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राजकीय सम्मान से किया प्रवीण कुमार का अंतिम संस्कार

 
 राजकीय सम्मान से किया प्रवीण कुमार का अंतिम संस्कार 
जींद, 28 सितंबर  जम्मू में चुनाव की ड्यूटी में तैनात काब्रच्छा गांव के सीआरपीएफ जवान प्रवीण कुमार का गांव में शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सफाखेड़ी गांव से युवा बाइकों के काफिले के साथ काब्रच्छा गांव तक प्रवीण कुमार के पार्थिव शरीर को लेकर गए। माेटरसाइकिलाें पर तिरंगे लगाए हुए युवा, ग्रामीण प्रवीण अमर रहे के नारे लगाते हुए सफाखेड़ी, तारखा से होते हुए गुजरे। प्रवीण के अंतिम संस्कार में पहुंच कर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, बृजेंद्र सिंह, विकास काला, वीरेंद्र घोघडिय़ा, पवन फौजी, दिलबाग संडील सहित गण्माान्य लोगों, ग्रामीणों ने श्रद्धाजंलि दी। सीआरपीएफ के डीएसपी भी इस दौरान मौजूद रहे। पूर्व सैनिक संघ भी प्रवीण की अंतिम यात्रा में शामिल हुआ। सीआरपीएफ हरियाणा पुलिस के जवानों ने प्रवीण कुमार को अंतिम सलामी दी। 26 साल का प्रवीण 13 मार्च 2021 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। मार्च 2023 में प्रवीण की शादी पंघाल (हिसार) गांव की नीलम के साथ हुई थी। प्रवीण के नौ माह का एक बेटा है। अपने माता-पिता का इकलौता बेटा प्रवीण था। प्रवीण से बड़ी उसकी बहन है जो शादीशुदा है। प्रवीण के परिजनों को शुक्रवार को ड्यूटी के दौरान प्रवीण की मौत की खबर लग गई थी। पढ़ाई करते हुए प्रवीण सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। 12वीं तक प्रवीण ने पढ़ाई की। 25 जुलाई छुट्टी पूरी करके वो ड्यूटी पर गया था। दीपावली के आसपास वापिस घर आना था। गुरूवार शाम को प्रवीण की पिता राजबीर से बात भी हुई थी। प्रवीण कुमार के पार्थिव शरीर के साथ आए जवानों ने बताया कि प्रवीण कुमार ड्यूटी को लेकर बहुत पाबंद था।
जानकारी के अनुसार जिस बिल्डिंग में अपनी टीम के साथ प्रवीण रूका हुआ था, वहां शुक्रवार सुबह नाश्ता करने के बाद कठुआ के लिए जाना था। टीम द्वारा दोपहर का लंच भी पैक कर लिया था लेकिन भगवान को शायद कुछ ओर मंजूर था। बिल्डिंग में चल रहे काम में जो लिफ्ट थी वहां से गुजरते हुए प्रवीण ड्यूटी के दौरान हादसा का शिकार हो गए। ग्रामीणों ने बताया कि प्रवीण कुमार बड़ा मिलनसार था। वो जब भी छुट्टी आता तो गांव में ही रहता था।
रो-रो कर हुआ हुआ परिजनों का बुरा हाल
काब्रच्छा गांव में प्रवीण के घर पर पार्थिव शरीर प्रवीण कुमार का पहुंचा तो परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। परिवार को सांत्वना देने वालों की आंखों में भी आंसू अपने आप आ रहे थे। नौ महीने के मासूम को नहीं पता था कि उसके सिर से पिता का साया उठ गया है। पत्नी नीलम बार-बार बेहोश हो रही थी। महिलाएं नीलम को सांत्वना देने के साथ-साथ खुद के आंसू नहीं रोक पा रही थी। पूरे गांव में मातम का माहौल था। चाचा रोहताश ने बताया कि चुनाव ड्यूटी श्रीनगर में तैनात प्रवीण कुमार था। पूर्व सैनिक संघ के सूबेदार अमरनाथ ने बताया कि प्रवीण कुमार श्रीनगर में चुनाव ड्यूटी में कार्यरत थे। बिल्डिंग बनी हुई थी उसके अंदर जो लिफ्ट थी वो पूरी तरह से तैयार नहीं थी।