समय नेपाली करेंसी में 55 हजार से 75 हजार रुपये तक है। नेपाली सीमा से सबसे करीब पश्चिम बंगाल के बागडोगरा विमानस्थल से यूएई का किराया नेपाली करेंसी में सिर्फ 35 से 40 हजार के बीच ही है। यानी काठमांडू-यूएई की तुलना में बागडोगरा-यूएई का हवाई किराया करीब 20 से 35 हजार रुपये सस्ता है।
काठमांडू से कतर के दोहा तक जाने में 80,000 नेपाली रुपये से अधिक का खर्च आता है। भारत के बागडोगरा से यह खर्च केवल 50,000 रुपये आता है। काठमांडू से बैंकाक का किराया 35 हजार से 40 हजार रुपये के बीच है। दिल्ली से बैंकाक का किराया महज 16 से 20 हजार रुपये के बीच है।
एक ट्रैवल एजेंसी के अनुसार, भारत से बैंकाक, मलेशिया, मॉरीशस, सऊदी अरब, कतर, लेबनान, ओमान और बहरीन सहित खाड़ी देशों में जाना सस्ता है। नेपाल की तुलना में बागडोगरा हो या दिल्ली, इन देशों में जाने पर हवाई किराया 12 से 35 हजार रुपये सस्ता है। नेपाल से निकटतम भारतीय हवाई अड्डा पश्चिम बंगाल का बागडोगरा है। इस एयरपोर्ट पर नेपाली कामगारों की काफी आवाजाही रहती है। काठमांडू में स्थित मैनपावर ऑपरेटर संजय सुबेदी ने कहा कि पिछले तीन महीने में सिर्फ बागडोगरा एयरपोर्ट से हफ्ते में लगभग 200 श्रमिकों को खाड़ी देशों में भेजा गया।
इसके अलावा भारतीय एयरपोर्ट का उपयोग करने के पीछे का प्रमुख कारण अब बिना नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) के यात्रा की अनुमति देना भी है। पहले किसी भी नेपाली नागरिकों को भारतीय एयरपोर्ट का प्रयोग कर तीसरे देश की उड़ान भरने के लिए नेपाली दूतावास से एनओसी लेना आवश्यक होता था। नेपाल सरकार ने तीन पहले पहले इसकी अनिवार्यता को समाप्त कर दिया था।
नेपाल फॉरेन एम्प्लॉयमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र भंडारी के मुताबिक, किराया अधिक होने के कारण पर्यटक और मजदूर भारतीय रास्ते से खाड़ी देशों में जाना अधिक पसंद कर रहे हैं। जब तक नेपाल सरकार हवाई टिकट के महंगे मूल्य को नियंत्रित नहीं करती तब तक लोग नेपाल छोड़ कर भारतीय एयरपोर्ट से विदेश जाते रहेंगे। भंडारी का अनुमान है कि पिछले तीन महीनों में कम से कम 15,000 नेपाली श्रमिकों ने विदेशी रोजगार के लिए भारतीय हवाई अड्डों का उपयोग किया है। वर्तमान में भी हर दिन 1,500 नेपाली रोजगार के लिए विदेश जा रहे हैं।