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हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ सकेगा राम रहीम

 साध्वी यौन शोषण तथा पत्रकार हत्याकांड में जारी रहेगी सजा
 
  हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ सकेगा राम रहीम
चंडीगढ़, 28 मई  पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा प्रबंधक हत्याकांड में बरी किए जाने के बावजूद डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेगा। साध्वी यौन शोषण व पत्रकार छत्रपति की हत्या मामले में मिली सजा उसे काटनी होगी। कोर्ट के फैसले के बाद हरियाणा व पंजाब में डेरा प्रेमी खासे उत्साहित हैं।
राम रहीम इस वक्त रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे कुल तीन मामलों में सजा हुई थी। इनमें रणजीत हत्याकांड के अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साध्वियों के यौन शोषण का केस भी शामिल है। पत्रकार की हत्या में उसे उम्रकैद और यौन शोषण के दो केसों में 10-10 साल की कैद हुई थी। इस केस में बरी होने के बावजूद राम रहीम को अभी जेल में ही रहना होगा। कुरुक्षेत्र के रहने वाले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी पुलिस जांच हुई, लेकिन डेरे को क्लीन चिट दे दी गई। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी।
शुरुआत में इस मामले में राम रहीम का नाम नहीं था, लेकिन साल 2003 में जांच सीबीआई को सौंपी गई। फिर 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान पर डेरा प्रमुख को शामिल किया गया। इस मामले में 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर आरोप तय किए थे।
19 साल के बाद अक्टूबर 2021 में डेरा मुखी समेत 5 आरोपियों को दोषी करार दिया गया। जिसके बाद सीबीआई कोर्ट ने इन्हें उम्रकैद की सजा दे दी। सजा मिलने के तीन साल बाद राम रहीम हाईकोर्ट से बरी हो गया।
रणजीत सिंह की हत्या का मामला गुमनाम चिट्ठी से जुड़ा हुआ है, जिसमें डेरे में साध्वियों के यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। ये वह चिट्ठी थी, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजी गई थी। सीबीआई ने दावा किया था कि डेरे को शक था कि रणजीत ने ही अपनी बहन से साध्वियों के यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी लिखवाई है। चिट्ठी के सामने आने के बाद रणजीत को डेरे में बुलाया गया। जहां उसे गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी गई थी। कुछ समय बाद उसकी हत्या कर दी गई।
यह चिट्ठी सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार में छापी थी। इसके बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को 24 अक्टूबर को गोली मारी गई थी। इसके बाद उसे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 21 नवंबर को उनकी मौत हो गई थी। छत्रपति की हत्या के केस में भी राम रहीम उम्रकैद काट रहा है।