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शहीदों का तीर्थ अंडेमान निकोबार-30

अंडेमान निकोबार द्वीप समूह मिनी भारत

लेखक : सुरेन्द्र भाटिया

 
शहीदों का तीर्थ अंडेमान निकोबार-30

भारत के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा वर्ष १९९५ में आरंभ किए गए द्वीप महोत्सव का साक्षी बनने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं व मेरे तीन सहयोगी इस समारोह में भाग लेने के लिए पोर्ट ब्लेयर गए। इस यात्रा की वापसी पर एक यात्रा संस्मरण की लड़ी का लेखन मेरे द्वारा किया गया जिसे भारत सरकार के हिंदी निर्देशालय के सहयोग से एक पुस्तक का रुप दिया गया। अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह -देश की मुख्य भूमि से 1200 कि.मी. दूर अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में कुल 572 द्वीप हैं, जिनमें आबादी केवल 38 द्वीपों में ही है। अपने शानदार इतिहास और प्राकृति के बेशकीमती खजाने की बदोलत अण्डमान हमारे दिलों के बहुत करीब है। एक ओर लाखों साल पुराने आदि मानव की सजीव झांकी के समकक्ष होने का रोमांच तो दूसरी ओर नई दिल्ली के गणतंत्र दिवस उत्सव जैसे 'द्वीप समारोहÓ का उल्लास लेखक ने एक साथ अतीत और वर्तमान को हमारे सामने ला खड़ा किया है। कुछ जनजातियां आज भी सभ्यता से कटी हुई, घासफूस की झोंपडयि़ों में निर्वस्त्र रहते हुए शिकार और वनस्पति के सहारे जीवन व्यतीत कर रही हैं। कल का 'काला पानीÓ आज शहीदों के तीर्थ स्थल के रूप में हमारा प्रेरणास्रोत है। नवनिर्माण के कार्य में लगे वहां के मूल निवासी तथा अन्य राज्यों से आए लोग मिली-जुली संस्कृति का अनोखा उदाहरण है। दैनिक पल-पल के पाठकों की मांग पर इस पुस्तक को लड़ी वार प्रकाशित किया जा रहा है। 

पोर्ट ब्लेयर में द्वीप महोत्सव-1

अण्डेमान निकोबार द्वीप समूह प्रशासन द्वारा इस द्वीप समूह में पर्यटन के विकास के लिए, पिछले तीन वर्षों में बहुत अधिक कार्य हुआ है। पर्यटन विकास की कड़ी में 1994 से हर वर्ष द्वीप महोत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया गया। 1995 के फरवरी माह में जिन दिनों लेखक पोर्ट ब्लेयर था उन्हीं दिनों भारत के राष्ट्रपति डा० शंकर दयाल शर्मा द्वीप महोत्सव का उद्घाटन करके विशेष रूप से अण्डेमान गए। द्वीप महोत्सव का उद्घाटन 16 फरवरी 1995 को भारत के राष्ट्रपति महामहिम डा० शंकर दयाल शर्मा ने करना था। राष्ट्रपति महोदय 15 फरवरी को दोपहर बाद द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर पहुंचे। राष्ट्रपति डा० शंकर दयाल शर्मा के स्वागत में अण्डेमान प्रशासन द्वारा पोर्ट ब्लेयर में सैकड़ो की संख्या में सुन्दर स्वागत द्वार बनाये गये थे तथा पूरी राजधानी को सुव्यवस्थित ढंग से छोटे-छोटे बल्बों की लड़ियों से सजाया गया था ।

15 फरवरी को राष्ट्रपति पोर्ट ब्लेयर पहुंचने पर सबसे पहले सैल्युलर जेल गये तथा स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। शाम को पोर्ट ब्लेयर की उत्तर दिशा में समुद्र तट के नजदीक बने नेता जी सुभाष स्टेडियम में पोर्ट ब्लेयर के नागरिकों को संबोधित किया। प्रशासन द्वारा सुरक्षा कारणों से, इस जनसभा के लिए निमंत्रण पत्र बांटे गये थे तथा नेताजी स्टेडियम में केवल आमंत्रित लोगों को ही जाने दिया गया। राष्ट्रपति महोदय ने अपना संबोधन जेल से आरंभ किया तथा उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हुए 9 अगस्त 1937 को पं० जवाहर लाल नेहरू द्वारा अपने भाषण में बंबई में अण्डेमान के संबंध में कहे शब्दों का उल्लेख किया जिससमें पं० जवाहर लाल नेहरू ने कहा था, "अण्डेमान के कैदियों का सवाल पूरे मुल्क को लम्बे समय से उद्वेलित करता रहा है। ...अण्डेमान के कैदियों का सवाल केवल बंगाल प्रान्त को ही प्रभावित नहीं कर रहा है। इसलिए यह फैसला किया गया है कि हर साल 14 अगस्त को अण्डेमान दिवस मनाया जाएगा और मुझे पूरा यकीन है कि इस दिन को मनाने के लिए हर कोई आएगा ।

उन्होंने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जो विजयी सेनापति के रूप में 29 दिसंबर 1943 को इस द्वीप समूह में आए थे, का स्मरण करते हुए वतंत्रता का प्रवेश द्वार की संज्ञा दी क्योंकि सबसे पूर्व इसी स्थान पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजादी का तिरंगा फहराया था। अण्डेमान निकोबार द्वीप समूह को लघु भारत कहते हुए उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि यहां विभिन्न जातियों के लोग, बिना किसी भेदभाव के, एक परिवार के समान मिलजुल कर रहते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि एक समय का काला पानी आज “हरियाले द्वीप” के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है। इस द्वीप समूह में पर्यटन को बढ़ावा देने का संकेत करते हुए उन्होंने आर्थिक विकास को संतुलित ढंग से विकसित करने पर बल दिया। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा “अण्डेमान द्वीप हमारे देश की आजादी की आकांक्षा का ज्योति स्तंभ रहा है। मैं विश्वास करता हूं कि यहां के लोग अपनी मेहनत, अपने सद्भाव और अपने व्यवहार के द्वारा राष्ट्र के पुर्ननिर्माण के लिए भी एक ज्योति स्तंभ सिद्ध होंगे और हमारे देश के लोगों के सामने हमेशा एक मिली-जुली संस्कृति का अनोखा उदाहरण प्रस्तुत करते रहेंगे।”

15 फरवरी की शाम को राष्ट्रपति डा० शंकर दयाल शर्मा के लिए सैल्युलर जेल में प्रकाश व ध्वनि (लाईट एण्ड साउंड) का एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें उन्होंने विशेष रूचि ली।16 फरवरी को द्वीप महोत्सव का उद्घाटन करने से पूर्व राष्ट्रपति डा० शंकर दयाल शर्मा ने आई.एन.एस. उत्क्रोश में रक्षा कर्मियों को संबोधित किया तथा रक्षा बलों से राष्ट्र की समुद्री स्रोतों, तटीय प्रतिष्ठानों की रक्षा का दायित्व संभालने का आह्वान किया। उन्होंने अण्डेमान निकोबार द्वीप समूह की समुद्री सीमा में विदेशियों द्वारा अवैध रूप से घुसपैठ किए जाने की घटनाओं में कमी आने पर सुरक्षा बलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में हमारे बलों ने विकास व शांति कायम रखने में योगदान दिया है। उन्होंने सेना को सफलता की पूंजी बताया। 16 फरवरी को पोर्ट ब्लेयर की सभी सड़कें जैसे पुलिस मैदान की ओर जा रही थीं, पोर्ट ब्लेयर के सभी वर्गों के लोग रंग बिरंगी पोशाकों में पुलिस मैदान में एकत्रित हो रहे थे जहां द्वीप महोत्सव आरंभ होने वाला था।