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जनभागीदारी से सिरसा का विकास-1

बिना सरकारी मदद के जनभागीदारी से प्रदेश का सबसे बड़ा चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम बना
 
बिना सरकारी मदद के जनभागीदारी से प्रदेश का सबसे बड़ा चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम बना

सिरसा की तत्कालीन सांसद कुमारी सैलजा 2 जुलाई 1992 को मानव संसाधन विभाग में उपमंत्री बनाई गई। सिरसा से सांसद होने के नाते उनसे लेखक का मिलना-जुलना रहता था। दिसंबर 1992 में कुमारी सैलजा से मिलने के लिए जब शास्त्री भवन नई दिल्ली पहुंचे तो अनेक केंद्रीय परियोजनाओं व विभागीय योजनाओं पर चर्चा हुई। चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के पीएस आईएएस अधिकारी श्री एलसी गोयल ने लेखक को कुछ परियोजनाओं की जानकारी दी। उनमें से एक परियोजना खेल विभाग के सहयोग से जिला मुख्यालयों में इंडोर स्टेडियम बनाने की थी। इस योजना के अंतर्गत 25 लाख रुपए तक की मदद इंडोर स्टेडियम बनाने वाले जिला प्रशासन, सरकार अथवा स्वयंसेवी संस्थाओं को दी जा सकती थी। दिल्ली से वापस आने के बाद उस समय के उपायुक्त श्री पी. राघवेंद्र राव को जानकारी दी तो उन्होंने उस समय के जिला नगर योजनाकार श्री मित्तल व लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता श्री एसके आहुजा को भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। कुछ ही दिन में यह प्रस्ताव उपायुक्त के माध्यम से भारत सरकार को भेज दिया गया। इस प्रस्ताव की एक प्रति उपायुक्त द्वारा लेखक को उपलब्ध करवाई गई व मार्च 1993 को भारत सरकार द्वारा इस परियोजना की स्वीकृति प्रदान करते हुए 25 लाख रुपए के अनुदान की स्वीकृति प्रदान की गई। भारत सरकार की इस स्वीकृति में जिला प्रशासन से यह सहमति पत्र भी मांगा कि वह भेजे गए प्रस्ताव की शेष राशि स्वयं खर्च करेंगे। चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम का प्रस्ताव 59 लाख रुपए का बनाया गया था। इस प्रकार 34 लाख रुपए का खर्च जिला प्रशासन को पहले करना था, जिसके बाद भारत सरकार द्वारा 25 लाख रुपए की राशि जारी की जानी थी। जब भारत सरकार ने इस परियोजना पर सहमति व्यक्त की तो तत्कालीन उपायुक्त के समक्ष प्रश्न यह उठा कि 34 लाख रुपए की राशि का किस प्रकार प्रबंध किया जाए। उस समय प्रदेश में चौ. भजन लाल की सरकार थी, जो सिरसा के प्रति विशेषकर उस समय की केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा द्वारा सुझाए गए कार्यों का जल्दी से संज्ञान नहीं लेते थे। सिरसा के उपायुक्त के समक्ष लेखक द्वारा एक सुझाव यह रखा गया कि तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के विभाग द्वारा क्षेत्रीय केंद्र पटियाला के माध्यम से बड़े कलाकार नि:शुल्क कार्यक्रम के लिए सिरसा आएंगे। इस पर उपायुक्त ने अपने अधिकारियों से बैठक करके सहमति ली व निर्णय यह लिया गया कि उस समय के महाराणा प्रताप स्टेडियम जो अब कपास मंडी के रूप में विकसित है, एक सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा जाए। क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सौजन्य से 5 जून को कार्यक्रम रखा गया। उसके बाद दूसरा कार्यक्रम 6 मार्च 1994 को रखा गया। इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध पंजाबी कलाकार गुरदास मान व हंसराज हंस सिरसा आए थे। पहले कार्यक्रम के पूर्व 5 जून 1993 को चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम का शिलान्यास करने के बाद सिरसा के लोगों से चंदा एकत्रित करके एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  इन दोनों कार्यक्रमों के माध्यम से लगभग 19 लाख रुपए एकत्रित किए गए। पैसा एकत्रित होने के बाद अब सवाल यह उठा कि चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम का निर्माण कार्य कैसे आरंभ किया जाए। तत्कालीन उपायुक्त श्री पी. राघवेंद्र राव द्वारा उस समय के अतिरिक्त उपायुक्त श्री तरुण बजाज आईएएस की अध्यक्षता में एक निर्माण समिति का गठन किया। इस निर्माण समिति में जिला नगर योजनाकार, लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता के अतिरिक्त, गैर सरकारी सदस्यों के रूप में लेखक श्री सुरेंद्र भाटिया, सिरसा एजुकेशन सोसायटी के श्री प्रवीण बागला व श्री अजीत सिंह रतन को सदस्य बनाया गया। लगभग दो माह की लंबी प्रक्रिया के बाद जब चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम का निर्माण आरंभ करने के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए तो अधिकतर बड़े ठेकेदारों ने इस स्टेडियम का निर्माण कार्य यह कहते हुए करने से इंकार कर दिया कि इसकी टेपर फ्लोरिंग है, जिसके लिए उस समय छत डालने के लिए शैट्रिंग संभव नहीं थी। निर्माण समिति के गैर सदस्यों द्वारा उस समय के एक प्राईवेट ठेकेदार जो छोटे-छोटे कार्य जिनमें शहर में बनने वाला बड़े मकानों का निर्माण करता था, उसको बुलाया गया, उनका नाम श्री चौथू राम था। श्री चौथूराम गैर शिक्षित थे, मगर उनके पास बड़ा अनुभव था तथा उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को करने में अपनी सहमति व्यक्त की।

 वर्ष 1994 में श्री पी. राघवेंद्र राव के स्थानांतरण के बाद स्टेडियम के निर्माण को रोकने की कोशिश हुई

चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम का निर्माण कार्य अक्टूबर, 1993 में आरंभ हुआ तथा इस स्टेडियम के निर्माण को आरंभ करने से पूर्व निर्माण समिति के सरकारी व गैर सरकारी सदस्यों ने लुधियाना, चंडीगढ़ के कुछ इंडोर स्टेडियम का अवलोकन किया व पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में बने इंडोर स्टेडियम की तर्ज पर इस स्टेडियम के निर्माण का निर्णय लेते हुए तत्कालीन जिला नगर योजनाकार श्री मित्तल के प्रयासों से एक भव्य स्टेडियम निर्माण की रूपरेखा तैयार हुई।  उपायुक्त श्री पी. राघवेंद्र राव ने इसके निर्माण के लिए रेवाड़ी में तैनात लोक निर्माण विभाग के एक कनिष्ठ अभियंता श्री  एच एल बब्बर को सिरसा में तैनात किया। चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम के 16 मुख्य पिल्लर खड़े करने से निर्माण कार्य आरंभ हुआ तथा श्री मित्तल के सुझाव पर इन 16 बीमों को एक करने के लिए लगभग 6 लाख रुपए की लागत से टाईबिन डाला गया। यह टाईबिन वर्ष 1992-93 में गुजरात में आए भूकंप के परिणामों के आंकलन के बाद लगाया गया कि अगर सिरसा में उस तरह का भूकंप आता है तो यह स्टेडियम सुरक्षित रहे। फरवरी 1994 में तत्कालीन उपायुक्त पी. राघवेंद्र राव एक स्टडी टूर पर दो माह के लिए अमेरिका चले गए। इस दौरान उस समय के अतिरिक्त उपायुक्त श्री तरुण बजाज ने निर्माण समिति की एक बैठक लेकर यह निर्णय लिया कि इस स्टेडियम का निर्माण नक्शे के अनुसार पूर्णरूप से आरंभ किया जाए तथा बीमों के साथ-साथ बैठने के लिए जो गैलरी बननी थी, उनका भी निर्माण कार्य आरंभ किया गया। मार्च 1994 में श्री पी. राघवेंद्र के स्थान पर श्री आर.पी. चन्द्र को नया उपायुक्त नियुक्त किया गया। सिरसा में नियुक्ति के बाद मई 1994 में जब श्री आर.पी. चन्द्र ने निर्माणाधीन स्टेडियम का अवलोकन किया व उन्हें इसकी सारी आर्थिक स्थिति की जानकारी मिली तो उन्होंने इतने बड़े स्टेडियम की सिरसा में आवश्यकता न बताते हुए इसे छोटा करने की बात कही, मगर गैर सरकारी सदस्यों के विरोध व सरकारी सदस्यों द्वारा यह कहने पर कि अगर इसे अब छोटा किया जाएगा तो लाभ के स्थान पर नुकसान होगा। तब यह निर्णय लिया गया कि इसे नक्शे के अनुसार बनाया जाए। 

स्टेडियम का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 540 गज जगह 65 लाख रुपए में लीज पर दी

सिरसा के लोगों द्वारा एकत्रित किए गए 19 लाख रुपए की राशि के अतिरिक्त 25 लाख रुपए भारत सरकार द्वारा व 20 लाख रुपए की राशि कुमारी सैलजा के संसदीय कोष से खर्च करने के बावजूद जब स्टेडियम का निर्माण कार्य आरंभ नहीं हुआ तो वर्ष 1995 में सिरसा के तत्कालीन उपायुक्त एन.सी. वधवा की अध्यक्षता में स्टेडियम कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि महाराणा प्रताप स्टेडियम के पश्चिम-दक्षिण दिशा में खाली पड़ी 540 गज जगह लीज पर देकर राशि एकत्रित की जाए। उस समय के अतिरिक्त उपायुक्त श्री अंकुश गुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया जिसमें लेखक सुरेंद्र भाटिया के अतिरिक्त श्री प्रवीण बागला को गैर सरकारी सदस्य बनाया गया। इस दौरान श्री एन.सी. वधवा का भी सिरसा से स्थानांतरण हो गया तथा उनके स्थान पर उपायुक्त का कार्यभार संभालने वाले श्री आर.आर. जौवल ने भी इस निर्णय पर सहमति व्यक्त की। आखिर 1995 के अंत में सिरसा के स्टेडियम की भूमि लीज पर देने के लिए एक विज्ञापन निकाला गया तथा 540 गज जगह 99 साल के लिए लीज पर देने के लिए 65 लाख रुपए एकत्रित हुए। इस राशि से निर्माण कार्य को तीव्र गति से आरंभ किया गया तथा 1996 के आरंभ में इस स्टेडियम का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण कर लिया गया। केवल वुडन फ्लोरिंग शेष थी।

15 मार्च 1996 में चौ. दलबीर सिंह स्टेडियम का हुआ उद्घाटन

लोकसभा के चुनाव मई 1996 में संभावित थे, इस प्रकार आचार संहिता से पूर्व चौ. दलबीर सिंह स्टेडियम का उद्घाटन करने का निर्णय लिया गया तथा इसके काम को लगभग पूर्ण करते हुए 15 मार्च1996 में उद्घाटन समारोह रखा गया। उस समय की केंद्रीय राज्य मंत्री कुमारी सैलजा ने चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम का उद्घाटन करवाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्य मंत्री श्री भुवनेश चतुर्वेदी को सिरसा आमंत्रित किया। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, हरियाणा के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री लछमण दास अरोड़ा व तत्कालीन मंत्री जगदीश नेहरा की उपस्थिति में इस स्टेडियम का उद्घाटन हुआ। 

स्टेडियम के वुडन फ्लोर के लिए चौ. बंसीलाल ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए

लोकसभा व विधानसभा के 1996 में चुनाव एक साथ हुए। जहां सिरसा से दूसरी बार कुमारी सैलजा 1996 में सांसद चुनी गईं, वहीं सिरसा लोकसभा की सभी 9 सीटों पर कांग्रेस बुरी तरह हार गई। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में हरियाणा विकास पार्टी व भाजपा की सांझी सरकार के मुखिया चौ. बंसीलाल बने। प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने के बाद चौ. बंसीलाल जब सिरसा आए तो उनका कार्यक्रम चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम में रखा गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल ने जब चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम का अवलोकन किया तो उन्होंने आम लोगों व अधिकारियों के समक्ष खुले मन से कुमारी सैलजा की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने यह बड़ा अच्छा कार्य किया है। इस बीच स्टेडियम कमेटी के गैर सरकारी सदस्यों सुरेंद्र भाटिया व प्रवीण बागला ने जब उन्हें यह जानकारी दी कि इस स्टेडियम में अभी कुछ कमियां हैं तो उन्होंने तुरंत जिला प्रशासन को उन कमियों को दूर करते हुए जितनी भी धनराशि खर्च होती है, उतनी धनराशि खर्च करके स्टेडियम को पूरा करने के निर्देश दिए। उसके बाद लगभग 50 लाख रुपए की लागत से वुडन फ्लोरिंग, इलेक्ट्रिसिटी व सीढिय़ों के नीचे खिलाडिय़ों के रहने के लिए कमरों का निर्माण किया गया। इस प्रकार बिना सरकारी धनराशि आवंटन किए जनभागीदारी से आरंभ हुआ यह कार्य वर्ष 1993 में आरंभ होकर वर्ष 1997 में लगभग दो करोड़ रुपए की राशि से पूर्ण हुआ जो सिरसा के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इसी स्टेडियम के कारण वर्ष 2000 में राष्ट्रीय स्तर की अनेक प्रतियोगिताएं सिरसा में आयोजित की गई।