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सीएम के तीन दिवसीय दौरे में भाजपाइयों का अंदरूनी रोष हुआ जाहिर

जनसंवाद कार्यक्रम पड़ा फीका
 
सीएम के तीन दिवसीय दौरे में भाजपाइयों का अंदरूनी रोष हुआ जाहिर

पल पल न्यूज़ रानियां 17 मई (ओमप्रकाश)। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के तीन दिवसीय जनसंवाद कार्यक्रम में हुई हलचल पूरे प्रदेश में जहां चर्चा का विषय बनी हुई है वही इस कार्यक्रम में भाजपाइयों का अंदरूनी रोष मुख्यमंत्री द्वारा खुद अपनी आंखों से देखने के बाद भी किसी प्रकार का संज्ञान न लेना पार्टी के लिए सवालिया निशान खड़े करता है। मुख्यमंत्री के तीन दिवसीय कार्यक्रम में नाराज भाजपाइयों व सत्ता विरोधी पार्टियों की पूरी निगाह रही। प्रत्येक घटनाक्रम को सुर्खियों में लाने में किसी ने कोई कमी नहीं छोड़ी।

जनसंवाद कार्यक्रम के प्रथम दिवश से लेकर अंतिम दिवस तक मुख्यमंत्री को पार्टी के कद्दावर व वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी का मामला मीडिया की सुर्खियों में आने के बाद भी सीएम द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया। जनसंवाद के प्रथम दिवस के शुरुआती कार्यक्रम में सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल व जिला अध्यक्ष आदित्य चौटाला कुछएक कार्यक्रम में हाजिरी लगाकर नदारद हो गए। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में पूर्व विधायक रामचंद कंबोज व बलकौर सिंह मौजूद रहे। प्रदेश के मुख्यमंत्री लंबे समय के बाद सिरसा जिला में जनसंवाद कार्यक्रम को लेकर जिस उम्मीद के साथ आए थे उसके विपरीत परिणाम देखने को मिला। प्रदेश की सरकार में सिरसा जिला के पांचों विधानसभा क्षेत्र से एक भी विधायक की हिस्सेदारी नहीं है। जिसके लिए नया मैदान तैयार करने के लिए मुख्यमंत्री खुद जनता के बीच लोगों के रूबरू होने आए। जनसंवाद कार्यक्रम में सीएम साहब लोगों की शिकायतें, समस्याएं व मांगों को लेकर  महत्वकांक्षी मुद्दा चुन कर एक तीर से कई निशाने साधने आए। कार्यक्रम के दौरान लोगों ने सरकारी नौकरी बिना खर्ची पर्ची के मिलने व आयुष्मान कार्ड के बेहतरीन फायदे गिनवाए। कई कार्यक्रमों में लोगों ने सत्ता पक्ष द्वारा करवाए गए कार्यों की भूरी भूरी सराहना की।

कई कार्यक्रमों में सरकार के खिलाफ नारेबाजी का सामना करना पड़ा। जिसके कारण जनसंवाद कार्यक्रम फीका रहा। मुख्यमंत्री के तीन दिवसीय जनसंवाद कार्यक्रम में जिला के वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने जो दूरियां बनाई उससे सत्ता विरोधी पार्टियों को खूब मौका मिला है। बड़ागुढ़ा, डबवाली व बणी में हुई घटना पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है। इन घटनाक्रमों को लेकर विपक्षी पार्टियां सत्ता पक्ष पर घमंड का आरोप लगा रही है। जनसंवाद कार्यक्रम में हुई घटनाओं का जिक्र बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यक्रम में होना लाजमी है। भाजपा हरियाणा प्रदेश में दूसरी बार सत्ता काबिज हुई है। दोहरे शासनकाल के दौरान सिरसा जिला की 5 विधानसभा सीटों से कोई भी विधायक नहीं जीत पाया है। जिसकी मुख्य वजह किसी से छुपी नहीं हुई है। 2014 में सिरसा विधानसभा सीट से सुनीता सेतिया को भाजपा की टिकट मिली जो कि लंबे समय से कांग्रेस पार्टी से जुड़ी रही। एन वक्त पर भाजपा द्वारा टिकट दिए जाने से भाजपाइयों को नागवार गुजरा। जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। यहां के कद्दावर नेताओं को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया। कालावाली विधानसभा सीट से बलकौर सिंह को टिकट दी गई जो कि लंबे समय से अकाली दल से जुड़े रहे। चुनाव से पूर्व बलकौर सिंह का भाजपा नेताओं से 36 का आंकड़ा रहा। यहां पर डॉ भीम सेन, महिला नैत्री रेणु भीम शर्मा, राजेंद्र देसूजोधा को हाशिए पर ला खड़ा किया। नए चेहरे को टिकट मिलने से भाजपाइयों का अंदरूनी रोष कम नहीं हुआ। जिसका खामियाजा भाजपा को कालांवाली से भी भुगतना पड़ा।

डबवाली विधानसभा सीट पर चौ देवीलाल परिवार के आदित्य को टिकट मिली। जबकि चुनाव से पूर्व चौटाला परिवार के साथ भाजपा नेताओं में देव कुमार शर्मा, सतीश जग्गा, बलदेव सिंह मांगेआना विरोधी रहे। ऐलनाबाद विधानसभा सीट से भाजपा से पवन बेनीवाल को टिकट मिली जो कि चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे। चुनाव के बाद एक बार फिर भाजपा को अलविदा कहकर दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। यहां पर पुराने कद्दावर नेता अमीरचंद मेहता व भूरा राम डूडी की अनदेखी होती रही है। ऐलनाबाद उपचुनाव के दौरान भाजपा की ओर से गोविंद कांडा को नया प्रत्याशी उतारा गया जोकि से विधानसभा चुनाव में  हलोपा पार्टी से रानिया के प्रत्याशी रहे। इसी प्रकार रानियां विधानसभा सीट से भाजपा की सीट से रामचंद कंबोज को प्रत्याशी उतारा गया। जो कि चुनाव से पहले इनेलो के विधायक रह चुके हैं। इन्होंने इनेलो छोड़कर भाजपा को ऐन मौके पर ज्वाइन किया था। यहां पर भाजपा के पुराने नेताओं में स्व: तीर्थ दास नंबरदार, मदन पॉपली, गोविंद पॉपली, पूर्ण चंद सेन बलवान जांगड़ा सहित कई नेताओं की अनदेखी हुई तथा इन्हें हाशिए पर ला खड़ा किया। यहां पर आजाद प्रत्याशी रणजीत सिंह चुनाव जीत गए जो इस समय सत्ता पक्ष के साथ सहयोगी बने हुए हैं। प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद भी सिरसा जिला के कई वरिष्ठ भाजपा नेता कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं। यहां तक कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम में ना  पहुंचना कई सवालिया निशान खड़े करता है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी का समय रहते अवलोकन न किया गया तो आगामी चुनाव में भाजपा को पिछले चुनाव के परिणाम फिर से भुगतने पड़ेंगे।