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हड़प्पन भारत में कहां-कहां रहे...आठ कंकालों के डीएनए से होगा खुलासा​​​​​​​

 
खानपान पर भी लगेगी मोहर, राखीगढ़ी में आज भी हड़प्पन कल्चर
 
  हड़प्पन भारत में कहां-कहां रहे...आठ कंकालों के डीएनए से होगा खुलासा​​​​​​​
हिसार, 1 मई  जिले के ऐतिहासिक गांव राखीगढ़ी में हड़प्पा कालीन सभ्यता को लेकर इस बात पर मोहर लग चुकी है कि वो लोग आठ हजार वर्षों से लगातार यहां पर रह रहे हैं।पिछले तीन वर्षों में आठ कंकालों को डीएनए के लिए लिया गया है। इन कंकालों से कान की हड्डी और दांत के डीएनए से वैज्ञानिक अलग-अलग पहेलियां सुलझाने के लिए शोध कर रहे हैं। अगर इनके डीएनए की रिपोर्ट सही तरीके से मिली तो यह पता चल जाएगा की वह कहां पर पैदा हुआ था और देश में देश में किस-किस जगह पर गया था, खाने में क्या-क्या खाद्य वस्तु में प्रयोग करते थे और वे कंकाल कितने साल पुराने होंगे। अगर डीएनए रिपोर्ट सही पाई गई तो राखी के इतिहास में एक और अध्याय जुड़ जाएगा।
हजारों वर्ष बीत गए लेकिन राखी गढ़ी के लोगों में आज भी हड़प्पन कल्चर मिल रहा हैं। उनका रहन-सहन और कद काठी काफी मिलती-जुलती है। राखी गढ़ी के 20 अलग-अलग लोगों का डीएनए लिया गया था। उनमें हड़प्पन लोगों का डीएनए काफी हद तक मिलता-जुलता पाया गया। देश के अलग-अलग भागों से भी सैंकड़ों लोगों के डीएनए सैंपल लिए गए थे। उनका डीएनए भी उन लोगों से मेल खाता है। जैसे आंध्रप्रदेश के एक गांव से भी दर्जनों लोगों के डीएनए सैंपल लिए थे। उनमें से भी दो लोगों का डीएनए हड़प्पन लोगों से मेल खाता हुआ मिला।
आठ कंकालों का डीएनए लिया
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अपर महानिदेशक डॉ. संजय कुमार मंजुल के नेतृत्व में राखी गढ़ी में वर्ष 2021 से लगातार खुदाई शुरू हैं। टीले सात से आठ कंकालों को डीएनए के लिए लखनऊ की बीरबल साहनी पूरा वैज्ञानिक संस्थान में भेजा गया है। पहले भी इसी संस्थान में कंकालों का डीएनए किया गया था। अभी इन आठ कंकालों का डीएनए करने का काम जोर-जोर से चला हुआ है।
पहले भी हुई खुदाई
राखी गढ़ी में टीले सात पर प्रोफेसर वसंत शिंदे के नेतृत्व में वर्ष 2013 से 2016 तक खुदाई की गई थी। इसमें करीब 70 कंकाल पाए गए थे, जिनमें से डीएनए के लिए 22 कंकालों को लिया गया था। उनमें से एक कंकाल में ही डीएनए मिला था। इस कंकाल के डीएनए से यह पता चला था कि वह साढ़े चार हजार वर्ष पुराना है।
छह माह में आएगी रिपोर्ट, फिर होगा क्रॉस चैक
बीरबल साहनी पूरा विज्ञान संस्थान, लखनऊ के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नीरज का कहना है कि आठ कंकालों का डीएनए लिया गया है। कान की हड्डी और दांत के डीएनए से बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट आने में छह महीने लगेंगे। उसके बाद इस रिपोर्ट को क्रास चेकिंग के लिए तीन एक्सपर्ट लोगों के पास भेजा जाएगा। अगर वह मिलान सही पाया गया तो हमारे डीएनए पर मोहर लग जाएगी।