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सोनीपत: जल की स्वच्छता के साथ, मन की स्वच्छता भी आवश्यक: सुदीक्षा महाराज

-यमुना नदी गोरीपुर क्षेत्र में प्रोजेक्ट अमृत के अंतर्गत सफाई अभियान चलाया सेवादारों ने सेवाएं दी
 
सोनीपत: जल की स्वच्छता के साथ, मन की स्वच्छता भी आवश्यक: सुदीक्षा महाराज

सोनीपत, 26 फरवरी। संत निरंकारी मिशन की सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी के कर कमलों द्वारा रविवार को आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के अंतर्गत अमृत परियोजना स्वच्छ जल स्वच्छ मन का शुभारम्भ किया गया। सोनीपत में यमुना नदी की सफाई की गई भारतवर्ष के 1100 से अधिक स्थानों के 730 शहरों, 27 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में एक साथ सेवा की गई। बाबा हरदेव सिंह जी की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए संत निरंकारी मिशन द्वारा निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि परमात्मा ने हमें यह जो अमृत रूपी जल दिया है। हम सभी उसकी उसी तरह संभाल करें। स्वच्छ जल के साथ साथ मनों का भी स्वच्छ करें क्योंकि इसी भाव के साथ हम संतों वाला जीवन जीते हुए सभी के लिये परोपकार का ही कार्य करते हैं। सोनीपत के विधायक सुरेंद्र पंवार, मेयर निखिल मदान ने यमुना नदी गौरीपुर मोड़ के पास में निरंकारी सेवादारों की सेवा सराहना की और कहा कि निरंकारी मिशन पूरे में विश्व में मानव सेवा के लिए खास पहचान रखता है। संत निरंकारी मण्डल के सचिव जोगिन्दर सुखीजा ने बताया कि अमृत परियोजना के अंतर्गत दिल्ली एवं ग्रेटर दिल्ली के लगभग सभी क्षेत्रों की स्वच्छता की गई जिनमें अशोक विहार का संजय झील, कैनल सोर यमुना, दिल्ली का आई. टी. ओ. छट घाट, दिल्ली के निगम बोध घाट, भलस्वा झील, यमुना का सुर घाट, यमुना का राम घाट, दिल्ली का कालिंदी कुंज घाट इत्यादि स्थान प्रमुख है। इसके अतिरिक्त ग्रेटर दिल्ली से मुख्यतः ब्रजघाट गढ़, मुक्तेश्वर गंगा, सूरजपुर, गाजियाबाद का हिण्डन घाट, मण्डोरा तालाब, संकहोल गांव, गुरूग्राम के सोहना रोड पर स्थित दम दमा झील, सोनीपत का गोरीपुर, असंध रोड नदी इत्यादि की स्वच्छता सभी स्वयंसेवकों द्वारा पूरे उत्साह के साथ की गई। सभी सेवादारों एवं आंगतुको के बैठने, जलपान, पार्किंग, मेडिकल इत्यादि प्रबंध किया गया। अमृत प्रोजेक्ट के मध्य सुरक्षा व्यवस्था के अंतर्गत विभिन्न जल निकायों हेतु पूरे देश में दिये गये दिशा निर्देशों का पालन किया गया रेड ज़ोन सभी के लिए पूर्णतः वर्जित था। कार्यक्रम का मुख्य स्थल येलो ज़ोन था और इसके अतिरिक्त ग्रीन ज़ोन में सुरक्षा हेतु महिलाओं एवं बालको के प्रवेश की अनुमति दी गयी। परियोजना में अधिक से अधिक युवाओं का सक्रिय योगदान रहा। कार्यक्रम के मध्य केवल पर्यावरण अनुकूल उपकरणों का ही प्रयोग किया गया। प्लॉस्टिक की बोतलों, थर्माकॉल इत्यादि का प्रयोग सभी के लिए पूर्णतः वर्जित था।