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भारत-फ्रांस के रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों की पहचान बना नौसैन्य अभ्यास

 
भारत-फ्रांस के रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों की पहचान बना नौसैन्य अभ्यास

नई दिल्ली, 22 जनवरी। भारत और फ्रांस की नौसेनाओं ने पश्चिमी समुद्र तट पर पांच दिनों तक चले द्विपक्षीय अभ्यास 'वरुण' के जरिए दोनों देशों के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी को स्पष्ट किया। दोनों समुद्री बलों ने हिंद महासागर में क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत करने के लिए संकल्प और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया। दोनों नौसेनाओं के बीच 1993 में शुरू हुए इस द्विपक्षीय अभ्यास को 2001 में 'वरुण' नाम दिया गया था। अब यह नौसैन्य अभ्यास भारत-फ्रांस के बीच रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों की पहचान बन गया है।

भारत और फ्रांस की नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास 'वरुण' का 21वां संस्करण 16 जनवरी को शुरू हुआ था। इस अभ्यास में भारतीय नौसेना की ओर से स्वदेशी गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई, गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तेग, समुद्री गश्ती विमान पी8आई और डोर्नियर, कई हेलीकॉप्टरों और मिग 29 के लड़ाकू विमान ने हिस्सा लिया। फ्रांसीसी नौसेना का प्रतिनिधित्व विमानवाहक पोत चार्ल्स डी गॉल, एफएस फोर्बिन और प्रोवेंस, समर्थन पोत एफएस मार्ने और समुद्री गश्ती विमान अटलांटिक ने किया।

पश्चिमी समुद्र तट गोवा में पांच दिनों तक चला यह नौसैनिक अभ्यास उन्नत वायु रक्षा अभ्यास, सामरिक युद्धाभ्यास, सतह पर गोलीबारी, पुनःपूर्ति और अन्य समुद्री संचालन का गवाह बना। इस दौरान दोनों नौसेनाओं ने समुद्र में अपने युद्ध-विरोधी कौशल को सुधारने का प्रयास किया। इसके साथ ही समुद्री क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत बल के रूप में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया गया। इस अभ्यास ने समुद्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दोनों नौसेनाओं के बीच परिचालन स्तर की बातचीत की सुविधा प्रदान की, जो वैश्विक समुद्री कॉमन्स की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

पांच दिनों के विविध अभ्यासों के समापन पर 'वरुण' ने फिर से फ्रांस और भारत के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी को स्पष्ट रूप से चित्रित किया। दोनों समुद्री बलों के बीच सहयोग को और मजबूत करते हुए इस अभ्यास ने क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत करने के लिए उनके संकल्प और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया। वरुण अभ्यास हिंद महासागर में भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं के बीच उत्कृष्ट सहयोग का प्रतिनिधित्व करता है। फ्रांसीसी नौसेना का कैरियर स्ट्राइक ग्रुप वर्तमान में हिंद महासागर में तैनाती पर है। इसमें परमाणु ऊर्जा से चलने वाला विमानवाहक पोत चार्ल्स डी गॉल भी शामिल है। कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने भारतीय नौसेना के साथ बड़े पैमाने पर 'वरुण' हवाई-समुद्री संयुक्त अभ्यास किया।

भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने अभ्यास के समापन पर कहा कि हमारी नौसेनाओं ने वायु-समुद्र संयुक्त अभ्यास 'वरुण' का समापन किया, जो अपने अस्तित्व के 40वें वर्ष का जश्न भी मना रहा है। हमारी भारत के साथ साझेदारी बहुत मजबूत है और इतिहास में हम एक-दूसरे के लिए हमेशा से साथ रहे हैं। हम परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध में भी भारत का समर्थन करते रहे हैं। फ्रांस और भारत के बीच बहुत अधिक विश्वास है, जो दोनों देशों को संयुक्त रूप से न केवल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण बल्कि महत्वपूर्ण उपकरणों का सह-विकास और सह-उत्पादन करने के लिए व्यापक रणनीतिक कार्यक्रम चलाने की अनुमति देता है।

फ्रांसीसी सेना के संयुक्त कमांडर रियर एडमिरल इमैनुएल सालर्स ने कहा कि हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अंतरराष्ट्रीय कानून का हर जगह, हर कोई सम्मान करे। भारतीय नौसेना के साथ काम करना वास्तव में बहुत अच्छा है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने के साथ ही समुद्र में अवैध तस्करी के विरोध में लड़ाई मिलजुलकर लड़ी जाए।