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खरीद-फरोख्त की भट्ठी में जलता बचपन

 
खरीद-फरोख्त की भट्ठी में जलता बचपन
मुकुंद

सूडान में इस साल पहली जनवरी को दुनिया का सबसे कुख्यात और अमीर मानव तस्कर किडेन जेकारियास हब्टेमरियाम इंटरपोल के हत्थे चढ़ चुका है। वह अफ्रीकी देश इरीट्रिया का रहने वाला है। हब्टेमरियाम के लीबिया में संचालित शिविर में यूरोप जाने के लिए लालायित हजारों पूर्वी अफ्रीकी प्रवासियों को बंधक बनाकर रखा जाता था। खुलासा हुआ था कि इस शिविर में बंधक बनाकर रखी गई महिलाओं और बच्चों का यौन शोषण कराया जाता था। देश-दुनिया में फलते-फूलते इस उद्योग की जड़े कितनी गहरी हैं, इसका खुलासा 24 घंटे पहले जयपुर में जारी की गई ‘रेलवेज–मेकिंग द ब्रेक इन ट्रैफिकिंग’ नामक रिपोर्ट से भी होता है।

इस रिपोर्ट को नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक संजय चंदर ने जयपुर में 18वीं यूआईसी विश्व रेलवे सुरक्षा कांग्रेस में सार्वजनिक किया है। इसमें कहा गया है कि आज मानव तस्करी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित आपराधिक उद्योग है। यह रिपोर्ट हर संवेदनशील, विकासशील, प्रगतिशील व्यक्ति और राष्ट्र को चुनौती देती है। कैलाश सत्यार्थी इस दिशा में 1980 से बचपन बचाओ आंदोलन के माध्यम से काम कर रहे हैं। बचपन बचाओ आंदोलन और रेलवे सुरक्षा बल का संयुक्त अध्ययन ‘रेलवेज–मेकिंग द ब्रेक इन ट्रैफिकिंग’ आंखें खोलने के लिए काफी है। बचपन बचाओ आंदोलन अब तक 1,13,500 बच्चों को क्रूर पंजों से छुड़ा चुका है। सत्यार्थी अब यह अभियान रेलवे सुरक्षा बल के साथ मिलकर चला रहे हैं। उनका मानना है कि इस घिनौने और बर्बर उद्योग से जुड़े खूंखार मानव तस्कर आमतौर पर रेलगाड़ियों का प्रयोग करते हैं। इस संगठित आपराधिक उद्योग की कमर तोड़ने में यह बल महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

बचपन बचाओ आंदोलन के इस मकसद को पूरा करने में रेलवे सुरक्षा बल से काफी मदद मिल रही है। जनवरी, 2020 से अब तक 1600 से ज्यादा बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाया जा चुका है। इन बच्चों को रेलवे स्टेशन और ट्रेन के डिब्बों से अपराधियों को दबोचकर मुक्त कराया गया। खुशी की बात है कि बचपन बचाओ आंदोलन और रेलवे सुरक्षा बल कई साल से ऐसे अपराधियों के चेहरों से नकाब हटा रहे हैं। यह उद्योग अरबों डॉलर की कमाई का साधन बन चुका है। इन बच्चों से जबरन मजदूरी, वेश्यावृत्ति और भीख मंगवाई जाती है। किशोरियों को शादी के लिए बेच दिया जाता है। यह कितना दुखद है कि कोविडकाल में लॉकडाउन इन मानव तस्करों के लिए उत्सव की तरह रहा। यह किसी से छिपा नहीं है कि इस काल ने लाखों लोगों को गरीबी की ओर धकेला और इन अपराधियों ने इन बेवश परिवारों को शिकार बनाया। रेलवे सुरक्षा बल ने जनवरी, 2020 से अब तक संयुक्त छापामार कार्रवाई में 337 मानव तस्करों को गिरफ्तार भी किया गया है। सत्यार्थी कहते हैं कि संभवत: यह दुनिया में मानव तस्करों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान है।

रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक संजय चंदर की भूमिका इस अभियान में स्वप्नदर्शी जैसी है। वह इंटरनेशनल यूआईसी सेक्योरिटी प्लेटफॉर्म के चेयरमैन भी हैं। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के मौके पर आयोजित समारोह में इस प्लेटफॉर्म के 22 सदस्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। इन प्रतिनिधियों ने बचपन बचाओ आंदोलन और रेलवे सुरक्षा बल के इस अभिनव अभियान को अपने यहां लागू करने पर सहमति जताई है। सभी का मानना है कि बच्चों को सुरक्षित रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अच्छी बात यह है कि इस समय दुनियाभर में नई बाल सुरक्षा नीति की जरूरत महसूस की जा रही है। सत्यार्थी और चंदर ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में 2021 में रोजाना आठ बच्चों की तस्करी और उनका उत्पीड़न होने संबंधी आंकड़ा दिया गया है। इस आकंड़े के मुताबिक इस साल भारत में मानव तस्करी के कुल 2,189 मामले दर्ज किए गए। 2020 में यह संख्या 1,714 थी। विशेषज्ञों ने रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए देश में सख्त मानव तस्करी रोधी कानून लागू करने की मांग की थी। कहते हैं बाल शोषण दुनिया का सबसे बुरा काम है। बुरे काम का नतीजा भी बुरा ही होता है। मशहूर फाइनेंशर अमेरिका का जेफरी एप्सटिन यौन संतुष्टि के लिए बच्चों की खरीद-फरोख्त के लिए दुनिया में कुख्यात रहा है। एप्सटिन को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे किया था। अगस्त 2019 में उसने मैनहटन की जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसके आत्मघाती 'अंत' से क्रूर अपराधियों को सबक लेने की जरूरत है। जेफरी एपस्टीन पर सेक्स रैकेट चलाने और अमेरिका के कई बड़े राजनेताओं को लड़कियां सप्लाई करने का आरोप भी रहा है।