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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई मिनी बाइपास की स्ट्रीट लाइट

दस मार्च को सिरसा में जुटेंगे देशभर के वीआईपी, बदनाम न हो मेरा शहर, जागना होगा प्रशासन को 
 
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई मिनी बाइपास की स्ट्रीट लाइट 
सिरसा। जब चमन को खा रहा हो चमन का माली तो उस शहर को वीरान होने से कौन रोक सकता है। ऐसा ही कुछ धार्मिक नगरी सिरसा के साथ हो रहा है, नगर परिषद के अधिकारी नगर को खाने का कोई मौका नहीं छोडऩा चाहते वो तो संत:महात्माओं का आशीर्वाद सिरसा पर रहा है वर्ना को नगर में न जाने कब की वीरानी छा गई होती। नगर में बिना विवाद, बिना भ्रष्टाचार के कोई काम नहीं हुआ। लोग शोर मचाते है पर कोई सुनवाई नहीं होती, क्योंकि वकील भी उनका और दलील भी उनकी। मुंसिफ सबूत मांगता है और जांच अधिकारी सबूत ही खा जाते है तो पेश कौन करे। मिनी बाइपास पर दिल्ली पुल से रेलवे फाटक तक कभी स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थी पर जली एक दिन भी नहीं क्योंकि वहां पर जमकर घोटाला हुआ था, जांच में पता चला कि  लाइटे छह गुना अधिक रेट पर खरीदी गई थी। एक बार सीडीएलयू के फैकल्टी हाऊस में राज्यपाल औैर सीएम रूके थे तब न जाने कै से दो दिन के लिए लाइटें जलाई गई थी पर आज तक लाइट नहीं जली, मिनी बाइपास सूर्य छिपते ही तब तक अंधेरे में डूबा रहता है जब तक सूर्य देव खुद उदय होकर उजाला न कर दें। कहा जा सकता है कि नगर परिषद सिरसा के भ्रष्टाचार की भेंट मिनी बाइपास की स्ट्रीट लाइट भी चढ़ गई। दस मार्च को चौटाला परिवार के एक शादी समारोह में देश भर के वीआईपी जुटेंगे, शहर को अंधेरे में देखकर बड़ी बदनामी होगी क्या नगर परिषद प्रशासन इस दाग को धोने का प्रयास करेगा।
नेशनल हाइवे को दो हिस्सों मे बांटकर स्ट्रीट लाइटे लगाई गई थी, दिल्ली पुल से निशुराज के पास तक पीडब्ल्यूडी की ओर से फैं सी  स्ट्रीट लाइटें लगाई थी जो आज भी रोशन है, रात को उनकी रोशनी अपनी ओर आकॢर्षत करती है, लाइटें देखते ही लगता है कि  न जाने शहर कितना सुंदर होगा, दिल्ली पुल से मिनी बाइपास की ओर चलो को शहर अंधेरे में डूबा हुआ होता है जहां पर आकर व्यक्ति के सारे सपने चकनाचूर हो जाते र्है।  दिल्ली पुल से डबवाली रोड स्थित रेलवे फाटक से होते हुए बांदरो वाली पुलिया तक नगर परिषद सिरसा द्वारा स्ट्रीट लाइटें लगाई गई पर यह कार्य फाटक तक हुआ। पर ये शो पीस बनकर ही रह गए। मिनी बाइपास पर वीआईपी लोग रहते हैं, अधिकतर बड़े कार्यालय भी है। इस रोड पर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का आवास है, आगे चलकर पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाऊस है। बाबा भूमण शाह चौक से आगे चलकर गुरूद्वारा है फिर सीडीएलयू है, इसी मार्ग पर सिरसा मेडिकल कालेज का निर्माण होना है। इस रोड पर केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र है। फिर भी नगर परिषद प्रशासन इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहा हैं।
वर्ष 2012-13 में दिल्ली पुल से रेलवे फाटक तक मिनी बाइपास पर  स्ट्रीट लाइट लगाई गई थी, जैसे ही लाइटे लगी कि नगर परिषद की झोली से भ्रष्टाचार को जिन्न बाहर आ गया, बुद्धिजीवियों और नगर की चिंता करने वालों ने शोर मचाया तो प्रशासन को लगा कि अब तो जांच करवानी होगी, स्ट्रीट लाइट की कमाई का पैसा नीचे से उऊपर तक बांटा गया था। नगर परिषद पर आरोप लगा कि बाजार में 1400 रुपये में बिकने वाली लाइट 18 हजार रुपये मेंं खरीदी दिखाई गई थी यानि जमकर अवैध कमाई की गई। उपायुक्त अनसुनी करके चले गए पर जब तत्कलीन उपायुक्त जे गणेशन के समक्ष मामला आया तो उन्होंने इसकी जांच  मार्केटिंग बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी से करवाई जो विभाग की बिजली शाखा में थे। पता चला कि उनके विभाग ने ठीक ऐसी ही लाइट 3300 रुपये प्रति लाइट खरीदी है यानि नगर परिषद ने ठीक छह गुना अधिक दाम पर लाइटे खरीदी थी, जांच रिपोर्ट आने पर ठेकेदार का भुगतान रोक दिया गया पर जे गणेशन के बाद कसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया, जो लाइटे लगाई गई थी वे कहां गई, स्ट्रीट लाइट वाले पी तक गायब होने लगे। इतना सब कुछ होते हुए भी नगर परिषद के किसी भी अधिकारी के खिलाफ इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि कार्रवाई कौन करता बंटवारे में सब शामिल थे।
काश! इस मिनी बाइपास पर भी स्ट्रीट लाइटें ठीक वैसे ही जलती जैसे दिल्ली पुल से आगे जल रही है तो कितना अच्छा होता, लोग मेरे शहर की मिसाल दिया करते पर ऐसा हो न सका। नगर परिषद ने कोई एक तो काम ऐसा किया होता जो लोग उसकी तारीफ किया करते। ठीक ऐसा ही नगर के भीतर लगी स्ट्रीट लाइट को लेकर हो रहा है, अधिकतर स्थानों पर लाइटे खराब है या गायब हो गई। नगर परिषद का एक ही जवाब होता है कि स्ट्रीट लाइट का ठेका इस बार प्रदेश में एक ही व्यक्ति को दिया गया है जिसने अभी तक काम शुरू नहीं किया है, तीन साल निकल गए पर ठेेकेदार की नींद अभी तक नहीं खुली है पर जब कोई नेता नगर परिषद के अधिकारियों को लताड़ते हुए कहता है कि फलां वार्ड में कल तक स्ट्रीट लाइट लग जानी चाहिए तो 12 घंटे में ही वह वार्ड जगमगा उठता है यानि परिषद वाले आदमी देखकर काम करते है। यही वजह है कि पॉश कालोनी में रात रोशनी के आगोश में सोई हुई दिखाई देती है जबकि अन्य कालोनी में लोग अंधेरे का दामन पकड़कर नींद लेते हैं।

युवराज की शादी है,देशभर के वीआईपी आएंगे, जाग जाओ जनाब  
जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अजय सिंह चौटाला के पुत्र और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय सिंह की 15 मार्च को दिल्ली में शादी है, इससे पूर्व सिरसा में  दस मार्च को विवाह समारोह को लेकर प्रीति भोज का आयोजन है जिसमेें देशभर से वीआईपी आएंगे तो ठहरेंगे भी। कुछ वीआईपी रेस्ट हाऊस में रूकेंगे जो मिनी बाइपास पर है। चौटाला परिवार का आवास और समारोह स्थल भी  इसी रोड पर है। ऐसे मेें इस रोड पर प्रकाश की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए शहर के  मिनी बाइपास को अगर वीआईपी ने अंधेरे में डूबा हुआ देख  लिया तो बड़ी बदनामी होगी। हिसार रोड पर पाइप लाइन डालने के बाद सड़क का निर्माण नहीं किया गया था पर जीटीएम मैदान में विवाह समारोह को लेकर आयोजन हो रहा है तो सड़क का निर्माण भी शुरू कर दिया है। दुष्यंत चौटाला के पास संबधित विभाग भी है, क्या अपने भाई की शादी से पहले वे सड़कों की हालात नहीं बदल सकते। भाई की शादी है तो उन्हें शहर की सूरत ही बदल देनी चाहिए वे डिप्टी सीएम है पैसा तो सरक ार ही खर्च करेगी पर वह काम हो जाएगा जो आज तक नगर परिषद नहीं कर पाई।