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जनभागीदारी से सिरसा का विकास-8

सिरसा की कोर्ट रोड का निर्माण जनभागीदारी का प्रदेश में सबसे बड़ा प्रमाण है
 
जनभागीदारी से सिरसा का विकास-8

अनेक बार अधिकारियों की गलती से कुछ ऐसे कार्य हो जाते हैं जिससे पूरे नगर को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। मार्च 2013 में ऐसा ही एक विकास कार्य सिरसा के सदर थाने के निर्माण के नाम पर आरंभ हुआ। सिरसा का सदर थाना लगभग 60 वर्ष पूर्व सिरसा की कोर्ट रोड पर नहर कॉलोनी एवं सिंचाई विभाग के विश्राम गृह के नजदीक बनाया गया था। 1975 में जिला बनने के बाद नहर कॉलोनी का विश्राम गृह उपायुक्त निवास स्थान के रूप में तब्दील हो गया। जब प्रदेश में 1999 में चौ. ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने तो रेलवे कॉलोनी के साथ लगती नहर कॉलोनी, सिंचाई विभाग के विश्राम गृह तथा सदर थाना की भूमि जो उस समय शहर के बीचोंबीच आ गई थी, एक बहुआयामी परियोजना की घोषणा करते हुए लगभग 10 एकड़ भूमि पर हुडा द्वारा एक मल्टी कॉम्पलैक्स मार्केट, पार्किंग व पार्क का निर्माण का निर्णय लिया गया। चौ. ओमप्रकाश चौटाला ने इस परियोजना की घोषणा 2000 में की। वर्ष 2003 में जब चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय की घोषणा की गई व 6 अप्रैल 2003 से चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय ने काम करना आरंभ कर दिया तो इस विश्वविद्यालय के पहले कुलपति डॉ. आर.पी. दहिया के निवास के लिए शहर में स्थान ढूंढने का काम आरंभ हुआ तो अधिकारियों की नजर कुछ माह पूर्व खाली करवाए गए उपायुक्त निवास स्थान जो पहले सिंचाई विभाग का विश्राम गृह था, पर पड़ी। इस स्थान को कुलपति निवास स्थान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया, हालांकि यह अस्थायी था, क्योंकि कुलपति का निवास स्थान विश्वविद्यालय परिसर में निर्माणाधीन था। इस स्थान पर कुलपति का निवास स्थान बनाने के कारण चौ. ओमप्रकाश चौटाला द्वारा घोषित परियोजना अधर में लटक गई। इस बीच वर्ष 2005 में हरियाणा में सरकार कांग्रेस की बन गई तथा इस परियोजना की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते वर्ष 2012-2013 में सदर थाने के पुराने पड़ गए भवन को बनाने के लिए उसी स्थान पर टेंडर कर दिया गया व मार्च 2013 में एक ओर सदर थाने के भवन को गिराने का काम आरंभ हुआ वहीं दूसरी ओर उसकी नींव की खुदाई भी आरंभ हो गई। जब इस बात की जानकारी मिली तो नागरिक परिषद सिरसा के अध्यक्ष श्री जगदीश चोपड़ा से बातचीत करने के बाद नागरिक परिषद के सक्रिय सदस्यों की एक बैठक की गई। जिसके बाद सिरसा के तत्कालीन उपायुक्त जे. गणेशन को श्री जगदीश चोपड़ा के नेतृत्व में लेखक सुरेंद्र भाटिया, डॉ. आरएस सांगवान, बिहार पुलिस के सेवानिवृत्त आईजी श्री सीआर कसवां, बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान श्री रमेश मेहता, इनेलो के वरिष्ठ नेता श्री जसबीर सिंह जस्सा, गुरुनानक ट्रस्ट के चेयरमैन श्री सुरेंद्र सिंह वैदवाला सहित गणमान्य नागरिकों ने एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला द्वारा घोषित परियोजना का हवाला देकर सदर थाने का काम तुरंत बंद करने व सदर थाने की भूमि से चारमार्गीय सड़क बनाने की मांग रखी। तत्कालीन उपायुक्त डॉ. जे.गणेशन के इस परियोजना पर सहमत होने के बावजूद पुलिस विभाग ने जिस ठेकेदार को सदर थाने का निर्माण का काम सौंपा था, उस पर यह दबाव बनाना आरंभ कर दिया कि वह सदर थाने का काम जल्द आरंभ करे। इस बीच सिरसा के नागरिकों ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका सीडब्ल्यूपी नंबर 12558/2013 दायर की। इस याचिका में हरियाणा सरकार के अनेक अधिकारियों को पार्टी बनाते हुए उनसे सदर थाने का निर्माण कार्य रोकने, पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा घोषित परियोजना पर काम करने तथा बाल भवन से परशुराम चौक तक कोर्ट रोड को चारमार्गीय बनाने की मांग रखी गई। नागरिक परिषद की ओर से सर्व श्री जगदीश चोपड़ा, सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री जी.एल. गोयल, हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के पूर्व चेयरमैन श्री एल.डी. मेहता, सिरसा के पूर्व सांसद श्री हेतराम, पल पल के संपादक श्री सुरेंद्र भाटिया, सिरसा एजुकेशन सोसायटी के मुख्य संरक्षक डॉ. आरएस सांगवान, बार एसोसिएशन सिरसा के पूर्व अध्यक्ष श्री रमेश मेहता, आईएमए हरियाणा के संरक्षक डॉ. वेद बैनीवाल, सेवानिवृत्त डिस्ट्रिक्ट अटोर्नी श्री तुलसीदास खेत्रपाल, भारत विकास परिषद के श्री रमेश गोयल, समरघोष के संपादक श्री अरुण मेहता, कांग्रेस नेता श्री आनंद बियानी व युवक साहित्य सदन के सचिव श्री सतीश गुप्ता द्वारा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में इस याचिका की सुनवाई 31 मई 2013 को थी। मगर पुलिस प्रशासन द्वारा सदर थाने का निर्माण कार्य आरंभ करने के निर्णय का विरोध करते हुए नागरिक परिषद ने निर्माणाधीन सदर थाने के साथ लगते योग दिव्य मंदिर के सामने 26 मई 2013 को प्रशासन की सद्बुद्धि के लिए एक यज्ञ करने की घोषणा की जिसका नाम सद्बुद्धि यज्ञ रखा गया। आखिर 26 मई 2013 को सिरसा के लगभग 500 लोगों की उपस्थिति में नागरिक परिषद सिरसा द्वारा जिला प्रशासन की सद्बुद्धि के लिए एक यज्ञ करते हुए सर्वधर्म अरदास की गई जिसमें हवन यज्ञ के अतिरिक्त गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष प्रशासन की सद्बुद्धि के लिए एक अरदास भी गई कि भगवान व वाहेगुरु जिला प्रशासन को यह सद्बुद्धि दे कि इस परियोजना पर काम रोकते हुए इस स्थान से चारमार्गीय सड़क बनने दें। उल्लेखनीय है कि जब 60 वर्ष पूर्व सिरसा का सदर थाना इस स्थान पर बनाया गया था, तब यह स्थान लगभग नगर के बाहर था तथा उसे एक 6 कर्म की घुमावदार सड़क (33 फुट) लगती थी, मगर वर्ष 2013 आते-आते सिरसा शहर लगभग दो हिस्सों में बंट गया था तथा सदर थाने के पश्चिम की ओर जितना शहर था, उतना ही शहर पूर्व की ओर बस गया था। आखिर इस सद्बुद्धि यज्ञ के आयोजन के बाद एक बार फिर सिरसा के लोगों ने जिला प्रशासन से यह आग्रह किया कि 5 दिन बाद 31 मई को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई तक सदर थाने का काम रोक दें। जिस पर प्रशासन सहमत हुआ।

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 60 दिन में आदेश पारित करने के निर्देश दिए
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में नागरिक परिषद की ओर से सिरसा से संबंधित वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेश सेठी ने सिरसा के लोगों का जोरदार पक्ष रखते हुए अदालत को सभी तथ्यों से अवगत करवाया। जिस पर अदालत ने हरियाणा सरकार के महानिदेशक, नगर योजनाकार को 31 जुलाई 2013 तक आदेश जारी करने के निर्देश देते हुए याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता से कहा कि अगर सरकार के आदेश से आपके मुविक्कल सहमत नहीं होते तो पुन: उच्च न्यायालय आ सकते हैं। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस आदेश की प्रतियां महानिदेशक स्थानीय निकाय हरियाणा सरकार के अतिरिक्त महानिदेशक, नगर योजनाकार हरियाणा, जिला उपायुक्त सिरसा, नगर योजनाकार सिरसा व नगर परिषद सिरसा को भेजी गई।

महानिदेशक हरियाणा नगर योजनाकार ने नागरिक परिषद को 19 जुलाई के लिए चंडीगढ़ आमंत्रित किया
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर महानिदेशक हरियाणा नगर योजनाकार द्वारा नागरिक परिषद सिरसा के अध्यक्ष श्री जगदीश चोपड़ा व सचिव श्री सुरेंंद्र भाटिया को 19 जुलाई को दोपहर बाद 3 बजे 18 सेक्टर चंडीगढ़ स्थित नगर योजनाकार के मुख्य कार्यालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए आमंत्रित किया। उधर महानिदेशक नगर योजनाकार ने सरकार का पक्ष रखने के लिए तत्कालीन उपायुक्त डा. जे. गणेशन को चंडीगढ़ आमंत्रित किया। तय समय पर नागरिक परिषद की ओर से श्री जगदीश चोपड़ा व लेखक सुरेंद्र भाटिया नगर योजनाकार के कार्यालय पहुंचे व सरकार की ओर से डॉ. जे. गणेशन अपने कनिष्ठ अधिकारियों के साथ चंडीगढ़ पहुंचे। उस समय हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्री अनुराग रस्तोगी महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे। तय समय पर महानिदेशक ने दोनों पक्षों को अपने कार्यालय में आमंत्रित किया। श्री जगदीश चोपड़ा व लेखक सुरेंद्र भाटिया ने उपायुक्त डॉ. गणेशन की उपस्थिति में उन्हें पूरी स्थिति से व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला द्वारा घोषित परियोजना के संबंध में जानकारी दी। उपायुक्त डॉ. जे. गणेशन ने न केवल नागरिक परिषद की मांग को उचित ठहराया व इसे शहर की आवश्यकता बताया क्योंकि नगर में बढ़ते यातायात के कारण सिरसा नगर के दो हिस्सों को जोडऩे वाले केवल दो ही रास्ते थे, इनमें से एक हिसार रोड व दूसरा कोर्ट रोड शामिल था। कोर्ट रोड घुमावदार होने व केवल 20 फुट की सड़क होने के कारण आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, इस संबंध में भी महानिदेशक को जानकारी दी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का हवाला देते हुए नागरिक परिषद की मांग पर कोर्ट रोड को चारमार्गीय बनाने पर सहमति व्यक्त की। श्री अनुराग रस्तोगी ने इससे पूर्व 2 जुलाई 2013 को अपने स्तर पर विभिन्न विभागों के अधिकारियों की एक बैठक बुलाकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों व नागरिक परिषद द्वारा रखी गई संबंधित मांग पर पहले ही सहमति ले ली थी। इस प्रकार जनविरोध व जनभागीदारी के कारण सदर थाने का निर्माण कार्य रोक दिया गया व चारमार्गीय सड़क का निर्माण कार्य बनाने पर हरियाणा सरकार ने सहमति व्यक्त की। 

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने वर्ष 2013 में चारमार्गीय सड़क बनाने की घोषणा की
वर्ष 2013 के अंत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सिरसा आए तथा उनके समक्ष जिला प्रशासन के साथ-साथ कांग्रेस नेताओं ने पुरानी सिंचाई विभाग की कॉलोनी, पुराने उपायुक्त निवास स्थान व पुराने सदर थाना के स्थान पर मल्टी कॉम्पलैक्स मार्केट, पार्क, पार्किंग व कोर्ट रोड को चारमार्गीय बनाने की मांग रखी, जिस पर इस मांग को मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल करते हुए चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जल्द ही इस पर काम करने की घोषणा की। मगर लगभग इस घोषणा के एक वर्ष तक हुड्डा सरकार रहने के बावजूद इस परियोजना पर न तो काम आरंभ हुआ और न ही सड़क निर्माण के लिए टैंडर आमंत्रित किया गया। 

नागरिक परिषद ने नवंबर 2014 में मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा
अक्टूबर 2014 में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्तारूढ़ हुई। 29 नवंबर 2014 को नागरिक परिषद सिरसा के प्रधान श्री जगदीश चोपड़ा व सचिव श्री सुरेंद्र भाटिया की ओर से हरियाणा के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजकर उनसे आग्रह किया गया कि हरियाणा सरकार को नागरिक परिषद सिरसा की याचिका क्रमांक 12558/2013 के अंतर्गत 31 मई 2013 को जो निर्देश दिए गए थे, उन निर्देशों के बाद 19 जुलाई 2013 को उपरोक्त सड़क को सीधा कर अपेक्षित सड़क निर्माण निर्माण करने के निर्देश दिए थे। उपरोक्त आदेश के पारित होने के लगभग 17 महीने बाद भी माननीय उच्च न्यायालय एवं निदेशक नगर एवं ग्रामीण आयोजन विभाग हरियाणा के पारित आदेशों की अनुपालना नहीं हो सकी है। नागरिक परिषद सिरसा ने मुख्यमंत्री से इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने व सड़क निर्माण की मांग उठाई। 

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आखिर 20 जुलाई 2015 को श्री मनोहर लाल ने चारमार्गीय सड़क की घोषणा की
आखिर 20 जुलाई 2015 को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सिरसा का दौरा किया। इस दौरान उनके समक्ष कोर्ट रोड को चारमार्गीय बनाने व दो पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा घोषित परियोजना की मांग रखी गई। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने इन दोनों मांगों को पूरा करते हुए 10 एकड़ में हुड्डा में विकसित करने की घोषणा करते हुए चारमार्गीय सड़क के लिए चार करोड़ रुपए देने की सहमति व्यक्त की। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा टेंडर आमंत्रित किए गए। मगर इस सड़क को पूरा करने में अभी भी एक बाधा थी क्योंकि पुरानी तहसील से लेकर कोर्ट रोड सिरसा के मुख्य डाकघर से होते हुए परशुराम चौक पर यह सड़क समाप्त होती थी। मगर पुरानी तहसील से बाल भवन तक यह सड़क लोक निर्माण विभाग के पास नहीं थी। उस समय भाजपा नेता व नागरिक परिषद के अध्यक्ष श्री जगदीश चोपड़ा को हरियाणा के मुख्यमंत्री का राजनीतिक सचिव बना दिया गया था। उनके हस्तक्षेप से इस सड़क के निर्माण के लिए लोकनिर्माण विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई, मगर पुरानी तहसील से लेकर बालभवन तक लगभग 300 मीटर की सड़क के लिए स्थानीय निकायों से आवश्यक राशि लोकनिर्माण विभाग को देने का निर्णय लिया गया। जिसके बाद इस सड़क का निर्माण संभव हुआ व वर्ष 2017 आते-आते यह सड़क बनकर तैयार हुई। इस प्रकार जिस परियोजना व सड़क के बारे में वर्ष 2000 में चौ. ओमप्रकाश चौटाला द्वारा सोचा गया था वह 17 वर्ष बाद सड़क बन सकी व सिरसा के लोगों को आने-जाने की सुविधा प्राप्त हुई। मगर मूलरूप से वर्ष 2000 में जो परियोजना घोषित की गई थी आज 22 वर्ष बीत जाने के बाद भी परियोजना अभी तक अधर में लटकी हुई है।