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जनभागीदारी से सिरसा का विकास-5

जनभागीदारी के कारण सिरसा में स्थापित हुआ चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय
 
जनभागीदारी से सिरसा का विकास-4

जनता अगर जागरूक हो तो कोई भी सरकार उस क्षेत्र के साथ भेदभाव नहीं कर सकती। सिरसा में चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय की स्थापना इसका जीता जागता प्रमाण है। सिरसा की जनता अगर जागरूक न होती तो सिरसा में चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय का निर्माण वर्ष 2003 में असंभव था। हरियाणा विधानसभा द्वारा 3 अप्रैल 2003 को एक अधिसूचना जारी करके सिरसा में चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। आज यह विश्वविद्यालय एक भव्य रूप ले चुका है। परंतु इसके विकास की कहानी दिलचस्प होने के साथ-साथ राजनीतिक द्वंद्व से परिपूर्ण है और जिसके कारण शिक्षा के इस मंदिर को विकसित होने में लगभग तीस वर्ष लग गए। यदि राजनीतिक नेताओं की आपसी द्वंदता व क्षेत्रवाद न होता तो शायद यह विश्वविद्यालय 20वीं शताब्दी में भव्य रूप ले चुका होता। इस विश्वविद्यालय की यात्रा 13 जनवरी 1990 को आरंभ हुई, जब सिरसा के सीएमके कॉलेज के एक कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. ओमप्रकाश चौटाला व शिक्षा मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र को सिरसा में स्थापित करने की घोषणा की। दुर्भाग्यवश उस समय प्रदेश का वातवरण राजनीतिक रूप से सही नहीं था तथा पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को तीन बार अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा था, जिसके कारण यह क्षेत्रीय केंद्र 1992 तक सिरसा में स्थापित नहीं हो पाया। 1991 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के नए कुलपति सर्वानंद आर्य ने कार्यभार संभाला जो प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. भजन लाल के नजदीक थे। उन्होंने मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए राजकीय महाविद्यालय आदमपुर के परिसर में क्षेत्रीय केंद्र खोलने का निर्णय लिया। विश्वविद्यालय कार्यकारिणी (ईसी) की बैठक में एक प्रस्ताव पारित करके सिरसा के स्थान पर आदमपुर में क्षेत्रीय केंद्र बनाने का प्रस्ताव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को 1992 में भेज दिया। जब इसकी जानकारी सिरसा के लोगों को मिली तो लेखक श्री सुरेंद्र भाटिया व नागरिक परिषद के अध्यक्ष श्री जगदीश चोपड़ा ने उस समय की सिरसा की सांसद व तत्कालीन उप शिक्षा मंत्री कुमारी सैलजा तक बात पहुंचाई व उनके प्रयासों से 11 दिसंबर 1992 को सिरसा में क्षेत्रीय केंद्र की घोषणा हुई, मगर प्रदेश के मुख्यमंत्री भजन लाल ने अपने कार्यकाल में सिरसा के रिजनल सेंटर को आरंभ नहीं होने दिया हालांकि फूलकां गांव की पंचायत द्वारा 1993 में 100 एकड़ भूमि क्षेत्रीय केंद्र के लिए प्रदान कर दी थी। प्रदेश में वर्ष 2000 में जब चौटाला सरकार अस्तित्व में आई तो सिरसा में क्षेत्रीय केंद्र आरंभ हुआ। यही क्षेत्रीय केंद्र बाद में चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित हुआ।

हरियाणा विधानसभा में पारित हुआ चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय का अधिनियम
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के जिस क्षेत्रीय केंद्र को राजनीतिक विद्वेष के कारण भजन लाल सरकार ने आरंभ नहीं होने दिया और 13 दिसंबर 1990 को सिरसा में घोषित हुआ था तथा सिरसा में ही 11 दिसंबर 1992 को सिरसा व हिसार क्षेत्रीय केंद्र घोषित करने के बाद एक नवंबर 1995 को हिसार क्षेत्रीय केंद्र को गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के रूप में स्थाािपत कर दिया था। वहीं सिरसा क्षेत्रीय केंद्र 13 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद 2 अप्रैल 2003 को हरियाणा विधानसभा में रखे गए अधिनियम नंबर चैप्टर 12, 1925 साका  के अंतर्गत विश्वविद्यालय का रूप लेने जा रहा था। विधानसभा में इस अधिनियम का नाम चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा एक्ट 2003 रखा गया। यह अधिनियम हरियाणा सरकार की ओर से श्री आरएस मदान, सचिव, हरियाणा सरकार विधि विभाग द्वारा तैयार किया गया। प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालय का रूप देते हुए हरियाणा के कुल 6 जिलों के महाविद्यालयों को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से हटाकर इस विश्वविद्यालय से संबंधित कर दिया जिनमें सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी व महेंद्रगढ़ जिले शामिल थे। 

केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने किया विश्वविद्यालय का उद्घाटन
अन्तत: सिरसा जिला के साथ-साथ आसपास के सैकड़ों गांव के लोगों की आशा पूर्ण हुई व 6 अप्रैल 2003 को  सिरसा स्थित कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र को चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया। तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने हरियाणा के माननीय राज्यपाल परमानंद एवं मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की उपस्थिति में इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर चौ. देवीलाल की प्रतिमा का भी अनावरण विश्वविद्यालय परिसर में किया गया जो विश्वविद्यालय के फैकल्टी हाउस व विश्वविद्यालय में कुलपति के निवास स्थान के समक्ष मुख्य सड़क पर स्थापित की गई। एक ही टीचिंग ब्लॉक से चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय का काम आरंभ हुआ। लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता पीके रंजन की देखरेख में टीचिंग ब्लॉक के साथ-साथ गेस्ट हाउस व विश्वविद्यालय के अन्य भवनों का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के रूप में सिरसा को एक विश्वविद्यालय मिला तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2003 में नए दाखिले लेने वाले विद्यार्थियों को चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के साथ जोड़ा गया, जबकि शेष विद्यार्थी स्नातक डिग्री लेने तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से संबंधित रहे। 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पहली कैबिनेट बैठक में चौ. देवीलाल यूनिवर्सिटी का स्तर घटाया
6 अप्रैल 2003 को चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय का उद्घाटन होने के बाद विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य आरंभ हुआ तथा चौटाला सरकार ने करोडों़ रुपए की ग्रांट वर्ष 2004-05 में चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय को प्रदान की। इस अवधि में टीचिंग ब्लॉक के साथ-साथ फैकल्टी हाउस व विश्वविद्यालय कुलपति के निवास स्थान के अतिरिक्त प्राध्यापकों के लिए आवासीय खंड का भी निर्माण हुआ। मार्च 2005 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए जिसमें  चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। मार्च के तीसरे सप्ताह में हुड्डा कैबिनेट की पहली बैठक में चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय का दर्जा घटा दिया गया। इस विश्वविद्यालय को एफिलेटिड विश्वविद्यालय के स्थान पर कैंपस विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान कर दिया गया। 

शिक्षा बचाओ समिति द्वारा पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर की याचिका
हरियाणा सरकार द्वारा चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के साथ किए जा रहे भेदभाव के विरुद्ध सिरसा के लोगों ने शिक्षा बचाओ समिति के माध्यम से उपायुक्त सिरसा, उद्योगमंत्री लछमण दास अरोड़ा, योजना आयोग के उपाध्यक्ष चौ. रणजीत सिंह, मुख्यमंत्री हरियाणा चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश के महामहिम राज्यपाल ए.आर. किदवई, देश के उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत से व्यक्तिगत रूप से मिलकर गुहार लगाई। सिरसा के लोगों ने इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति को एक ज्ञापन 27 जून 2008 को सिरसा के उपायुक्त के माध्यम से भेजा तथा मिलने का भी समय मांगा। इतना सब होने के बावजूद सिरसा की जनता को न्याय नहीं मिला। आखिर शिक्षा बचाओ समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया कि चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के संबंध में एक याचिका पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय में में डाली जाए। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में सिरसा से संबंधित एडवोकेट राजेश सेठी ने अपनी सेवाएं नि:शुल्क प्रदान कीं। सिरसा से संबंधित वरिष्ठ लोगों ने भी शिक्षा बचाओ समिति का साथ देते हुए इस याचिका के लिए पार्टी बनना स्वीकार किया जिसमें पब्लिक सर्विस कमीशन के पूर्व चेयरमैन श्री एलडी मेहता सहित सर्व श्री जगदीश चोपड़ा, सुरेंद्र भाटिया, डॉ. गुलाब सिंह, रमेश गोयल, आनंद बियानी, डॉ. वेद बैनीवाल, सी.आर. कसवां, रमेश मेहता, डी.आर. नागपाल, हीरा लाल, गुरदयाल मेहता, अरुण मेहता, हरबंस नारंग व बलजीत सिंह शामिल थे। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेश सेठी की ओर से 28 अगस्त 2006 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में इस विषय में याचिका दायर की गई। इस याचिका के बाद हरियाणा सरकार द्वारा चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय को अनुदान देने का शपथ पत्र पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दिया। इसके बाद यह विश्वविद्यालय धीरे-धीरे विकास की गति पर चला व आज घोषणा के 32 वर्षों बाद यह विश्वविद्यालय देश के विश्वविद्यालयों के मानचित्र पर उभरने लगा है।