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भोपाल में 'थिंक-20' बैठक शुरू, मुख्यमंत्री शिवराज ने किया शुभारम्भ

केवल बैठक में मत रहना, घूमना-फिरना और मप्र की वाइल्डलाइफ देखकर जानाः शिवराज 
 
भोपाल में 'थिंक-20' बैठक शुरू, मुख्यमंत्री शिवराज ने किया शुभारम्भ 

भोपाल, 16 जनवरी। जी-20 के अंतर्गत थिंक-20 की दो दिवसीय बैठक सोमवार को राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में शुरू हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक का शुभारम्भ किया। इस मौके पर 22 देशों से आए 94 मेहमानों समेत 300 सदस्य मौजूद रहे।

शुभारम्भ सत्र में मुख्यमंत्री चौहान ने मेहमानों से कहा कि केवल बैठक में मत रहना, घूमना-फिरना और भोपाल और आसपास ट्राइबल म्यूजियम, सांची, भीमबेटका घूमना। समय हो तो उज्जैन में महाकाल लोक, ओंकारेश्वर भी जाएं। मप्र में 11 टाइगर सेंक्चुरी हैं। मप्र की वाइल्डलाइफ देखकर जाइए। मुख्यमंत्री ने भारतीय विचार 'वसुधैव कुटुम्बकम' का जिक्र करते हुए कहा कि यही विचार दुनिया को शांति की ओर ले जा सकता है। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि जी-20 ही क्यों? सारे देश एक साथ आएं। ऐसा फोरम बने, जिस पर दुनिया के सारे देश एक साथ खड़े हों। उन्होंने कहा कि भारत मेहमानों को भगवान मानता है। अतिथि देवो भव: भारत की परम्परा है। मेहमान जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है।

उन्होंने कहा कि इस बैठक में हम चिंतन-मनन करेंगे, इससे जो अमृत निकलेगा, वो दुनिया के काम आएगा। इस बार जी-20 की थीम 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' है। ये भारत का बहुत प्राचीन विचार है। दुनिया में हमने एक नहीं, दो विश्वयुद्ध देखे। आज भी शांति नहीं है। संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के बाद भी शांति नहीं है। भारत का बहुत पुराना विचार है- अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥ (यह मेरा है, वह पराया है, ऐसे विचार छोटे व्यक्ति करते हैं। उच्च चरित्र वाले लोग समस्त संसार को ही परिवार मानते हैं।) ये विचार दुनिया को शांति की तरफ ले जा सकता है। ये धरती भगवान ने सबके लिए बनाई है। इस धरती पर हमने अलग-अलग चैंबर तो बना लिए, ये मेरा देश है, ये आपका देश है, लेकिन हम सब एक ही चेतना के अलग-अलग अंग हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि -हमारे यहां कहते हैं सियाराम मय सब जग जानी। एक ही चेतना मनुष्य मात्र में है। ये आगे बढ़ी तो भारत ने कहा कि प्राणियों में भी यही चेतना है। इसलिए हम गाय की पूजा करते हैं। यही चेतना हमने पेड़ों, पहाड़ों में मानी, इसलिए हम पेड़ों-पर्वतों की पूजा करते हैं। जब हमारे यहां कोई धार्मिक कार्यक्रम होता है, तो हम दुनिया के कल्याण की कामना करते हैं। सारे थिंकर्स यहां आए हैं। मैं किसी विषय का विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन मैं सभी थिंक टेंकर्स से अनुरोध करता हूं कि हम मिलकर विचार करें। प्राकृतिक संसाधनों का हम सबने अंधाधुंध शोषण किया है। भौतिक प्रगति की चाह में प्रकृति का अंधाधुंध शोषण किया और आज हम कह रहे हैं कि पर्यावरण कैसे बचाएं। सबको सोचना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को लाइफ का कॉन्सेप्ट दिया। ये सदी हमें धरती को समर्पित करना चाहिए- ग्रीन जीडीपी यानी प्रगति प्रकृति के साथ। छोटी-छोटी चीजों से मप्र कैसे प्रकृति को बचाने का काम करेगा? ये मैं बता रहा हूं। पर्यावरण अगर बचाना है, तो भाषण से नहीं होगा। हमें खुद काम करना होगा, इसलिए मैं रोज दिन की शुरुआत करने से पहले एक पेड़ लगाता हूं। एक साल से कम हुआ है और अंकुर पोर्टल पर साढे़ आठ लाख लोगों ने पेड़ लगाकर फोटो अपलोड किए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर है। भोपाल भारत की सबसे स्वच्छ राजधानी है। ये सब जनता के सहयोग से संभव हुआ है। मैं खुद दर्शन का छात्र रहा हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने जो मंत्र दिया है, ये पृथ्वी हम सबके लिए है, यानी वन अर्थ। ये विश्व एक परिवार है। हमारे यहां एक जमाने में चीते खत्म हो गए थे। प्रधानमंत्री नामीबिया से चीते ले आए। हम चीता, टाइगर और क्रोकोडाइल स्टेट हैं। अब हम गिद्धों को बचाने का अभियान चला रहे हैं। प्रकृति में इनका योगदान है।