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नेपाल में देव शिला उत्खनन क्षेत्र बनेगा धार्मिक पर्यटन स्थल, भारतीय श्रद्धालुओं की उमड़ने लगी है भीड़

 
नेपाल में देव शिला उत्खनन क्षेत्र बनेगा धार्मिक पर्यटन स्थल, भारतीय श्रद्धालुओं की उमड़ने लगी है भीड़

काठमांडू, 05 फरवरी। भारत के अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के लिए रामलला की प्रस्तावित प्रतिमा के निर्माण को लेकर नेपाल के जिस स्थान से देवशिला का उत्खनन किया गया था, उस स्थान को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। यह पवित्र स्थान नेपाल के म्याग्दी जिले के बेनी नगरपालिका के वार्ड-6 में स्थित है, जो गलेश्वर क्षेत्र में आता है। बेनी नगरपालिका के वार्ड-6 में पवित्र नदी काली गंडकी के किनारे से 26 टन और 14 टन की दो देव शिलाओं का उत्खनन किया गया था। इन देव शिलाओं को पिछले सप्ताह अयोध्या ले जाकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों को समर्पित कर दिया गया था। बेनी नगरपालिका की डिप्टी मेयर ज्योति लामिछाने ने रविवार को बताया कि जिस स्थान से दो देव शिलाओं का उत्खनन किया गया था उस क्षेत्र का संरक्षण एवं संवर्द्धन किया जाएगा। इसके साथ ही इस क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि जब से देव शिला यात्रा की चर्चा मीडिया में हुई है तब से मुक्तिनाथ धाम यात्रा करने वाले कई भारतीय श्रद्धालु ना सिर्फ इस स्थान को देखने आ रहे हैं बल्कि पवित्र काली गंडकी नदी में स्नान भी कर रहे हैं। बेनी नगरपालिका के मेयर सूरज केसी ने बताया कि भारतीय श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ और इस क्षेत्र के प्रति उनके बढ़ते आकर्षण के मद्देनजर इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि जिस स्थान से देव शिलाओं का उत्खनन किया गया है वह प्रसिद्ध मुक्तिनाथ धाम मंदिर का प्रवेश द्वार माना जाता है। ऑफ सीजन होने के बावजूद इस समय मुक्तिनाथ के दर्शन करने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या काफी अधिक है। बेनी नगरपालिका ने नगर सभा से प्रस्ताव पारित कर मास्टरप्लान बनाने के लिए प्रदेश सरकार को भेज दिया है। प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्री पंचराम तमु ने कहा है कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि देव शिला लेने आए विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेन्द्र सिंह पंकज ने उसी समय यह आश्वासन दिया था कि देव शिला उत्खनन स्थान को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र बनाने के लिए भारत सरकार से सहयोग की मांग करेंगे।