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पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग पर लगाया जुर्माना

 विभागीय अनदेखी के कारण खत्म की प्रतीक्षा सूची की वैधता
 
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग पर लगाया जुर्माना
चंडीगढ़, 29 जून  पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को चयनित होने के बावजूद प्रतीक्षा सूची में रखे जाने के मामले में फैसला सुनाते हुए शिक्षा विभाग हरियाणा पर 50 हजार रुपये जुर्माना किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पद की अनुपलब्धता उस आवेदक को नियुक्ति से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती है, जिसके साथ राज्य की मनमानी कार्रवाई के कारण अन्याय हुआ है।
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से 2019 में जारी एक विज्ञापन के अनुसार विधिवत चयनित होने के बावजूद याचिकाकर्ता को प्रतीक्षा सूची में रखा गया। शिक्षा विभाग ने बिना किसी औचित्य के प्रक्रिया में देरी की, जिससे प्रतीक्षा सूची की वैधता अवधि समाप्त हो गई।
याचिकाकर्ता ने प्रतीक्षा सूची की वैधता बढ़ाने के लिए आवेदन किया था। इस आवेदन के बाद वैधता को 6 माह के लिए बढ़ाया तो गया लेकिन याचिकाकर्ता को कभी भी बुलाया नहीं गया। इसके अलावा उनके आवेदन का भी कोई जवाब नहीं दिया। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि यह केवल विभागीय सुस्ती के कारण था कि याचिकाकर्ता को समय पर नियुक्ति की पेशकश नहीं की जा सकी। राज्य सरकार की उस दलील को भी नकार दिया गया, जिसमें पद उपलब्ध नहीं होने के बारे बताया गया था।
जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने प्रदेश सरकार की संस्थाओं के इस रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए शिक्षा विभाग पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया। याचिकाकर्ता को इस आधार पर नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया कि मुख्य चयन सूची के साथ ही प्रतीक्षा सूची की भी वैधता समाप्त हो चुकी थी।