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जनभागीदारी से सिरसा का विकास-9

प्रदेश के स्थानीय निकायों में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नागरिक परिषद द्वारा सुझाए सुझावों को सरकार ने माना
 
जनभागीदारी से सिरसा का विकास-9

हरियाणा के अधिकतर स्थानीय निकायों में भ्रष्टाचार की शिकायतें दिन-प्रतिदिन मिलती रहती हैं। अभी भी अगर किन्हीं विभागों में सबसे अधिक भ्रष्टाचार है तो उनमें स्थानीय निकाय शामिल है। नागरिक परिषद सिरसा द्वारा 22 जुलाई 2013 को हरियाणा सरकार स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव को एक पत्र सौंपा गया जिसमें नागरिक परिषद द्वारा पांच सुझाव दिए गए। इन सुझावों में स्थानीय निकायों के अंतर्गत आने वाली सभी सड़कों एवं गलियों के नंबर लगाने व गली के नंबरों के साथ-साथ हाउस नंबर को संबंधित किया जाना शामिल था। नागरिक परिषद द्वारा स्थानीय निकाय आयुक्त को गलियों के आईडी नंबर लगाने के बाद एक सर्वे करवाने का सुझाव दिया जिसकी सभी गलियों का स्टेटस एक सॉफ्टवेयर तैयार करके उस पर डाला जाए तथा उसमें सभी प्रकार की जानकारी दी जाए। गली के निर्माण के समय एक साइन बोर्ड लगाया जाए जिस पर गली का निर्माण करवाने वाले कनिष्ठ अभियंता, अन्य अधिकारियों तथा ठेकेदार व निर्माण सामग्री की जानकारी सार्वजनिक की जाए। नागरिक परिषद ने तीसरा सुझाव गलियों के निर्माण से पूर्व गली के साथ-साथ पूरे शहर को एक स्तर की जानकारी नागरिकों को देने का भी सुझाव दिया ताकि गलियों के लेवल के अनुसार लोग अपने घरों का लेवल रखें। नागरिक परिषद के चौथे सुझाव में नगर परिषद, नगर पालिकाएं उपलब्ध राशि के अनुसार टेंडर आमंत्रित करे तथा उन्हें समय-सीमा के अंतर्गत पूरा करने के निर्देश देने का सुझाव दिया गया। इसके अतिरिक्त गलियों के निर्माण से पूर्व जनस्वास्थ्य विभाग, टेलीफोन विभाग व अन्य संबंधित विभागों से तालमेल करने का भी सुझाव दिया गया ताकि विभाग गलियों के निर्माण से पूर्व होने वाले सभी कार्यों को पूर्ण कर सके। 

हरियाणा सरकार ने अगस्त 2013 में सभी उपायुक्तों को आवश्यक निर्देश जारी किए
नागरिक परिषद सिरसा के सुझावों को मानते हुए स्थानीय निकाय हरियाणा के आयुक्त ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि नागरिक परिषद सिरसा के सुझावों के अनुसार सभी उपायुक्तों को इन सुझावों को लागू करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं। सरकार द्वारा मीमो नंबर : टीए/डीयूएलबी/2013/32942-512 दिनांक 12 अगस्त 2013 के अंतर्गत सभी जिलों में स्थानीय निकायों को यह निर्देश जारी किया गया कि प्रदेश की सभी गलियों की पहचान के लिए नंबर लगाए जाए। नागरिक परिषद सिरसा के दूसरे सुझाव को मानते हुए निर्देश दिया कि गलियों के नंबर लगाने के बाद उनका सर्वे करवाया जाए तथा सड़कों व गलियों की स्थिति  सॉफ्टवेयर पर डाला जाए। सरकार द्वारा यह भी निर्देश जारी किए गए कि गलियोंं के निर्माण के समय क्वालिटी का विशेष ध्यान रखा जाए तथा जनता के सुझावों के अनुसार निर्माण करवाया जाए। इसके अतिरिक्त निर्माण करवाने के समय सभी गलियों पर साइन बोर्ड लगाए जाए जिन पर निर्माण सामग्री, ठेकेदार व संबंधित अधिकारी के नाम अंकित हों। इसके अतिरिक्त ई-टेंडरिंग करने तथा संबंधित विभागों से सड़क व गली निर्माण से पूर्व यह जानकारी ली जाए कि वह अगर कोई पाइप लाइन अथवा अंडर ग्राउंड तार डालना चाहते हैं तो निर्माण से पूर्व डालें। 

सरकार के निर्देशों के बावजूद अनेक स्थानीय निकायों ने नहीं लगाए गलियों के नंबर, नागरिक परिषद ने अदालत में याचिका दायर की
सरकार के आदेशों के बावजूद जब स्थानीय निकायों द्वारा गलियों के नंबर नहीं लगाए गए तो नागरिक परिषद की ओर से अनेक बार ज्ञापन भेजे गए, मगर अधिकारियों ने सरकार के आदेशों की अवहेलना की जिसके बाद 12 जुलाई 2015 को सिरसा के पीएलए कोर्ट में धारा 22सी के अंतर्गत याचिका नंबर 658 वर्ष 2015 दायर की गई जिसमें सरकार के निर्देशों के अनुसार गलियों के नंबर लगाने व निर्माण से पूर्व बोर्ड लगाने के निर्देश जारी करने की मांग की गई। 24 सितंबर 2015 को पीएलए कोर्ट सिरसा के अध्यक्ष श्री वी.पी. बिश्नोई, सदस्य श्री सी.बी. गाबा व श्री सी. एल. गंडा ने एक मत से फैसला देते हुए सरकार के इन आदेशों की पालना करने व निर्माण से पूर्व गलियों के सर्वे करवाने व बोर्ड लगाने के निर्देश जारी किए। सिरसा के उपायुक्त व नगर परिषद सिरसा की ओर से नगर परिषद सिरसा के कार्यकारी अधिकारी श्री अत्तर सिंह ने पीएलए न्यायालय के समक्ष तीन माह का समय मांगते हुए तीन महीने में काम पूरा करने पर सहमति व्यक्त की जिसके बाद इस याचिका का निपटारा अदालत द्वारा किया गया।