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हिन्दुस्थान समाचार की खबर का असर : बांग्लादेश में बांध निर्माण में मिट्टी की जगह रेत के इस्तेमाल पर चीनी कंपनी ने दी सफाई

कंपनी का दावा : अनुबंध की शर्तों के अनुसार चल रहा निर्माण कार्य
 
हिन्दुस्थान समाचार की खबर का असर : बांग्लादेश में बांध निर्माण में मिट्टी की जगह रेत के इस्तेमाल पर चीनी कंपनी ने दी सफाई

कोलकाता/ढाका, 10 मई। बांग्लादेश में बांध निर्माण का कार्य कर रही चीनी कंपनी पर मिट्टी की जगह रेत का इस्तेमाल किये जाने से संबंधित हिन्दुस्थान समाचार की खबर का तात्कालिक असर देखा गया। संबंधित कंपनी ने आरोपों पर स्पष्टीकरण देते हुए दावा किया है कि वह अनुबंध की शर्तों का पूरी तरह पालन करते हुए निर्माण कार्य कर रही है। कंपनी के प्रतिनिधि के तौर की ओर से हिन्दुस्थान समाचार को ईमेल भेजा गया है, जिसमें मिट्टी की जगह रेत के इस्तेमाल के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा गया है कि वे जिस तरह से निर्माण कार्य कर रहे हैं, उससे बांध को किसी प्रकार की क्षति होने का कोई अंदेशा नहीं है।

दरअसल बांग्लादेश के पटुआखाली और बरगुना जिलों सहित समुद्र से लगे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ नियंत्रण के उद्देश्य से बांधों की ऊंचाई बढ़ाने का ठेका एक चीनी कंपनी को दिया गया है। कंपनी पर बांध निर्माण में मिट्टी की जगह रेत का इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं। यह जोखिम भरा है, क्योंकि बाढ़ की स्थिति में रेत से बने तटबंध क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर जान माल की हानि हो सकती है।

हिन्दुस्थान समाचार ने इस समस्या की ओर बांग्लादेश की कुछ प्रमुख हस्तियों का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की थी। इनमें से कुछ का कहना था कि चीन को खुश करने के लिए बांध निर्माण का काम चीनी कंपनी को दिया गया है जबकि बांग्लादेश के लोग चाहते हैं कि निर्माण का काम घरेलू कंपनी करे।

बांग्लादेश इस्लामी एकता गठबंधन के अध्यक्ष मिसबाहुर रहमान चौधरी ने कहा कि लंबे समय से चीनी कंपनियों के काम में अनियमितता के आरोप लगते रहे हैं। घरेलू कंपनियों के होते हुए किसी चीनी कंपनी को काम देना सही नहीं है। तटीय क्षेत्रों में बांध बनाने का कार्य पाकिस्तानी शासन के समय से स्थानीय ठेकेदारों द्वारा किया जाता रहा है। तब भी बेरी बांध विश्व बैंक के पैसे से बना था। उन्होंने बालू से बेरी बांध बनाने वाली चीनी कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।

हिन्दुस्थान समाचार की टीम ने निर्माण स्थल पर जाकर हालात का जायजा लेने की कोशिश की। बांग्लादेश ''जल विकास बोर्ड'' ने पटुआखाली के गलाचिपा, कलापारा, फिरोजपुर के भंडारिया और बरगुना के पाथरघाटा में 208 किमी क्षतिग्रस्त बांधों के पुनर्निर्माण का काम चीनी कंपनी चोंगकिंग इंटरनेशनल कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एसआईसीओ) को दिया था। दोनों पक्षों के बीच एक हजार 89 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का निर्माण कार्य विश्व बैंक के वित्त पोषण के साथ किये जाने का अनुबंध हुआ था। इस परियोजना के तहत इस चीनी कंपनी ने 128.90 करोड़ टाका ( बांग्लादेश की मुद्रा) की लागत से गलचिपर जिले के गोलखली क्षेत्र में 34 किमी बांध का निर्माण शुरू किया है। निर्माण प्रक्रिया में मिट्टी की जगह रेत का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि जल विकास बोर्ड पटुआखली के कार्यकारी अधिकारी ने रेत के इस्तेमाल संबंधी आरोपों से इनकार किया लेकिन इसका वीडियो हिन्दुस्थान समाचार के पास है। इस पर स्थानीय लोगों ने विरोध भी जताया था, जिसके चलते कुछ समय के लिए काम रोकना पड़ा था।

इस संबंध में संपर्क करने पर बांग्लादेश के जल संशाधन राज्य मंत्री जाहिद फारुख ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि बांधों के निर्माण में रेत का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। अगर ऐसा हो रहा है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। चीन को खुश करने के लिए चीनी कंपनी को ठेका दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निविदाएं आमंत्रित की गईं और सबसे कम बोली लगाने वालों को काम दिया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी देश को खुश करने के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है।

उधर, पटुआखली जल विकास बोर्ड के कार्यपालक अभियंता ने निर्माण में अनियमितता की बात कबूल करते हुए कहा कि बार-बार चिट्ठी लिख कर मना किये जाने के बावजूद चीनी कंपनी काम नहीं बंद कर रही जबकि इसकी समय सीमा पहले ही पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि निर्माण में अनियमितता संबंधी शिकायत से संबंधित अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। उन्होंने आश्वस्त किया है कि वे इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई करेंगे।