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10 आरोपितों को संदेह का लाभ, बरी करने का आदेश​​​​​​​

 
  10 आरोपितों को संदेह का लाभ, बरी करने का आदेश​​​​​​​
नई दिल्ली, 13 सितंबर  दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने शुक्रवार को 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों से जुड़े दो मामलों में 10 लोगों को बरी कर दिया है। एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने मामले में आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने दोनों मामलों में जिन आरोपितों को बरी करने का आदेश दिया उनमें मोहम्मद शाहनवाज उर्फ शानू, मोहम्मद शोएब ऊर्फ छुटवा, शाहरुख, राशिद उर्फ राजा, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैसल, राशिद ऊर्फ मोनू और मोहम्मद ताहित शामिल हैं। दोनों ही मामले गोकलपुरी थाने के हैं। इन आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 436, 454, 392, 452, 188, 153ए, 427 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
एफआईआर नंबर 140/2020 में शिकायतकर्ता सतीश कुमार ने 1 मार्च 2020 को थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि 24 फरवरी को करीब ढाई बजे एक से डेढ़ हजार दंगाइयों की भीड़ उसके बृजपुरी स्थित तीनमंजिला मकान में घुसे। ये सभी हथियारों से लैस थे। इन लोगों ने उसके मकान में स्थित मोबाइल की दुकान में लूटपाट और तोड़फोड़ की। करीब चार-साढ़े चार बजे 50-60 की संख्या में फिर एक भीड़ आई और धमकी दी कि तुरंत घर छोड़ कर जाओ वरना जिंदा जला दिए जाओगे। भीड़ ने करीब 20 तोला सोने और करीब ढाई सौ ग्राम चांदी के जेवर और डेढ़ लाख रुपये नकदी लूट लिए। भीड़ ने उनके घर में आग लगा दी जिससे कई फर्नीचर, वाशिंग मशीन, गैस सिलेंडर इत्यादि जल गए।
एफआईआर नंबर 142 में शिकायतकर्ता नरेंद्र कुमार ने ऐसी ही शिकायत दी। नरेंद्र कुमार की शिकायत में कहा गया था कि उनके बृजपुरी रोड स्थित घर के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित पिजा डायट की दुकान पर 24 फरवरी को करीब ढाई बजे एक से डेढ़ हजार दंगाइयों की भीड़ घुसी। ये सभी हथियारों से लैस थे। करीब 3 बज कर 45 मिनट पर 50-60 की संख्या में फिर दंगाइयों की भीड़ आई और मकान के ऊपरी हिस्से में घुस गई। दंगाइयों ने नरेन्द्र कुमार के परिवार को धमकी देते हुए घर खाली करने को कहा और ऐसा न करने पर मार डालने की धमकी दी। उसके बाद दंगाइयों ने उसके घर से 15 तोला सोना, आधा किलो चांदी के जेवर और दो लाख रुपये कैश लूट कर ले गए। दंगाइयों ने नरेंद्र के घर के फर्नीचर और दूसरे सामानों में आग लगा दी।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2020 में हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दो सौ के करीब लोग घायल हुए थे।