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हरियाणा में सात भाजपा सांसदों की टिकट पर मंडरा रहा है खतरा

 
हरियाणा में सात भाजपा सांसदों की टिकट पर मंडरा रहा है खतरा

 पल पल न्यूज: सिरसा, 12 फरवरी। लोकसभा चुनाव को लेकर अपने राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत भाजपा ने हरियाणा में भी मिशन-2024 की तैयारी ही शुरू नहीं की बल्कि पूरा रोडमैप तैयार कर लिया है। पार्टी स्तर पर करवाए गए सर्वे में  भाजपा ने देश भर में कमजोर स्थिति वाली जिन लोकसभा सीटों की सूची तैयार की है, उनमें हरियाणा की भी कुछ सीटें शामिल हैं। प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर भाजपा दोबारा जीत हासिल करना चाहती है, सात सीटें ऐसी है जहां पर भाजपा मौजूद सांसदों की टिकट काटकर नए उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। इसके लिए भाजपा संगठन ने जहां विस्तारकों की लंबी-चौड़ी फौज फील्ड में उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। कमजोर स्थिति वाले लोकसभा क्षेत्रों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दौरा कर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में नई ऊर्जा का संचार करेंगे और जहां पर भी राहुल गांधी की यात्रा में भीड़ दिखाई दी उन क्षेत्रों में भाजपा कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। करनाल, गुरूग्राम और फरीदाबाद में बदलाव की कोई खबर नहीं है शेष सातों सीटों पर नए उम्मीदवारों की तलाश जारी है। हालांकि प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा के चुनाव भी होने है पर भाजपा का पूरा जोर इस समय लोकसभा चुनाव पर है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से प्रदेश की कांगे्रस में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। कांगे्रस ही भाजपा को चुनौती देती नजर आ रहा है, ऐसे में भाजपा में हलचल तेज हो गई है। मिशन-2024 को लेकर भाजपा पूरा खाका तैयार कर चुकी है, पार्टी अपने स्तर पर प्रदेश की हर लोकसभाक्षेत्र में सर्वे करवा चुकी है। देश भर में कमजोर स्थिति वाली करीब 144 लोकसभा सीटों की सूची तैयार की है, उनमें हरियाणा की भी कुछ सीटें शामिल हैं। प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर  भाजपा दोबारा जीत हासिल करना चाहती है, सात सीटे ऐसी है जहां पर भाजपा मौजूद सांसदों की टिकट काटकर नए उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। इन कमजोर स्थिति वाले क्षेत्रों में भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारा है जहां ये मंत्री कई दिन का प्रवास कर लोगों को भाजपा की नीतियों से अवगत करवाकर उन्हें पार्टी संगठन से जोड़ते है और जहां पर भी कोई कमी दिखाई देती है स्थानीय संगठन को उस बारे में सचेत करते है। इतना ही नहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ऐसे कमजोर क्षेत्रों का दौरा कर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में नई ऊर्जा का संचार करेंगे।  
भाजपा किसी भी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं- दक्षिण हरियाणा की गुरुग्राम, फरीदाबाद व सोनीपत लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। गुरुग्राम से राव इंद्रजीत केंद्रीय राज्य मंत्री हैं, जबकि फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट का हिस्सा हैं। इन तीनों संसदीय क्षेत्र को राजनीतिक रूप से प्रभावित करते हुए राहुल गांधी की यात्रा गुजरी है। प्रदेश में राहुल गांधी आठ जिलों में करीब 255 किलोमीटर चले हैं। दूसरे चरण में राहुल गांधी ने भाजपा के प्रभाव वाले उत्तर हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट को कवर किया है।  राहुल गांधी पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला होते हुए पंजाब में प्रवेश कर गये। यह पूरा क्षेत्र भाजपा के प्रभाव वाला क्षेत्र है। राहुल गांधी इन जिलों में पांच दिन तक रहे। इसलिए भाजपा किसी भी तरह का रिस्क लेने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है। भाजपा को सबसे ज्यादा बढ़त उत्तर हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट से ही मिलती रही है। अमित शाह जिस सोनीपत संसदीय क्षेत्र में रैली करेंगे, वह भी जीटी रोड बेल्ट का एक पार्ट है।
सीटों पर मौजूदा सांसदों और संभावित उम्मीदवारों का सर्वे करा रही पार्टी- सर्वे के आधार पर सांसदों और विधायकों के टिकटों पर फैसला लेने के लिए  भाजपा प्रभारी एवं त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब तथा पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री रवींद्र राजू लगातार हर क्षेत्र का  दौरा कर रहे है जो अपनी रिपोर्ट हाईकमान को देंगे। फिलहाल यह बिल्कुल भी पक्का नहीं है कि सभी मौजूदा सांसदों को भाजपा दोबारा से टिकट देने जा रही है। यह स्थिति 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर है। इस बात से बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ मौजूदा सांसदों व मौजूदा विधायकों के टिकट कट सकते हैं और नये तथा जीतने की संभावना वाले चेहरों को मौका दिया जा सकता है। 
राव इंद्रजीत सिंह काफी मजबूत,

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साथ रखना भाजपा की मजबूरी- गुरूग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह भले ही भाजपा के सांसद है और केंद्रीय मंत्री है पर व्यक्तिगत रूप से वे काफी मजबूत है और अहीरवाल क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली नेता है, करीब एक दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों पर उनके इशारे पर चुनाव परिणाम बदल जाता है, रोहतक सीट से भाजपा के अरविंद शर्मा की जीत में राव इंद्रजीत सिंह का अहम योगदान था क्योंकि इस सीट पर एक  इलाका अहीरवाल बाहुल्य था और करीब 40 हजार वोटें थी।  राव  इंद्रजीत ऐसे नेता है जो भाजपा में होते हुए भी भाजपा को खरी खरी चुना देते है उनकी खरी खरी सुनना भाजपा की मजबूरी है क्योंकि ऐसे नेता को साथ रखना जरूरी है जिसके पास बड़ा वोटबैंक हो। वैसे भी राव इंद्रजीत के कार्य से क्षेत्र की जनता खुश हैख् पार्टी संगठन भी खुश है ऐसे में उनकी टिकट की ओर कोई आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। 
फरीदाबाद सीट के जातीय आंकडें कृष्णपाल गुज्जर की सबसे बड़ी ताकत-

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फरीदाबाद सीट से भाजपा सांसद एवं केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर पार्टी संगठन में भी काफी मजबूत है, प्रदेशाध्यक्ष रहे है, आरएसएस का आशीर्वाद सदैव साथ रहा है बैबाक है बेदाग है और उनकी कार्यप्रणाली सबको प्रिय है। फरीदाबाद लोकसभा सीट पर जातीय आंकड़े कृष्णपाल गुज्जर के पक्ष में रहते हैं ऐसे में उन्हें कोई हिला नहीं सकता और भाजपा हार्ई कमान उनकी ओर से निश्चचिंत है। ऐसे में उनकी टिकट को कोई खतरा नहीं है। 
करनाल से सांसद संजय भाटिया क ो भी कोई खतरा नहीं-

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करनाल में भाजपा ने संजय भाटिया को मैदान में उतारा था, जातीय आंकडे और मोदी लहर में भाटिया ने छह लाख मतों के भारी अंतर से देश में सबसे बड़ी दूसरी जीत हासिल की थी।  संगठन में उनकी मजबूत पकड़ है और आएसएस का उन्हें आशीर्वाद मिला हुआ है, जातीय आंकड़े भी उनके पक्ष में पंजाबी है और प्रदेश के पंजाबी वोटों पर असर रखते है। ऐसे में उनकी बरकरार रखना भाजपा के लिए फायदें का सौदा साबित हो सकता है। उनकी कार्यप्रणाली में पहले से बहुत सुधार हुआ है, करनाल ही मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र है उसका भी लाभ उन्हें मिलता है।
सिरसा लोकसभा क्षेत्र में सुनीता दुग्गल की टिकट खतरे में-

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सिरसा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की सुनीता दुग्गल तीन लाख से अधिक मतों से जीती थी पर जीत के बाद उन्होंने क्षेत्र से किनारा कर लिया, तीन साल तक वे सक्रिय नहीं रही।  पार्टी संगठन ने उन्हें चेताया तो उन्होंनें अब अपने संसदीय क्षेत्र में ध्यान देना शुरू कर दिया है वे पहले से अधिक एक्टिव हुई है। सिरसा सीट कमजोर सीटों में आंकी जा रहा है ऐसे में पार्टी संगठन यहां पर बदलाव के मूड में हैं। सुनीता दुग्गल को संगठन में ले जाया जा सकता है या फिर से उन्हें रतिया विधानसभा सीट से मैदान में उतारा जा सकता है। दूसरी ओर पिछले दो सालों से पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी की सक्रियता बढ़ी है वे मुख्यमंत्री के बेहद करीबी है और इस सीट से चुनाव लडऩे की पूरी तैयार कर चुके है, उनके समर्थक उनके लिए सिरसा सीट पर जमीन तैयार करने में लगे हुए है। 
अंबाला से रतनलाल कटारिया क ा टिकट कटना तय-

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अंबाला लोकसभा सीट से रतनलाल कटारिया भाजपा के सांसद है केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं, खरा बोलते भी है पर इस बार वे ज्यादा एक्टिव नहीं रहे, एक उम्र का तकाजा भी है। उम्र को देखते हुए भाजपा उन्हें संगठन में मार्गदर्शन मंडल में भेज सकती है उनके स्थान पर इस बार किसी नए चेहरे को मैदान में उतारा जा सकता है। टिकट कटने के बारे में कटारिया भी जानते होंंगे पर वे अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के लिए संगठन में भागदौड जरूर करेंगे।  ऐसा भी हो सकता है कि सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल को संगठन अंबाला से मैदान में उतार सकता है। सुनीता दुग्गल तेज तरार भी है।  
कुरूक्षेत्र में नायब सैनी के भी कतरे जाएंगे पर-

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कुरूक्षेत्र से भाजपा के सांसद नायब सैनी की कार्यप्रणाली से संगठन खुश दिखाई नहीं दे रहा है। नायब सैनी पहले भी लोकसभा चुनाव लडऩा नहीं चाहते थे उनकी इच्छा विधानसभा चुनाव लडऩे की ही थी। सांसद चुने जाने के बाद उनकी क्षेत्र में सक्रियता कम रही। दूसरा जिला परिषद चुनाव में उनकी पत्नी भी चुनाव हार गई, पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया कि जो अपनी पत्नी को चुनाव नहीं जिता सका वह पार्टी को कैसें चुनाव जिताएंगा।  उनकी हालात ठीक नहीं है संगठन इस बार वहां से किसी नए चेहरे को मैदान में उतार सकता हैं। पार्टी संगठन वहां पर नए चेहरे की तलाश में जुटा हुआ है। 
सोनीपत में होगा बदलाव, अमित शाह की पूरी नजर-

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सोनीपत सीट से रमेशचंद कौशिक भाजपा के सांसद है, बताया जाता है कि 2019 में कौशिक ने चुनाव लडऩे से मना कर दिया था पर संगठन ने उन्हें मैदान में उतारा और मोदी लहर में उनकी नैया पार लग गई। उनकी सक्रियता भी क्षेत्र में कम रही। सोनीपत एनसीआर में है और काफीी अहम सीट है। जीटी बैल्ट में भाजपा अपनी मजबूत पकड़ रखना चाहती है और बनाना चाहती है, राहुल गांधी की यात्रा के बाद जो भी डेमेज हुआ है उसकी भरवाई करने में भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहती है। भाजपा इस बार कोई प्रभावशाली को मैदान में उतार सकती है। 
रोहतक में भी होगा बदलाव,

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अरविंद शर्मा के तीखे तेवर से भाजपा परेशान- रोहतक लोकसभा सीट से भाजपा के अरविंद शर्मा सांसद है। वे पहले कांगे्रसी रहे है ऐसे में भाजपा के कल्चर में वे रम नहीं पा रहे हैं, अपने ही नेताओं के खिलाफ इतने मुखर हो जाते है पार्टी को शर्मिंंदगी उठानी पड़ती है। पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर के खिलाफ जब अरविंद शर्मा ने मोर्चा खोला था तब भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी। शर्मा की कोई बड़ी जीत नहीं थी, भाजपा से नाराज शर्मा पता नहीं कब घर वापसी कर कांगे्रस का हाथ थाम ले और सोनीपत या करनाल से कांगे्रस के टिकट पर दावा जता दें। शर्मा ने नवीन जयहिंद के साथ कदम ताल कर भाजपा को कटघरे में खड़ा कर दिया, ब्राहमण समाज सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया था। ऐसे में भाजपा इस बार शर्मा को फिर से मैदान में उतारने के पक्ष में नहीं है उनके स्थान पर कोई नया चेहरा भी उतारा जा सकता है।
हिसार में बृजेंद्र सिंह का टिकट भी खतरे में-

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आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए चौ.बिजेंंद्र सिंह के पुत्र बृजेंद्र सिंह हिसार से सांसद तो बन गए और क्षेत्र के लिए काफी काम किया, एक्टिव भी हैं। भाजपा ऐसे भंवर में फंसी हुई है इस बार न चाहते हुए भी शायद उन्हें टिकट न दे सके। चौ.बीरेंद्र सिंह अपनी ही पार्टी के खिलाफ झंडा लेकर खड़ा हो जाते है अपनी अलग सभाएं रैली कर शक्ति प्रदर्शन करते है। पता नहीं वे कब नई पार्टी की घोषणा कर दें। ऐसे में उसके अहम का खामियाजा उनके पुत्र को भुगतना पड़ सकता है। दूसरी ओर अगर चुनाव में भाजपा और जजपा में गठबंधन होता है तो जजपा हिसार सीट अपने पास रखना चाहेगी, उधर भाजपा की ओर कुलदीप बिश्रोई को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। अगर सीट जजपा के पास कई तो और भाजपा के पास गई तब भी बृजेेंंद्र सिंह का टिकट कटना तय माना जा रहा है। 
धर्मवीर सिंह खुद ही छोड़ सकते हैं भिवानी सीट-

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भिवानी से धर्मवीर सिंह भाजपा सांसद है, क्षेत्र में उनकी सक्रि यता  ज्यादा नहीं रही, अपने ही लोग उनके खिलाफ खड़े हो गए और कांगे्रस तो उन्हें हर समय भुला बुरा सुनाने में लगी रहती है। किरण चौधरी और श्रुति चौधरी का बढ़ता प्रभाव धर्मवीर के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। माना तो यह जा रहा है कि धर्मवीर खुद ही इस बार चुनाव लडऩे के मूड में नहीं है। ऐसे में भाजपा हाईकमान वहां पर नया उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। भाजपा वहां से किसी कद्दावर जाट नेता को ही मैदान में उतार सकती हैं। 
बूथ लेवल पर भाजपा कर रही है काम- इस बार भाजपा बूथ स्तर पर संगठन को मजबूती से खड़ा कर चुनाव मैदान में उतरेगी। बूथ स्तर पर हर इस घर पर एक कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौंपी गई है, मंडल अध्यक्षों को भी पूरी तरह से सक्रिय किया गया है। हर पदाधिकारी अपनी रिपोर्ट पार्टी की एप पर डालेगा जहां पर उसकी समीक्षा होगी और उसे  अगला दिशा निर्देश जारी किया जाएगा। फर्जी कार्य करने वालों को संगठन में पैर रखने की जगह तक नहीं मिलेगा जो काम करेगा उसका काम भी दिखाई देगा। इतनी बारीकी से कोई राजनीतिक संगठन पहली बार काम करता दिखा रहा है। ऐसे मे भाजपा के लिए मिशन-2024 में सफलता हासिल करना कोई मुश्किल नहीं है क्योंकि जिसके पास ईमानदार, निष्ठावान कार्यकर्ता होता है और जो संगठन मजबूत होता है वही राज करता है।