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जनभागीदारी से सिरसा का विकास-6

वर्ष 1992 से 1996 के बीच जनभागीदारी से कुमारी सैलजा ने करवाए अनेक विकास कार्य
 
Homeकाम की बात जनभागीदारी से सिरसा का विकास-5

सिरसा जिला शैक्षणिक रूप से चाहे पिछड़ा हुआ है, मगर आर्थिक रूप व सामाजिक रूप से सिरसा के लोग न केवल अपने स्तर पर समाज में कार्य करते हैं बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों व सरकारों की भी मदद करते आए हैं। 1 सितंबर 1975 को सिरसा जिला बनने के बाद जहां सरकारों द्वारा विकास कार्य आरंभ किए गए, वहीं सिरसा के लोगों ने अपने स्तर पर शैक्षणिक संस्थान व सामाजिक संस्थान स्थापित किए। सिरसा एजुकेशन सोसायटी जिसका गठन 1956 में हुआ, द्वारा सिरसा में पहला महाविद्यालय आरंभ किया गया। बाद में यह राजकीय महाविद्यालय बना व इस सोसायटी द्वारा 1975 में सीएमके कॉलेज की स्थापना की गई, जिसके अंतर्गत चार संस्थान चलाए जा हैं, इनमें से एक संस्थान श्रमिक विद्यापीठ की स्थापना कुमारी सैलजा के समय में हुई। इसी प्रकार सिरसा का जनता भवन स्व. रूपचंद डूंगा-बूंगा एवं सिरसा अनाजमंडी के व्यापारियों द्वारा एकत्रित की गई धनराशि से बनकर तैयार हुआ। आरएसडी उच्च विद्यालय खजांची परिवार द्वारा, आर्य सीनियर सेकंडरी स्कूल, आर्य गल्र्स स्कूल, आर्य प्राथमिक विद्यालय का संचालन वर्षों से डॉ. आरएस सांगवान द्वारा किया जा रहा है, वहीं इन विद्यालयों में स्व. सेठ नंद लाल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नौरंग सिंह का योगदान मुख्य रूप से है। गुरुनानक चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत गुरु नानक उच्च विद्यालय का संचालन स. सुरेंद्र सिंह वैदवाला एवं अन्य लोगों द्वारा किया जा रहा है। इसी प्रकार सेठ तुलाराम झूंथरा धर्मशाला में झूंथरा परिवार की प्रमुख भूमिका है, सिरसा की ये परियोजनाएं जनभागीदारी के उत्कृष्ट नमूने हैं। 2 जुलाई 1992 को जब सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा को केंद्रीय कैबिनेट में उप शिक्षा मंत्री बनाया गया तो सिरसा के लोगों ने अपने आप सरकारी विकास कार्यों में सहयोग देने की ऑफर की। कुमारी सैलजा के साथ-साथ उस समय के उपायुक्त श्री पी. राघवेंद्र राव ने जनता का भरपूर सहयोग लिया व उनके समय में दर्जनों ऐसे कार्य हुए तो उस समय असंभव लगते थे।

कुमारी सैलजा के मंत्री बनते ही आरंभ हुए विकास कार्य
वर्ष 1991 के संसदीय चुनाव में देश की सबसे छोटी आयु की सांसद कुमारी सैलजा ने सिरसा का प्रतिनिधित्व करना आरंभ किया। 2 जुलाई 1992 को कुमारी सैलजा को स्व. पी.वी. नरसिम्हा राव मंत्रिमंडल में उप शिक्षा मंत्री बनाया गया। उनके मंत्री बनते ही उनके समक्ष जो भी विकास से संबंधित विषय सिरसा के लोगों विशेषकर लेखक सुरेंद्र भाटिया द्वारा रखे गए, उन्हें पूरा करने में उन्होंने पूरा प्रयास किया। आज चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय भव्य रूप ले रहा है, उसकी शुरुआत 20 सितंबर 1992 को कुमारी सैलजा द्वारा सिरसा में क्षेत्रीय केंद्र खोलने के निर्देश जारी करने से हुई। विस्तृत रूप से  जनभागीदारी के कारण सिरसा में स्थापित हुआ चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय अध्याय में पढ़ें। वर्ष 1993 में चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम बिना सरकारी मदद के जनभागीदारी से आरंभ हुआ, आज यह इंडोर स्टेडियम प्रदेश के बड़े इंडोर स्टेडियम में है। इसकी पूरी कहानी स्टेडियम से संबंधित लेख में पढ़े। सिरसा में श्रमिक विद्यापीठ की स्थापना भी कुमारी सैलजा के समय में हुई। इस संबंध में भी पुस्तक में लेख प्रकाशित है। इसी प्रकार प्रयास, कस्तूरबा गांधी वृद्धाश्रम का निर्माण भी कुमारी सैलजा के समय में जनभागीदारी से आरंभ हुआ। इससे संबंधित लेखक ने एक विशेष बच्ची के कारण सिरसा में बनी तीन संस्थाएं प्रकाशित किया हुआ है। 

सिरसा के सीएमके कॉलेज में इंडोर स्टेडियम व जीवननगर में जनभागीदारी से बना हॉकी स्टेडियम
वर्ष 1993 में कुमारी सैलजा के पास शिक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सांस्कृतिक मामलों का विभाग भी आ गया था तथा वे उस समय मानव संसाधन विभाग में राज्यमंत्री बन गई थीं। इस दौरान स्थानीय सीएमके कॉलेज को संचालित करने वाली सोसायटी दि सिरसा सोशल वेल्फेयर सोसायटी ने उनके समक्ष सीएमके महिला महाविद्यालय में इंडोर स्टेडियम के निर्माण में सहयोग करने का आग्रह किया। कुमारी सैलजा ने लेखक सुरेंद्र भाटिया को इस संबंध में आवश्यक योजना सीएमके कॉलेज को उपलब्ध करवाने व स्टेडियम के निर्माण में तालमेल करने की जिम्मेदारी सौंपी। सीएमके कॉलेज की ओर से श्री प्रवीण बागला, श्री ओ.पी. मदान व लेखक श्री सुरेंद्र भाटिया ने लुधियाना व चंडीगढ़ के कुछ महाविद्यालयों में जाकर बहुउद्देशीय हॉल की जानकारी ली व एक योजना बनाकर जिला प्रशासन के माध्यम से हरियाणा सरकार को भेजी। हरियाणा सरकार द्वारा निदेशक खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अवर सचिव को पत्र संख्या 3644 दिनांक 23 फरवरी 1994 को भेजा गया, जिसके बाद भारत सरकार द्वारा सीएमके कॉलेज में इंडोर स्टेडियम के निर्माण के लिए 12.50 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई। इतनी ही राशि सिरसा के मूल निवासी व दिल्ली में रहने वाले गंडा परिवार ने अपने पिता सोमनाथ गंडा की याद में देने का निर्णय लिया। जिसके बाद सीएमके कॉलेज में सोमनाथ गंडा इंडोर स्टेडियम का निर्माण आरंभ हुआ व आज इस स्टेडियम को बहुउद्देशीय हॉल के रूप में परिवर्तित किया गया है व संभवत: यह किसी भी महिला कॉलेज में बना सबसे बड़ा बहुउद्देशीय हॉल है। इसी प्रकार सिरसा से 30 किलोमीटर दूर श्री जीवननगर जो अनेक हॉकी ओलिंपियन पैदा कर चुका है, जहां हॉकी स्टेडियम न होने के कारण सिरसा के बच्चों को पंजाब के भैणी साहब में महीनों तक रहना पड़ता था। श्री जीवननगर में जब कुमारी सैलजा महाविद्यालय पहुंची तो प्रबंध समिति व नामधारी समाज के प्रमुख लोगों द्वारा कुमारी सैलजा के समक्ष श्री जीवननगर में हॉकी स्टेडियम बनाने की मांग रखी गई व इसके लिए भूमि नि:शुल्क प्रदान करने का प्रस्ताव दिया गया। नामधारी समाज द्वारा हॉकी स्टेडियम के लिए परियोजना बनाने की जिम्मेदारी उस समय के प्राचार्य श्री विजय सभ्रवाल व लेखक सुरेंद्र भाटिया को दी गई जिसके बाद एक योजना बनाकर भारत सरकार को भेजी गई। भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने इस हॉकी स्टेडियम के लिए 12 लाख रुपए स्वीकृति से पूर्व हरियाणा सरकार से कुछ जानकारियां मांगी। इस संबंध में प्रदेश सरकार को फाइल नंबर 10-9/93-59-7 दिनांक 24 फरवरी 1994 को पत्र लिखा। इसकी जानकारी प्राप्त होने के बाद दिनांक 21 जुलाई 1994 को भारत सरकार द्वारा सिरसा के उपायुक्त व स्टेडियम कमेटी के अध्यक्ष को जीवननगर में स्टेडियम बनाने के लिए 12 लाख रुपए राशि की स्वीकृति प्रदान की। स्मरण रहे कि श्री जीवननगर से संबंधित ओलंपियन दीदार सिंह के अतिरिक्त सरदारा सिंह लंबे समय तक भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे हैं। उनके अतिरिक्त श्री जीवननगर की नामधारी इलेवन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त टीम रही है।

स्व. लीलाधर दुखी संग्रहालय का बालभवन में हुआ निर्माण 
सिरसा के बालभवन को विकसित करने के लिए कुमारी सैलजा ने अनेक प्रयास किए, जिनमें सिरसा के बालभवन में टॉय ट्रेन की स्थापना करना, भारतीय वायुसेना से मिग-21 विमान को बाल भवन में स्थापित करना, बाल भवन में विज्ञान केंद्र का निर्माण करना के साथ-साथ सिरसा के सुप्रसिद्ध इतिहासकार स्व. लीलाधर दुखी की याद में पुरातन वस्तुओं के प्रदर्शन के लिए संग्रहालय के निर्माण की भी भारत सरकार से स्वीकृति प्रदान करवाई। स्व. लीलाधर दुखी संग्रहालय के लिए 11 लाख रुपए की राशि संस्कृति मंत्रालय द्वारा दी गई। वर्ष 1997 में जब कुमारी सैलजा सिरसा की सांसद थीं। देश में कांग्रेस सरकार के स्थान पर मिली जुली सरकार चल रही थी, लेकिन फिर भी वे सिरसा के लोगों के लिए प्रयासरत थीं, इसी प्रयास के दौरान सिरसा के तत्कालीन उपायुक्त स्व. श्री वी. पाणीग्रही के मार्गदर्शन में सिरसा के बालभवन में एक संग्रहालय का निर्माण किया गया जिसमें जीवनभर स्व. लीलाधर दुखी द्वारा संग्रहीत पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया। हालांकि यह संग्रहालय बहुत दिनों तक नहीं चला व अब भी संग्रहालय की वस्तुओं को कुछ अलमारियों में बंद करके रखा हुआ है। कुमारी सैलजा के समय लगाई गई टॉय ट्रेन भी रखरखाव की कमी के कारण बंद हो चुकी है तथा विज्ञान केंद्र भी बंद हो चुका है। मगर अभी भी सिरसा के बाल भवन में स्थापित मिग-21 विमान आकर्षण का केंद्र है।