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किसानों को कोई दीवार, बैरीगेट, कीलें, पत्थर दिल्ली जाने से नहीं रोक पाएंगे: औलख​​​​​​​


बीकेई ने दिल्ली कूच के उपलक्ष में कई गांव में निकाला ट्रैक्टर मार्च 
 
  किसानों को कोई दीवार, बैरीगेट, कीलें, पत्थर दिल्ली जाने से नहीं रोक पाएंगे: औलख​​​​​​​
सिरसा।12 फरवरी  13 फरवरी दिल्ली कूच में शामिल होने के लिए बचेर, बणी, बाहिया, मतूवाला, सेनपाल, सेनपाल कोठा, नथोर तक ट्रैक्टर मार्च शुरू किया। ट्रैक्टर मार्च को रोकने के लिए भारी पुलिस बल गांवों में पहुंचा, लेकिन किसानों ने अपना ट्रैक्टर मार्च चालू रखा। पुलिस, किसानों को रोक नहीं पाई। बचेर से सुभाष झोरड़ ने कहा कि किसान अपनी मांगों के प्रति जागरूक हैं। बड़ी संख्या में किसान दिल्ली कूच करेंगे। बीकेई प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने कहा कि 13 को देशभर से किसान दिल्ली कूच के लिए आ रहे हैं। कर्नाटक से सीनियर किसान नेता कुरबूरु शांता कुमार अपने साथियों के साथ दिल्ली के लिए आ रहे थे, उनके साथ महिला किसान भी थी, लेकिन भोपाल मध्य प्रदेश रेलवे स्टेशन पर उन्हें रोका गया। पुलिस ने किसानों के साथ बदतमीजी की और धक्का मुक्की भी की, जिसके चलते उनकी पत्नी चोटिल हो गई। सिर पर गहरी चोटें आई हैं। आपातकाल स्थिति में उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। मध्य प्रदेश में भी किसान साथियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों को रोकने का ठेका ले रखा है। पंजाब और राजस्थान के साथ लगती सारी सीमाएं सील कर दी गई हैं। बड़े-बड़े पत्थर लगा दिए गए हैं। सडक़ खोद दी गई है। सडक़ों पर कीलें लगा दी गई हैं। इंटरनेट सेवा ठप कर दी गई है। इमरजेंसी सेवाओं के लिए भी कोई रास्ता नहीं छोड़ा गया है। इमरजेंसी जैसे हालात कर रखे हैं, लेकिन किसान अपनी राजधानी में जा रहा है और जाकर रहेंगे उन्हें कोई रुकावट रोक नहीं सकती है। थोथी छाती और गारंटी की झूठी पोटली लेकर घूम रहे कृषि प्रधान देश तथा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के कमजोर प्रधानमंत्री का असली चेहरा दुनिया के सामने आ गया है। जिन किसानों ने 378 दिन सडक़ों पर गर्मी, सर्दी और तूफान सहते हुये अपने 750 से अधिक किसानों की शहादत देने के बाद कमजोर, लेकिन कठोर प्रधानमंत्री ने तपस्या में कमी रहने की बात कहते हुए अपने सभी वादे पूरे करने का किसानों को भरोसा दिया था, लेकिन 26 महीने के लम्बे इंतजार के बाद भी जब किसानों के साथ किये गये वादे पूरे नहीं हुए तो किसानों ने प्रधानमंत्री को याद करवाने के लिए 13 फरवरी को दिल्ली जाने का ऐलान किया। अपने वादों पर अमल करने की बजाय गारंटी वाले प्रधानमंत्री ने अपनी पूरी ताकत किसानों को रोकने के लिए देश की सभी सीमाओं पर कंक्रीट के बैरिकेट्स तथा लोहे के सरियों से किसानों को रोकने का काम किया है। जैसे यह किसान देश के दुश्मन हों, एक तरफ  किसानों के साथ मीटिंग करने का ढोंग कर रहे हैं तथा दूसरी तरफ  किसान नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए उनके घर छापेमारी की जा रही है। सभी देशवासियों से अपील है कि इस सरकार के घटिया आचरण पर सभी को चिंता व्यक्त करते हुए आंदोलन के साथ खड़े होना चाहिए और सरकार को किसानों की बात सुनने के लिए मजबूर करना चाहिए। इस मौके पर सुभाष झोरड़, हंस राज पचार, सतवीर झोरड़, जगजीत सिद्धू उपस्थित थे।