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सिरसा का इतिहास : प्राचीन एवं आधुनिक सिरसा-19

लेखक एवं संकलन सुरेन्द्र भाटिया व डॉ. रविन्द्र पुरी
 
सिरसा का इतिहास : प्राचीन एवं आधुनिक सिरसा-19

इतिहास समाज को संस्कृति व विकास की जानकारी देता है 

सिरसा नगर एक ऐतिहासिक नगर है। इतिहासकारों द्वारा समय-समय पर सिरसा के इतिहास के संबंधित अनेक दस्तावेजों को लिखा गया मगर सिरसा के इतिहास के संबंध में एक राय नहीं है कि यह नगर कब व किसने बसाया मगर अनेक इतिहासकारों का मानना है कि ईसा से १३०० वर्ष पूर्व राजा सरस ने सिरसा नगर की स्थापना की। कुछ लोगों का मानना है कि सरस्वती के किनारे होने के कारण इस नगर का नाम सिरसा रखा गया वहीं अनेक लोग बाबा सरसाईंनाथ की नगरी के रुप में सिरसा को जानते हैं मगर प्राचीन नगर के संबंध में अनेक मान्यताएं होने के बावजूद वर्तमान नगर १८३८ में अंग्रेज अधिकारी थोरबाये द्वारा बसाया गया तथा यह नगर जयपुर के नक्शे पर अंग्रेज अधिकारी द्वारा ८ चौपट 16 बाजार के स्थान पर ४ चौपट 8 बाजार स्थापित किए गए। सिरसा के इतिहास से जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर पल पल के संपादक सुरेन्द्र भाटिया व मनोविज्ञानी डॉ. रविन्द्र पुरी द्वारा वर्ष २०१६ में प्राचीन एवं आधुनिक सिरसा नामक एक पुस्तक का लेखन किया गया। इस पुस्तक का विमोचन हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल १३ फरवरी २०१६ को चंडीगढ़ में किया गया। पुस्तक की प्रस्तावना नागरिक परिषद के अध्यक्ष व उस समय मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार श्री जगदीश चोपड़ा द्वारा लिखी गई। इसके अतिरिक्त पूर्व मंत्री स्व. श्री जगदीश नेहरा द्वारा सिरसा तब व अब नामक एक लेख इस पुस्तक में शामिल किया गया। उनके अतिरिक्त नामधारी इतिहासकार चिंतक श्री स्वर्ण सिंह विर्क का एक लेख भी पुस्तक में प्रकाशित किया गया। प्रस्तुत है इस पुस्तक के विभिन्न अध्यायों को क्रमवार प्रकाशित किया जा रहा है।

सिरसा के इतिहास में सामाजिक संस्थाओं का योगदान

सिरसा नगर के इतिहास के साथ साथ सामाजिक संस्थाओं ने भी समाज के विभिन्न अंगों को दुरुस्त करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है। सिरसा के लोग धर्मप्रेमी होने के साथ साथ समाज को अपने साथ जोड़कर चलने वाले हैं। जिसके कारण आज सिरसा के विकास में सामाजिक संस्थाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं सिरसा नगर का इतिहास इन संस्थाओं के बिना अधूरा है। नगर में विभिन्न क्षेत्रों जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, विकलांगता, रक्तदान, लंगर आदि शामिल हैं, सामाजिक संस्थाओं ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिरसा नगर की स्थापना के 175 वर्षों के इतिहास को अगर देखा जाए तो उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार गत 150 वर्षों से सिरसा के लोग विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं व पिछले कुछ समय से आधुनिकता व भौतिकवाद के बावजूद सामाजिक संस्थाओं की संख्या व कार्यक्षेत्र में वृद्धि हुई है। जहां सबसे प्राचीन सामाजिक संस्थाओं में सिरसा के दो पुस्तकालय व सिरसा की गौशाला प्रमुख है वहीं शिक्षा के क्षेत्र में आर्य समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सिरसा में सबसे पहला आंखों का अस्पताल सेठ नंदलाल गनेरीवाला ने अपने पिता सेठ रामदत्त के नाम पर सिरसा की गऊशाला रोड पर बनवाया जो अभी तक कार्यरत है। सिरसा में असहाय व दु:खी लोगों की सहायतार्थ स्व. बाबू रामेश्वर दास एडवोकेट ने 1930 में अपाहिज आश्रम की स्थापना की। उसके अतिरिक्त जनता अस्पताल, बाबा बिहारी नेत्रालय, सिकंदरपुर स्थित महाराज चरण सिंह अस्पताल, शिव शक्ति रक्त बैंक का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। विकलांगता के क्षेत्र में दिशा व भाई कन्हैया आश्रम, वरिष्ठ नागरिकों के लिए कस्तूरबा गांधी वृद्धाश्रम प्रमुख सामाजिक संस्थाएं हैं। इसके अतिरिक्त अनेक धार्मिक संस्थान जिसमें लंगर समिति, सनातन धर्म सभा, बिश्नोई मंदिर, अग्रवाल सभा, जैन सभा, ब्राह्मण सभा, कुम्हार सभा, सैनी सभा, गुर्जर सभा, श्री रामदेव सभा, वाल्मीकि समाज, कंबोज सभा सराहनीय कार्य कर रही हैं।

श्री गौशाला व चौ. देवीलाल गौशाला

सिरसा नगर में दो गौशालाएं गौवंश के संरक्षण के लिए कार्यरत है जिनमें सबसे बड़ी व प्राचीन गौशला श्री गौशाला की स्थापना 1891 में हुई। इस गौशाला में वर्ष 2015 में 2200 से अधिक गौवंश को सुविधाएं दी जा रही हैं। इस गौशाला को आरंभ करने में श्री उत्तम चंद मोहंता ने अनेक वर्षों तक परिश्रम किया। वर्तमान में इसके अध्यक्ष राजेंद्र रातुसरिया हैं, मगर सिरसा के वयोवृद्ध अधिवक्ता बाबू राम गोयल लगभग 25 वर्षों तक इसके अध्यक्ष रहे तथा उन्हीं की अध्यक्षता में इस गौशाला ने इतनी अधिक गौवंश के भरण पोषण के लिए प्रबंध करवाए। श्री गौशाला के अतिरिक्त वर्ष 2000 से चौ. देवीलाल गौशाला भी कार्यरत है। इस गौशाला में लगभग 1000 गौवंश का भरण पोषण किया जा रहा है।

कस्तूरबा गांधी वृद्धाश्रम

सिरसा नगर की हिसार रोड पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए कस्तूरबा गांधी वृद्धाश्रम में वरिष्ठ नागरिकों को सेवाएं दी जा रही हैं। 1994 में डा. आरएस सांगवान के निवास स्थान पर दि सिरसा सोशल वेल्फेयर सोसायटी का गठन किया गया। इस संस्था के गठन का प्रयास विद्यालय की उस समय की प्राचार्या श्रीमती गीता कथूरिया के प्रयासों से किया गया। जिसमें पल पल के संपादक सुरेंद्र भाटिया, प्रवीण बागला, वरिष्ठ अधिवक्ता कुलवंत राय जिंदल, डा. जे एल खुराना व डा. एमएम तलवाड़ शामिल थे। बाद में इस संस्था ने उस समय की केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा द्वारा प्रेरित करने पर कस्तूरबा गांधी वृद्धाश्रम बनाने का निर्णय लिया। इस वृद्धाश्रम का शुभारंभ 2 अक्तूबर 2006 को पूर्व मंत्री लछमण दास अरोड़ा व उस समय के उपायुक्त वी. उमाशंकर ने किया। इस वृद्धाश्रम में 25 वृद्धों को रखने की क्षमता है

दिशा

नगर की हिसार रोड पर विकलांग बच्चों विशेषकर मंदबुद्धि बच्चों के लिए दिशा नामक संस्था सेवारत है। इस संस्था का गठन श्रीमती गीता कथूरिया व यश कथूरिया के प्रयासों से 14 जनवरी 1998 को नगर के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र भाटिया, ए.सी. गाड़ी, चंद्रशेखर मेहता, गुलशन ग्रोवर व हरबंस नारंग जैसे समाजसेवियों ने किया। जुलाई 1998 में दिशा द्वारा नगर के सुप्रसिद्ध सेठ स्व. नंदलाल गनेरीवाला द्वारा उपलब्ध करवाए गए अस्थाई भवन में विकलांग बच्चों के लिए विशेष विद्यालय आरंभ किया गया। 1999 में नई दिल्ली के सेठ ए.के. गुप्ता द्वारा दी गई मदद से हिसार रोड पर लगभग 3000 हजार गज भूमि खरीदी गई तथा 23 जनवरी 1999 को स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने इस संस्था के निर्माण का शुभारंभ किया। 1998 से कार्यरत इस संस्था में अब तक एक हजार से अधिक विशेष बच्चें विशेष शिक्षा व विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। श्रीमती गीता कथूरिया ने, जिनकी बेटी मानसिक विकलांग हैं, ने अपना जीवन इस कार्यक्षेत्र में समर्पित किया तथा उनकी देखरेख व सुरेंद्र भाटिया व अन्य सदस्यों के योगदान से यह संस्था कार्यरत है।

श्री युवक समिति पुस्कालय-सिरसा

इस संस्था की स्थापना नगर के कुछ देशभक्त युवकों, जिनमें पंडित शिव कुमार वैद्य, मास्टर भगवान दास गुप्ता, श्री तिलोक चन्द, श्री फूलचन्द कन्दोई, मनसाराम महीपाल तथा श्री देवी चन्द पंसारी आदि ने प्रथम सितम्बर सन् 1927 ई को की थी। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य था नगर के नवयुवकों में पुस्तकों तथा पत्र पत्रिकाओं द्वारा देशभक्ति तथा समाज सेवा की भावना जागृत करना। इस सम्बंध में इतना ही कहना उचित होगा कि सचमुच ही इस संस्था ने स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय योगदान दिया। इस समय पुस्तकालय में लगभग 7000 पुस्तकें हैं तथा बहुत सारे दैनिक पत्र तथा पत्रिकाएं आती हैं।

श्री बाल अमर समिति पुस्तकालय

इस संस्था की स्थापना सन् 1932 ई. में नगर के प्रसिद्ध देशभक्त व समाजसेवी कार्यकर्ता स्व. श्री चानणमल कटलीवाला तथा श्री हरनारायण गुप्ता, आदि ने बालक-बालिकाओं में देश भक्ति व समाजसेवा की भावना जागृत करने हेतू की थी। इस संस्था का अपना दो मंजिला सुन्दर भवन है। इसमें लगभग 10000 पुस्तकें है तथा बहुत से दैनिक पत्र व पत्रिकाएं आती है।

श्री रामपरमुश्वर युवक समिति पुस्तकालय

यह पुस्तकालय आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण, विशाल सुन्दर भवन सुव्यवस्था के लिहाज से संभवतः सारे हरियाणा प्रदेश में प्रथम स्थान रखता है। इसकी स्थापना 14 अक्तूबर सन् 1982 में हुई थी। इसके संस्थापकों में पंडित शिवकुमार शर्मा वैद्य, तथा सव. श्री बलभद्रदास सर्राफ के नाम विशेषरूप से उल्लेखनीय है इस पुस्तकालय की स्थापना में श्री युवक समिति सिरसा ने 1,55,000 रूपये तथा 6500 पुस्तकें दान देकर मुख्य योगदान दिया है। इस समय इस पुस्तकालय में लगभग 160000 पुस्तकें हैं। इसके पुस्तकालय व वाचनालय में पाक्षिक एंव मासिक पत्र पत्रिकाएं आती है। जहां तक संस्था की आय का प्रश्न है, संस्था की 8 दुकानों से किराये का स्थायी साधन तो है ही साथ ही सदस्यता शुल्क तथा नीचे के भाग को समारोह और स्टालों के लिए समय समय पर किराये पर बुकिंग से भी अच्छी खासी आय है। नगर के प्रसिद्ध देशभक्त एवं निष्ठावान समाजसेवी डा. शिवनारायण गुप्ता इस संस्था के आजीवन अध्यक्ष हैं। वर्तमान में श्री सतीश गुप्ता व श्री प्रवीण बागला इस की सेवा कर रहे हैं।

सर्व हितकारिणी सभा-सिरसा

इस सभा की स्थापना सन् 1918 ई. में नगर के प्रसिद्ध देशभक्त तथा समाज सेवी स्व. बाबूरामेश्वर दास वकील प्रधान बार ऐसोसिएशन सिरसा तथा उनके सहयोगियों ने की थी। एक समय ऐसा भी था, जबकि सभा का अपना एक विशाल भवन होता था, जिसमें जनसेवार्थ औषधालय, विद्यालय, नाटक मण्डली, पुस्तकालय एंव सक्रिय कार्यकर्त्ताओं का स्वयं सेवक दल दिन रात जनसेवा के कार्यकलापों में बहुत प्रसिद्ध था।

श्री महावीर दल-सिरसा

इस संस्था की स्थापना सन् 1918 इ. में प्रसिद्ध समाजसेवी स्व. श्री उत्तम चन्द मोहंता के अनथक प्रयासों द्वारा हुई थी। इस समय इस संस्था में एक मंदिर, शिवालय, धर्मशाला, प्याऊ तथा मिडल स्कूल कार्यरत हैं। संस्था को आय के स्थाई साधन के रूप में बहुत सारी दुकानों का किराया उपलब्ध हैं। इस संस्था का पूर्ण विस्तार करने में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्व. श्री चानणमल कटलीवाला की मुख्य भूमिका रही हैं।

श्री गीता भवन-सिरसा

इस संस्था का विशाल भवन है, जिसमें श्रीमद् भगवतगीता के 18 अध्यायों के लोक संगमरमर के पत्थरों पर लिखे हुए, बहुत ही आकर्षक तथा सुंदर हैं। इस भवन में देवी देवताओं तथा श्री भगवान की मूर्तिया भी स्थापित की गई हैं। इसका निर्माण श्री ब्राह्मण सभा सिरसा ने किया है और वही इसका समस्त प्रबंध आदि करती है। इसके प्रारम्भिक निर्माण कार्य में स्व. स्वतंत्रता सेनानी पंडित भगवत स्वरूप शर्मा का विशेष योगदान रहा हैं। श्री गीता भवन में प्राय: सदैव कथा, सत्संग, भजन व कीर्तन का क्रम चलता ही रहता हैं। आय के स्थाई साधन स्वरूप भवन की कई दुकानें किराये पर लगी हुई हैं।

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जनता भवन सिरसा व जनता हस्पताल सिरसा

यह संस्था नगर की मुख्य जनसेवी संस्था हैं, जिसके पास जनता भवन नामक बहुत विशाल तथा समस्त आधुनिक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण धर्मशाला हैं। एक बहुत सुंदर व उत्तम व्यवस्था वाला मातृ सेवा सदन हैं। इन दोनों संस्थाओं से जन साधारण को बहुत भारी लाभ तथा सुविधा प्राप्त हैं। इस संस्था की स्थायो आय का साधन तो इसकी अपनी बहुत बड़ी संख्या वाली दुकाने हैं। इस संस्था की स्थापना स्व. श्री रूपचंद बांसल ने की व नई अनाज मंडी के सैकड़ों व्यापारियों ने सहयोग दिया। इसी संस्था द्वारा जनता हस्पताल का निर्माण किया गया। इस समय वर्ष 2015 16 में 100 बैड का हस्पताल गरीबों की सेवा कर रहा है। वर्तमान में बाबू राम फुटेला इस के अध्यक्ष हैं।

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