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कोरिया के बौद्ध धम्मयात्रा का वाराणसी से शुभारम्भ गर्व का विषय: डॉ दयाशंकर मिश्र

—कोरिया गणराज्य के 108 बौद्ध तीर्थयात्रियों का राज्यमंत्री ने किया स्वागत, दल ने धम्मेक स्तूप पर पूजा की
—तीर्थयात्री 43 दिनों की यात्रा पर 1100 किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा करेंगे
 
कोरिया के बौद्ध धम्मयात्रा का वाराणसी से शुभारम्भ गर्व का विषय: डॉ दयाशंकर मिश्र

वाराणसी,11 फरवरी। भारत और दक्षिण कोरिया के बेहतर संबंध के 50 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष में कोरिया से आए 108 बौद्ध भिक्षुओं के दल ने शनिवार को सारनाथ से बौद्ध परिपथ के रूप में श्रावस्ती तक सभी बौद्ध स्थलों तक पैदल यात्रा की शुरूआत की। इसमें भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी, नेपाल सहित महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भी शामिल है। पैदल यात्रा के पूर्व दल ने सारनाथ स्थित धम्मेक स्तूप पर पूजा अर्चना भी की। यात्रा में प्रथम पड़ाव रामनगर मल्टीमॉडल टर्मिनल है। इसके बाद यह यात्रा आगे बिहार के लिए रवाना होगी। इसके पहले उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने कोरिया के बौद्ध तीर्थ यात्रियों का भव्य स्वागत किया। 108 भिक्षुओं के संघ का स्वागत 108 मीटर के धम्म ध्वजा के साथ किया गया। स्वागत समारोह में उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र 'दयालु' ने बौद्ध तीर्थ यात्रियों का स्वागत किया। समारोह में भारत में कोरिया के राजदूत चुंग जाए बाॅक, दूतावास प्रथम सचिव सुश्री पार्क, अन्य अधिकारी सुश्री आह्न ह्ये सुन ,पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी गुलाब चन्द्र आदि की मौजूदगी में कोरिया के जोग्ये बौद्ध संघ प्रमुख जा स्युंग को पुष्पगुच्छ प्रदान किया गया। इस अवसर पर राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र ने कहा कि सारनाथ से ही भगवान गौतम बुद्ध ने अपनी धम्मयात्रा शुरू की थी, अपना पहला उपदेश यहीं दिया था, धर्म चक्र प्रवर्तन किया था। और इसी पावन स्थान से आप अपनी 43 दिवसीय पैदल धम्मयात्रा का शुभारम्भ कर रहे हैं, यह प्रतीकात्मक भी है। उन्होंने कहा कि वाराणसी, यह विश्व का प्राचीनतम शहर है। यह ऐसी पावन नगरी है, काशी जहाँ लोग मरने की अभिलाषा करते है, जहाँ लोग मर जाना भी शुभ मानते हैं। यह हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र है। उन्होंने विश्व की इस प्राचीनतम नगरी को विश्व के मानचित्र पर आधुनिकतम नगरी बना कर प्रस्तुत कर दिया है। बौद्ध ग्रन्थ ऐसा भी साक्ष्य देते हैं कि आगामी बुद्ध मैत्रेय का जन्म इसी नगरी में होगा। उन्होंने कहा कि वाराणसी दक्षिण कोरिया और भारत के राजनायिक सम्बन्धों की अर्धशताब्दी की पूर्ति के अवसर पर दोनों देशों में परस्पर सहयोग व मैत्री को और सुदृढ़ करने एवं दोनों देशों में परस्पर शान्ति की अपेक्षा से प्रार्थना आयोजित करने का यह अभिनव आयोजन दोनों देशों के परस्पर सहयोग से हो रहा है। उन्होंने कहा कि कोरिया के बौद्ध जोग्ये संघ के उद्गम की जड़ें भारत में हैं। भारत के बौद्ध आचार्य बोधिधम्म बुद्ध के धम्म को चीन लेकर गये थे। चीन में उनके शिष्य हुई-नेंग के माध्यम से बुद्ध की ध्यान परम्परा ने कोरिया में प्रवेश किया। आपकी ध्यान परम्परा सिओन का उद्गम स्थल श्रावस्ती है । जहाँ आपकी यात्रा का उपसंहार हो रहा है। इस मायने में आप विदेश में नहीं आएं हैं बल्कि अपने आध्यात्मिक पुरखों के घर आए हैं। राज्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं योगी है। राज्यमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोग्ये संघ को सफल, सु़रक्षित, स्वस्थ धम्मयात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।