मौजी की पुस्तक का हुआ लोकार्पण, ग़ज़ल गायकों ने बांधा समां

इस अवसर पर बठिंडा से आए गायक बलकरण बल्ल ने पंजाबी ग़ज़ल "मोती सितारे फुल वे, मुट्ठी मेरी विच कुल वे, पर बिन तेरे किस मुल वे" गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने सुरजीत पातर की "मेरे कोलौं कच दा ग्लास टूटिया" और "बलदा होइए बिरख हां खत्म हां बस शाम तीक हां, फेर वी किसे बहार दी करदा उडीक हां " की भी शानदार प्रस्तुतियां दीं। संगीताचार्य और गायक राज वर्मा ने कश्मीर मौजी की ग़ज़ल "साह लैना हुन ओखा लगदा है, विच हवा दे धोखा लगदा है" गाकर समां बांध दिया। जबकि संतोष रानी, दुर्गा कंवर और गायत्री पंवार ने ग़ज़लों की संगीतमयी प्रस्तुतियां दे कर श्रोताओं को बेहद प्रभावित किया। मुख्य अतिथि संजीव शाद ने कश्मीर मौजी को इस पुस्तक के लिए बधाई दी और कहा कि अगर दुनियां में कहीं भी कोई भी नई खोज हुई है वह प्रतिभा से भरे और अलमस्त लोगों ने ही की है। इस लिए समाज को कला और साहित्य से जुड़े लोगों की प्रतिभा को सम्मान देना चाहिए ताकि मानवता के लिए नया सृजित करने वालों को ऐसा करने का और अधिक बल मिल सके। उन्होंने कहा कि कश्मीर मौजी ऐसे ही प्रतिभाशाली ग़ज़लकार है और उन में बहुत बड़ा करने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर हरजिंदर सिंह ने वर्तमान समय में सांस्कृतिक आंदोलन की जरूरत पर बल दिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने ने शिक्षण संस्थानों को साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्रों के रूप में विकसित करने का आह्वान किया। शायर कश्मीर मौजी ने अपने जीवन और ग़ज़ल लेखन पर अपने विचार रखे और अनेक शेयर सुना कर माहौल को काव्य रंग में रंग दिया। उन्होंने अपनी पुस्तक के लोकार्पण समारोह आयोजित करने पर आयोजकों और बड़ी संख्या में आए श्रोताओं के प्रति आभार प्रकट किया। इस अवसर पर सभा के वरिष्ठ उप प्रधान प्रभु दयाल, सुरजीत सिरडी, गुरजीत मान, प्रेम सिंह, रानियां बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आर के बांगा, मंजुल गुलाटी, लाज पुष्प, तरुण गुलाटी, मंजीत सिंह, पुष्पिंदर सिंह, जसप्रीत बठला, हरभगवान चावला, परमानंद शास्त्री, अनमोल तनेजा, हरीश सेठी झिलमिल, साहिल छबड़ा, सीता राम शर्मा, बिट्टू, पूर्ण चंद जोशी, रोशन लाल गर्ग और सतनाम सिंह सहित बड़ी संख्या में पंजाबी प्रेमी शामिल हुए।