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बच्चे की आंख फोडऩे वाले टीचर पर 20 दिन बाद भी नहीं हुई कार्रवाई​​​​​​​

स्टील का स्केल लगने से गई रोशनी 
 
  बच्चे की आंख फोडऩे वाले टीचर पर 20 दिन बाद भी नहीं हुई कार्रवाई​​​​​​​
फरीदाबाद, 11 नवंबर  फरीदाबाद में महिला टीचर द्वारा फेंके गए स्टील के स्केल से छठी कक्षा के छात्र की आंख फूटने मामले में 20 दिन बीतने के बावजूद आरोपी टीचर व प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। परिजन पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं है और वे इसको लेकर पुलिस कमिश्रर राकेश आर्य से मिले और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गुहार लगाई है। घटना 21 अक्टूबर की है, जब सरकार ने ग्रुप सी व डी की परीक्षा को लेकर सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर रखा था। आंख में चोट लगने के बाद से बच्चा देख नहीं पा रहा है।
पुलिस ने टीचर के खिलाफ केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है, फिलहाल आरोपी टीचर की गिरफ्तारी हुई है। जानकारी के अनुसार पीडि़त 12 वर्षीय छात्र देवांश फरीदाबाद के सरस्वती शिशु सदन नाम के स्कूल में छठवीं कक्षा में पढ़ता है। उसके भाई निखिल ने बताया कि देवांश ने क्लास में कोई शरारत की थी, इस पर महिला टीचर ने उसे सजा के तौर पर खिडक़ी के बाहर खड़ा कर दिया, फिर अचानक पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि टीचर प्रीति ने हाथ में पकड़ा स्टील का स्केल देवांश की तरफ फेंक दिया, जो कि उसकी आंख में जा लगा, आंख से खून बहने लगा।
निखिल ने बताया कि स्कूल ने घटना के बाद देवांश को न कोई प्राथमिक उपचार दिया और न ही अस्पताल पहुंचाया क्योंकि उनके पास कोई एंबुलेंस ही नहीं है। स्कूल ऐसे तंग रास्ते पर बना है, जहां कोई अप्रिय घटना हो जाए तो वहां पर न तो फायर बिग्रेड पहुंच सकती है और न ही एंबुलेंस। निखिल ने बताया कि वह किसी तरह से स्कूल से अपने भाई को एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचा, निजी अस्पताल के डाक्टर ने बच्चे की आंख की हालत देखकर कहा कि इसका इलाज उसके बस की बात नहीं है।
बाद में देवांश को दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में लेकर गए, वहां उसकी आंख का आप्रेशन भी हो गया, देवांश की आंख की रोशनी अभी तक वापस नहीं आई है। निखिल ने बताया कि डाक्टरों ने उन्हें बताया कि देवांश की दूसरी आंख की रोशनी पर भी खतरा है। बच्चे पर हुई ज्यादति को लेकर स्कूल प्रबंधन पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है। इस बीच स्कूल चेयरमैन ने वारदात को लेकर किसी भी तरह का बयान देने से मना कर दिया है। स्कूल में आरोपी टीचर प्रीति ने भी अपने पक्ष में कुछ नहीं कहा है।