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जनभागीदारी से सिरसा का विकास-13

सीएम विंडो के माध्यम से किसानों को मुआवजे के 65 करोड़ रुपए वितरित हुए
 
जनभागीदारी से सिरसा का विकास-13

हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश में सत्ता में आने के बाद आम लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए सीएम विंडो के नाम पर जन समस्याओं के हल के लिए ऑनलाइन प्रणाली विकसित की गई। जिसके माध्यम से प्रदेश का कोई भी नागरिक अपनी समस्या को मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा सकता है। सीएम विंडो के माध्यम से अनेक लोगों की शिकायतों को दूर किया जा रहा है हालांकि अधिकारियों की लापरवाही के चलते अनेक लोग सीएम विंडो में भी गड़बड़ी की शिकायतें करते हैं तथा उनका यह कहना है कि उनकी समस्याएं दूर नहीं होती। भारत सरकार द्वारा हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, डबवाली राष्ट्रीय राजमार्ग को चारमार्गीय बनाने के लिए अप्रैल-मई 2015 में सिरसा जिला में भूमि का अधिग्रहण किया गया, उसमें सिरसा जिला के 17 गांवों के किसानों को अधिकारियों की लापरवाही के चलते 65 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि कम दी गई। जब इस संबंध में लेखक द्वारा आरटीआई के माध्यम से जनसूचना अधिकारी एवं राजस्व अधिकारी से सूचना मांगी तो अपने पत्र क्रमांक 3159 एनएच-10 दिनांक 18.12.2017 के माध्यम से यह जानकारी दी कि सिरसा जिला के 31 गांवों की भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 9 में अधिकृत की गई। राष्ट्रीय राजमार्ग 9 को चारमार्गीय करने के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में 1.1.2015 में लागू हुआ।

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जिला राजस्व अधिकारी द्वारा अप्रैल-मई 2015 में जब भूमि अधिग्रहण की गई तो अधिकारियों ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की पूरी जानकारी लिए बिना अवार्ड घोषित कर दिया। पांच जून 2015 से पूर्व 17 गांव के अवार्ड घोषित किए गए तथा इन गांवों के अवार्डों में बड़ी त्रुटि छोड़ते हुए 100 प्रतिशत सुलेशियम राशि की अदायगी करने के स्थान पर 30 प्रतिशत की राशि दी गई। आरटीआई के माध्यम से जिला राजस्व अधिकारी ने अपनी गलती को छुपाते हुए यह तर्क दिया कि उन्हें परियोजना निदेशक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण हिसार द्वारा 4 जून 2015 को सुलेशियम की राशि 100 प्रतिशत देने के निर्देश दिये।  वर्ष 2013 का अधिनियम 1 जनवरी 2015 में लागू होने के बावजूद सिरसा जिला के 31 गांवों में से 17 गांवों पतली डाबर, नरेलखेड़ा, मौजूखेड़ा, भावदीन, सुचान, कोटली, मोरीवाला, शाकरखेड़ा, सिकन्दरपुर, छतरियां, रघुआना, बाजेकां, रामनगर, सालमखेड़ा, झोपड़ा, किंगरे, पन्नीवाला रुलदू के किसानों को 100 प्रतिशत सुलेशियम राशि के स्थान पर 30 प्रतिशत राशि दी गई।  जिला राजस्व अधिकारी सिरसा की इस गलती के कारण 17 गांवों के लगभग 200 किसान बार-बार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के समक्ष गुहार लगाते रहे कि उन्हें अधिनियम के अनुसार शेष राशि प्रदान की जाए। यहां तक कि मुआवजा राशि के लिए सैकड़ों किसानों ने उपायुक्त की अदालत में याचिकाएं दायर करके भी मुआवजा राशि अधिनियम के अनुसार प्रदान करने की मांग रखी। मगर किसानों को लगभग 6 वर्ष तक तारीख पर तारीख मिलती रही। इस बीच लेखक द्वारा केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, सिरसा सांसद श्रीमती सुनीता दुग्गल को पत्र लिखे गए। मगर कोई नतीजा नहीं निकला। इस बीच लेखक द्वारा सीएम विंडो के माध्यम से 17 गांवों के किसानों को मुआवजा देने की मांग रखी। यह सीएम विंडो 18 नवंबर 2019 को सीएमऑफिस/2019/129295 के अंतर्गत सिरसा के लघु सचिवालय में स्थित ई-दिशा के माध्यम से लगाई गई। हालांकि सीएम विंडो के माध्यम से रखी गई समस्या को दूर करने के लिए 30 दिन का समय निर्धारित है, मगर यह सीएम विंडो अधिकारियों द्वारा लगभग 13 माह 6 दिन बाद 24.12.2020 को बंद करते हुए 17 गांवों के लोगों को 30 प्रतिशत के स्थान 100 प्रतिशत सुलेशियम राशि देने पर सहमति व्यक्त की। इस सीएम विंडो के माध्यम से 17 गांवों के सैकड़ों किसानों में 65 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई। इस प्रकार सीएम विंडो के माध्यम से 6 वर्ष बाद किसानों को न्याय मिला।