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जनभागीदारी से सिरसा का विकास-14

नागरिक परिषद के प्रयासों के बावजूद जो काम आज तक नहीं हुए
 

सिरसा में जनभागीदारी से अनेक छोटे-बड़े काम हुए मगर मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बावजूद अनेक काम ऐसे भी हैं जो आज तक नहीं हो पाए। अगर ये काम हो जाते तो सिरसा के लोगों की परेशानियां कुछ कम होती। यही नहीं सरकार को भी सैकड़ों करोड़ के राजस्व की प्राप्ति होती। हम यहां ऐसे कुछ कार्यों का उल्लेख कर रहे हैं जिनकी विभिन्न सरकारों द्वारा घोषणा की गई, मगर लाल फीताशाही, अधिकारियों व सत्ता में बैठे राजनेताओं की लापरवाही से नहीं हो पाए। ऐसे प्रमुख कार्यों में सिरसा नगर के रेलवे स्टेशन के पास पुरानी कोर्ट रोड पर एक मल्टी कॉम्पलैक्स, पार्क व पार्किंग का निर्माण किया जाना था। सबसे दुखदायी बात यह है कि इसकी घोषणा गत 20 वर्षों में तीन मुख्यमंत्रियों द्वारा की गई। वर्ष 2002 में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, 2013 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा वर्ष 2015 में इसकी घोषणा की गई। लगभग 10 एकड़ भूमि में यह कॉम्पलैक्स बनना था जिसमें से पुरानी नहर कॉलोनी, पुराना डीसी ऑफिस व पुराना सदर थाना शामिल है। 2016-17 में नहर विभाग को हुडा द्वारा सिरसा की बरनाला रोड पर 10 एकड़ भूमि दे दी गई थी जिसके बदले यह भूमि हुडा को मिलनी थी, मगर यह योजना भी अधिकारियों की लापरवाही से अधर में लटक गई तथा आज तक यह योजना पूरी नहीं हो पाई। अगर यह योजना पूरी होती तो इससे हुडा को कम से कम 100 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति होती तथा शहर को रेलवे स्टेशन के नजदीक एक बड़ी पार्किंग व पार्क उपलब्ध होता। इसके अतिरिक्त दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सिरसा के बीचोंबीच पार्किंग समस्या को हल करने के लिए सिरसा के पुराने स्कूलों व पुराने थाने की जगह पर बहु मंजिल पार्किंग बनाने की घोषणा की थी। इस घोषणा को भी लगभग 7 वर्ष पूरे हो चुके हैं, मगर अभी तक कोई काम नहीं हुआ। वर्ष 2018 में सिरसा के पंजाब पैलेस में जब प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल आए तो उनके समक्ष सिरसा के बाजेकां से जमाल रोड तक एक मिनी बाइपास खाजाखेड़ा माइनर पर बनाया जाना था। इसके लिए भूमि उपलब्ध थी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए 10 करोड़ रुपए की घोषणा की, मगर अधिकारियों ने इसे नॉट फिजिबल करते हुए कहा कि उस नहर की चौड़ाई 33 फुट से कम है तथा लोक निर्माण विभाग इससे कम भूमि पर सड़क का निर्माण नहीं करता। जबकि अभी भी पूरे प्रदेश में विभिन्न गांवों को जोडऩे वाली सड़के 18 फुट चौड़ी हैं। इस सड़क का निर्माण मार्केटिंग बोर्ड से करवाया जा सकता था, मगर न तो अधिकारियों ने और न ही राजनेताओं ने इस ओर ध्यान दिया। 20 अगस्त 2015 को मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा सिरसा नगर के बीचोंबीच गुजरती राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 9 के दोनों ओर टायल ट्रेसिंग के लिए 5 करोड़ रुपए की घोषणा की थी। इस काम का बकायदा टेंडर किया गया व कुछ स्थानों पर टायल ट्रेसिंग भी की गई। मगर नगर परिषद के भ्रष्टाचार के कारण यह काम आज तक पूरा नहीं हो पाया। सिरसा नगर परिषद का सालाना बजट 100 करोड़ रुपए के लगभग है मगर उसका पिछले 42 वर्षों से अपना स्थायी कार्यालय नहीं है। पुरानी कमेटी वाली गली से 1980 के दशक में यह कार्यालय पुराने सिविल अस्पताल के स्थान पर गया। कुछ वर्ष वहां रहने के बाद पुरानी कचहरी के पुराने जर्जर भवन में इसे तब्दील किया गया। इस बीच वर्ष 2002 में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला द्वारा सिरसा की हिसार रोड पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खैरपुर स्कूल के साथ लगती 2 एकड़ भूमि पर नगर परिषद भवन का शिलान्यास किया। वर्ष 2018 में वर्तमान मुख्यमंत्री ने नगर परिषद के लिए 10 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की, मगर आज तक नगर परिषद भवन की कोई योजना नहीं बनी। वर्ष 2022 में पुरानी कचहरी वाले भवन की छतें गिरने के बाद नगर परिषद एक बार फिर सिरसा नगर के बीचोंबीच पुराने गल्र्स स्कूल के भवन में स्थानांतरित कर दी गई। 

नागरिक परिषद की जिन मांगों पर सरकार ने विचार नहीं किया

नागरिक परिषद सिरसा द्वारा 10 अप्रैल 2015 को हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को एक ज्ञापन देते हुए सिरसा में बागवानी विश्वविद्यालय स्थापित करने की मांग की। इसके लिए सिरसा में स्थान भी उपलब्ध था तथा सिरसा में  सरकारी आंकड़ों के अनुसार हरियाणा का सबसे अधिक फलों का उत्पादन होता था। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2015 से पूर्व प्रदेश के कुल क्षेत्रफल के अनुपात पर बागों का क्षेत्रफल 19.10 प्रतिशत सिरसा जिला में है तथा उत्पादन के मामले में प्रदेश के 24 प्रतिशत फलों का उत्पादन सिरसा जिला में होता है। नागरिक परिषद सिरसा ने इसके लिए मांगेआना गांव में बागवानी विभाग द्वारा इजराइल की मदद से चलाए जा रहे उत्कृष्ट बागवानी केंद्र को विश्वविद्यालय में तब्दील करने का सुझाव दिया था, मगर सरकार ने राजनीतिक कारणों से इसे करनाल में स्थापित करना उचित समझा। 

सिरसा के ए, बी, सी, डी, ई ब्लॉक नगर परिषद को देने की मांग उठाई

नागरिक परिषद द्वारा 8 जून 2015 को मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजकर सिरसा के ए, बी, सी, डी, ई ब्लॉक की देखरेख नगर परिषद को देने की मांग उठाई। इन ब्लॉकों की स्थापना 1970 के दशक में हुई थी तथा उस समय इन ब्लॉकों की स्थिति दयनीय थी। मंडी टाउनशिप से 1987 में इस आवासीय क्षेत्र का रिकॉर्ड हुडा को स्थानांतरित हुआ, मगर हुडा ने इस रिकॉर्ड को दुरुस्त नहीं किया जिस कारण 40 वर्षों से बने मकानों को भी खाली प्लॉट दिखाकर उस पर करोड़ों रुपए एक्सटेंशन फीस लगाई हुई थी। तीन वर्ष पूर्व सरकार ने यह मांग तो मानी मगर आज तक हुडा से नगर परिषद को इस रिकॉर्ड स्थानांतरित नहीं हुआ, जिस कारण इस क्षेत्र के लोगों को अभी भी अपने मकानों की एनओसी लेने व एक के स्थान पर दूसरे को स्थानांतरित करने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

हॉकी खिलाड़ी सविता पूनिया के लिए सरकारी नौकरी की मांग की

नागरिक परिषद द्वारा वर्तमान में भारतीय हॉकी टीम की कप्तान सविता पूनिया के लिए 16 जुलाई 2015 को सरकारी नौकरी देने की मांग का एक ज्ञापन मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेजा गया। वर्ष 2013 में महिला हॉकी टीम ने एशिया कप में कांस्य पदक जीता था तथा सविता पूनियां को एशिया कप की बेस्ट गोलकीपर माना गया था। उस समय कांग्रेस सरकार ने सविता पूनिया को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था लेकिन नौकरी अभी तक नहीं मिली। हालांकि प्रदेश सरकार ने ओलंपिक खेलों में महिला हॉकी टीम के चौथे स्थान व कॉमनवेल्थ में तीसरे स्थान पर रहने पर टीम को नकद पुरस्कार राशि प्रदान की है। 

हुडा की ग्रीन बैल्ट में फलों के बाग विकसित करने की मांग

नागरिक परिषद सिरसा द्वारा हरियाणा नगर योजनाकार के आयुक्त एवं हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 24 जुलाई 2015 को एक पत्र लिखकर हरियाणा सरकार को एक सुझाव दिया कि विभिन्न नगरों की ग्रीन बैल्टों में फलों के पौधे लगाए जाए, जैसे कि चंडीगढ़ की विभिन्न सड़कों के साथ उपलब्ध भूमि पर आम व लीची के बाग लगे हुए हैं। इसी प्रकार प्रदेश के विभिन्न नगरों की हजारों एकड़ ग्रीन बैल्ट के लिए छोड़ी गई भूमि पर फलों के पौधे लगाकर उन्हें विकसित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए सिरसा के डबवाली रोड से सिविल अस्पताल तक लगभग 80 एकड़ भूमि की ग्रीन बैल्ट में से 50 प्रतिशत खाली पड़ी है तथा हुडा के चारों ओर विशेषकर सेक्टर-19 व 20 के पूर्व में लगभग आधा एकड़ चौड़ी व दो किलोमीटर लंबी ग्रीन बैल्ट है। इसी प्रकार प्रदेश के अन्य शहरों में भी सैकड़ों एकड़ ग्रीन बैल्ट उपलब्ध है। अगर नागरिक परिषद के इस सुझाव पर सरकार अमल करती तो उसे प्रति वर्ष करोड़ों रुपयों की राशि प्राप्त हो सकती थी। 

प्रदेश में शहरी ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों को वैध करने के संबंध में

नागरिक परिषद सिरसा द्वारा 26 जुलाई 2015 को मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन देकर प्रदेश के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में नजूल भूमि, वक्फ भूमि व पंचायती भूमि पर वर्षों से काबिज लोगों के कब्जे को वैध करने की मांग उठाई। नागरिक परिषद ने इसमें सुझाव दिया कि अगर सरकार एक समय सीमा को निर्धारित करके (उदाहरण के तौर पर जिस भूमि पर 20 वर्षों से अधिक समय से कब्जा है उसे खाली करवाना संभव नहीं है।) उसकी नीति बनाकर क्लेक्टर रेट के अनुसार लोगों को उसका मालिकाना हक दे। हालांकि सरकार ने वर्ष 2021-22 में इस संबंध में एक नीति बनाई, मगर अभी तक उस समय अमल नहीं किया गया। अनेक लोग 20 से 40 वर्षों से विशेषकर शहरी क्षेत्रों में नजूल व वक्फ की भूमि पर काबिज है। वह सरकार को भूमि के कलेक्टर रेट अथवा सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर पैसे भी देना चाहते हैं। मगर सरकार की कोई नीति न होने के कारण अभी तक इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रदेश के हर नगर में सैकड़ों एकड़ भूमि लोगों के कब्जे में है। कुछ वर्ष पूर्व एक आरटीआई में खुलासा हुआ था कि सिरसा नगर में 84 प्रतिशत सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे हैं। 

प्रदेश में अवैध सीवर व पानी के कनेक्शनों को वैध करने के संबंध में 

देश में जल मिशन के अंतर्गत हर घर नल हर घर जल की योजना के तहत देश के सभी लोगों को स्वच्छ पेयजल देने के प्रयास किए जा रहे हैं, मगर अधिकारियों की लापरवाही के चलते अधिकांश शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में पानी व सीवर के अवैध कनेक्शन लगे हुए हैं। अवैध कनेक्शनों के कारण सरकार को करोड़ों रुपए प्रति माह की क्षति उठानी पड़ रही है। सरकार अगर पुराने पानी व सीवर के बिलों को माफ करके भविष्य में पानी व सीवर के बिल वसूलना आरंभ कर दे तो शायद लोग पानी व सीवर के अवैध कनेक्शनों को वैध कर लें। इसी प्रकार का सुझाव नागरिक परिषद द्वारा मुख्यमंत्री को 26 जुलाई 2015 को एक ज्ञापन के माध्यम से दिया गया। 

सिरसा के नागरिक अस्पताल में कैंसर का उपचार आरंभ करने के संबंध में

प्रदेश सरकार हर जिले में मेडिकल कॉलेज की घोषणा पिछले आठ वर्षों से कर रही है। सिरसा नागरिक परिषद ने जब तक मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार नहीं होता, तब तक सिरसा के सिविल अस्पताल में कैंसर उपचार आरंभ करने के लिए 27 अगस्त 2016 को प्रदेश के मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को एक ज्ञापन भेजा था क्योंकि सिरसा जिला में कपास बैल्ट व घग्घर नदी के प्रदूषित होने के कारण प्रति वर्ष कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है व 2016 में सिरसा जिला में 3000 कैंसर के मरीजों की जानकारी उपलब्ध हुई थी जिन्हें बीकानेर, हिसार, जयपुर जाना पड़ता है। बठिंडा-डबवाली-बीकानेर तक चलने वाली एक रेलगाड़ी को इस क्षेत्र के लोग कैंसर ट्रेन के नाम से जानते हैं।

मंडी टाउनशिप में स्वीकृत कार्य बीच में रोके

अधिकारी किस ढंग से काम करते हैं, इसका एक उदाहरण वर्ष 2015 में मंडी टाउनशिप के लिए तब के मुख्य प्रशासक पी. राघवेंद्र राव द्वारा स्वीकृत 5 करोड़ रुपए की राशि के कार्यों को वर्ष 2016 में बीच में ही रोक दिया गया। वास्तव में 6 नवंबर 2015 को इन कार्यों को स्वीकृत किया गया था। बकायदा हिसार हुडा के प्रशासक को इस संबंध में सूचित किया गया व 5 करोड़ रुपए की राशि भी भेज दी गई। मगर हुडा द्वारा वर्ष 2016 में इन कामों को बीच में रोक दिया गया। नागरिक परिषद द्वारा प्रशासक को इस संबंध में 16 दिसंबर 2016 को एक पत्र लिखकर इन अधूरे कामों को बीच में रोकने की जानकारी दी गई। अधिकारियों ने चंडीगढ़ से हिसार व हिसार से सिरसा पत्र व्यवहार किया। मगर कामों को पूरा नहीं किया।