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सिरसा का इतिहास : प्राचीन एवं आधुनिक सिरसा-16

 लेखक एवं संकलन सुरेन्द्र भाटिया व डॉ. रविन्द्र पुरी
 
  सिरसा का इतिहास : प्राचीन एवं आधुनिक सिरसा-16

इतिहास समाज को संस्कृति व विकास की जानकारी देता है

सिरसा नगर एक ऐतिहासिक नगर है। इतिहासकारों द्वारा समय-समय पर सिरसा के इतिहास के संबंधित अनेक दस्तावेजों को लिखा गया मगर सिरसा के इतिहास के संबंध में एक राय नहीं है कि यह नगर कब व किसने बसाया मगर अनेक इतिहासकारों का मानना है कि ईसा से १३०० वर्ष पूर्व राजा सरस ने सिरसा नगर की स्थापना की। कुछ लोगों का मानना है कि सरस्वती के किनारे होने के कारण इस नगर का नाम सिरसा रखा गया वहीं अनेक लोग बाबा सरसाईंनाथ की नगरी के रुप में सिरसा को जानते हैं मगर प्राचीन नगर के संबंध में अनेक मान्यताएं होने के बावजूद वर्तमान नगर १८३८ में अंग्रेज अधिकारी थोरबाये द्वारा बसाया गया तथा यह नगर जयपुर के नक्शे पर अंग्रेज अधिकारी द्वारा ८ चौपट 16 बाजार के स्थान पर ४ चौपट 8 बाजार स्थापित किए गए। सिरसा के इतिहास से जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर पल पल के संपादक सुरेन्द्र भाटिया व मनोविज्ञानी डॉ. रविन्द्र पुरी द्वारा वर्ष २०१६ में प्राचीन एवं आधुनिक सिरसा नामक एक पुस्तक का लेखन किया गया। इस पुस्तक का विमोचन हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल १३ फरवरी २०१६ को चंडीगढ़ में किया गया। पुस्तक की प्रस्तावना नागरिक परिषद के अध्यक्ष व उस समय मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार श्री जगदीश चोपड़ा द्वारा लिखी गई। इसके अतिरिक्त पूर्व मंत्री स्व. श्री जगदीश नेहरा द्वारा सिरसा तब व अब नामक एक लेख इस पुस्तक में शामिल किया गया। उनके अतिरिक्त नामधारी इतिहासकार चिंतक श्री स्वर्ण सिंह विर्क का एक लेख भी पुस्तक में प्रकाशित किया गया। प्रस्तुत है इस पुस्तक के विभिन्न अध्यायों को क्रमवार प्रकाशित किया जा रहा है।

आज का सिरसा

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सिरसा को लेकर हरियाणा के कर्मचारियों में एक जुमला काफी प्रसिद्ध है कि यहां लोग रोते हुए आते हैं और वापिस भी रोते हुए जाते हैं। दरअसल सिरसा दिल्ली चण्डीगढ से चार पांच घंटे की दूरी पर हरियाणा के आखरी छोर पर स्थित है जिस से आगे पंजाब और राजस्थान शुरू हो जाता है। इस लिए जब किसी कर्मचारी का स्थानांतरण यहां होता है तो वह यहां खुशी नहीं आता। किन्तु कुछ समय यहां बिताने के बाद वह जब यहां से जाता है तो वह भरे मन से ही जाता है क्योंकि सिरसा में सुख सुविधाएं भले ही बड़े शहरों जैसी न हो पर यहां के लोग साधारणतय बेहद अच्छे स्वभाव के व मिलनसार है और जो भी यहां आता है वह स्थानीय लोगों के स्वभाव व व्यवहार का कायल हो जाता है। यहां के लोगों में जुड़ाव की भावना भी कूट कूट भरी हुई है। दूसरी ओर व्यापारियों में भी एक जुमला काफी प्रसिद्ध है कि हिसार गले का हार, सिरसा से तब तक ना जाईयो, जब तक मिले उधार ! इस कथन की सच्चाई यह है कि जब नया सिरसा बसाया गया था तब देश के अलग अलग हिस्सों से कुछ परिवारों को यहां रहने के लिए निमंत्रित किया गया था, जिनमें से कई परिवारों का व्यवसाय ब्याज पर पैसा देना था। कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है कि इस का मुख्य कारण यहां के लोगों की बढयि़ा और दिलदार प्रकृति है। कारण कुछ भी रहा है, यहां के लोगों की प्रकृति को लेकर हर कोई अच्छे बोल ही बोलता है। सिरसा पूर्व में फतेहाबाद जिला, उत्तर में पंजाब और दक्षिण पश्चिम में राजस्थान से सटा हुआ है। इस का कुल क्षेत्र 4277 वर्ग किलोमीटर है। लगभग मारिशस देश जितना क्षेत्रफल है इसका और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 1295189 है। इस तरह से प्रत्येक वर्ग किलोमीटर पर 303 सिरसा वासी रहते है। इसमें से केवल 24.64 प्रतिशत कस्बों में रहते है। 68.82 प्रतिशत लोग साक्षर है। इस के 97 प्रतिशत गांवों में प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था है। इस क्षेत्र के मेहनती किसान धान, कपास, ग्वार, गेहूँ, बाजरा आदि की खेती करके देश की उत्पादकता में अपना वड़ा योगदान देते है। सिरसा प्रति हेक्टेयर गेहूँ उत्पादकता के मामले में प्रदेश ही नहीं पूरे देश में प्रथम स्थान पर रह चुका है। कपास उत्पादन में भी सिरसा का देश में एक खास रूतबा है। वहीं सिरसा 94 हजार 540 टन किन्नू उतपादन करके प्रदेश का नंबर एक जिला बन चुका है। ट्रैक्टरों की संख्या को जिलेवार ढंग से देखे तो सिरसा हरियाणा के सभी जिलों से आगे है। वाहनों की बात चली है तो यह बताना भी न्यायसंगत होगा कि यहां दोपहिया वाहनों की संख्या भी दूसरे शहरों की अपेक्षा अधिक है। वहीं सिरसा के लोग महंगे और विलासपूर्ण कारों व एस.यू.वी. के भी खासे शौकीन है। इसलिए जब भी कोई कंपनी महंगी लगजरी कार या एस.यू.वी. उतारती है तो यहां के लोग उसे चाव से खरीदते है। लग्जरी फार्म हाऊस बनाने और उनका रखरखाव करने में भी सिरसा वासियों का कोई सानी नहीं है। यदि खेलों की बात की जाए तो सिरसा के बहुत से उत्साही युवा व बच्चे प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के खेलों में नाम कमाते रहे है। देश की हॉकी टीम के कप्तान व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी सरदार सिंह भी सिरसा के है। पद्मश्री से सम्मानित सरदार सिंह को लोग सरदारा सिंह के नाम से जानते है। इसी प्रकार से सिरसा में स्थित डेरा सच्चा सौदा से संबंधित बहुत से खिलाडयि़ों ने राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सिरसा का नाम रोशन किया, जिस में रोलर स्केटर मिलनप्रीत व रौलर हाकी चैंपियन यशदीप को तो हरियाणा सरकार ने भीम अवार्ड देकर सम्मानित भी किया। 5 भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रीतू कुमारी का हालांकि सिरसा जन्म स्थल नहीं है किन्तु कुछ समय तक वह भी राजकीय नैशनल महाविद्यालय की छात्रा रही है। हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी पैदा करने में नामधारी सम्प्रदाय की भूमिका भी सिरसा के लिए विशेष महत्व रखती है। सिरसा के बहुत से छोटे बच्चे लॉन टेनिस, बेडमिंटन, शतरंज, आदि में भी अपना जौहर दिखा कर शहर की प्रतिष्ठा बढ़ा रहे है।

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पर्यटनास्थल पर्यटन की दृष्टि से कुछ दशकपूर्व यहां आसा खेड़ा सिथत शिकरा, अबूबशहर स्थित काला तीतर और शहर में स्थित सुरखाब टूरिस्ट कॉम्पलेक्स का नाम लिया जाता था किन्तु अब आसपास के शहरों के लोग रानियां रोड पर स्थित संत श्री तारा बाबा जी की याद में बनी सुंदर कुटिया का भ्रमण करने के लिए आते हैं, जिस में लोगों की धार्मिक आस्था भी जुड़ी है। बेगू रोड स्थित डेरा सच्चा सौदा में लोग अपनी धार्मिक आस्था के कारण आते हैं। साथ ही बहुत से लोग यहां बने रिवोलविंग रेस्टोरेंट, पानी में बने होटल व पांच सितारा होटल, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम, स्वीमिंग पूल आदि को देखने आते है।

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सिरसा में कई गुरूद्वारे है और उनमें से कई ऐतिहासिक महत्व के हैं, जहां आस्थावान लोग तो आते ही है, साथ ही इस क्षेत्र में भ्रमण पर आने वाले पर्यटक भी अवश्य आते है। इनमें गुरूद्वारे श्री चिल्ला साहिब जी, गुरूद्वारा श्री पातशाही दसवीं साहिब और सिरसा से 36 कि. मी. दूर गुरूद्वारा चोरमार साहिब (चोरमार खेड़ा) प्रमुख है। इनके अलावा सिरसा में आने वाले पर्यटक रानियां रोड स्थित श्री खाटू श्याम धाम, सरसाई नाथ जी के मंदिर, बाबा बिहारी जी की समाधि, गणेश मंदिर, जैन मंदिर, चौ. देवीलाल विश्वविघालय, जननायक चौ. देवीलाल विद्यापीठ, बाल भवन स्थित संग्रहालय आदि देखने आते है। चूँकि सिरसा के आसपास के क्षेत्रों में मनोरंजन का कोई ब?िया स्थल नहीं है इस लिए फतेहाबाद, रानियां, ऐलनाबाद, डबवाली आदि क्षेत्र के लोग सिरसा के हिसार रोड स्थित ओम सिने गार्डन में फिल्मों का लुत्फ उठाने और शहर के रोड़ी बाजार व बरनाला रोड़ पर बने विभिन्न ब्रांडों के प्रतिष्ठानों पर खरीददारी और खाने पीने के लिए भी आते है।