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गृहस्थ भाव से साधुता की ओर चलना सामायिक: साजल

 
गृहस्थ भाव से साधुता की ओर चलना सामायिक: उपासिक ा साजल

रोहतक, 14 सितंबर। जैन श्वेतांबर तेरापंथ भवन में पर्यूषण में धर्म आराधना हो रही है। आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या उपासिका मंजु नाहटा, लीला सुराना, साजल जैन के प्रवचनों से धर्म की अमृतवर्षा हो रही है। पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन सामयिक दिवस के रूप में मनाया गया। 
उपासिका मंजू नाहटा ने प्रवचन में कहा कि सामयिक शब्द अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। यदि इसमें से केवल एक अक्षर ‘सा’ निकाल दिया जाए तो वह सामयिक के विपरीत मायिक बन जाएगा। इसका अर्थ है मायाचार यानी बिना क्षमता के किया धर्माचरण।

लीला सुराना ने कहा कि दुनिया में बुराइयां इसलिए नहीं हैं कि बुरे आदमी ज्यादा बोलते हैं, बल्कि इसलिए हैं कि भले आदमी चुप रहते हैं। सामयिक की महिमा गाने वाले आज बहुत हैं परंतु सामयिक करने वाले बहुत अल्प संख्या में हैं। शायद गुरुनानक देव ने इसलिए कहा होगा कि सज्जनों को बिछडऩे दो, वे जहां-जहां जाएंगे, अपनी सुजनता, समता, साधना का सुवास फैलाएंगे। साजल जैन ने कहा कि सामयिक का अर्थ है सीधा चलना, सच बोलना, सही सोचना व जो करें वह साफ हो, सरल हो छोटे-छोटे अणुव्रतों से हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।