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कुमारी सैलजा के विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा से कांगे्रस में राजनीति आया उबाल

कालांवाली, रतिया, उकलाना या संढौरा विधानसभा क्षेत्र से उतर सकती है चुनाव मैदान में 
 
कुमारी सैलजा के विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा से कांगे्रस में राजनीति आया उबाल 
सिरसा, 14 सितंबर। पिछले कुछ माह में अखिल भारतीय कांगे्रस की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और हरियाण कांगे्रस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा की सक्रियता से कांगे्रस को मजबूती मिली है और उनके समर्थक कार्यकर्ताओं में उत्साह और जोश भी बढ़ा है, उनकी विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा ने कई कांगे्रस नेताओं की नींद उड़ा दी है। कहा जा सकता है कि प्रदेश कांगे्रस की राजनीति में उबाल आ गया है। ऐसा करके सैलजा उनको जवाब देने का प्रयास किया है जो स्वयं को अभी से सीएम मानकर चल रहे हैं। सैलजा सिरसा के विधानसभा क्षेत्र कालांवाली,फतेहाबाद के  रतिया, हिसार के उकलाना या अंबाला के संढौरा  क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतर सकती है।
गौरतलब हो कि कुमारी सैलजा देश की राजनीति में एक बड़ा नाम है, कांग्र्रेस के कद्दावर नेताओं  में उनकी गिनती होती है, वे सोनिया गांधी परिवार की मजबूत कड़ी हैं।  राजनीति उन्हें विरासत में मिली है, राजनीति का ककहरा उन्होंने अपने पिता चौ.दलबीर सिंह के साथ रहकर सीखा। पढ़ाई करते ही राजनीति में कदम रखा और महिला कांगे्रस अध्यक्ष का पद संभाला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा, उनकी राजनीति कद बढ़ता ही चला गया, गांधी परिवार में मजबूत पकड़ रही, उन्होंने स्वयं को केंद्र की राजनीति में सक्रिय रखा पर हरियाणा में कांग्रेस के हालात देखते हुए उन्होंने हरियाणा में मजबूत कदम रखा। उनके पिता चार बार सांसद रहे और केंद्र में मंत्री रहे। उसी राह पर चलते हुए सैलजा सिरसा और अंबाला से सांसद रही और बाद में वे राज्यसभा की सदस्य चुनी गई। हाई कमान ने उन्हें बाद में हरियाणा कांगे्रस का अध्यक्ष नियुक्त किया। उन्होंने सदैव राजनीतिक हित से ज्यादा पार्टी
का ख्याल रखा सभी को एक साथ लेकर चलने का प्रयास किया पर कुछ अड़चने उनकी राह में पैदा कर दी गई। उन्हें लगा कि हरियाणा कांग्रेस के हालात को लेकर चुप्पी साधी तो कांग्रेस  धरातल पर आ जाएगी ऐसे में उन्होंने मुखर होकर अपनी बात जनता के समक्ष रखी और हाईकमान को बार-बार सचेत किया। प्रदेश कांगे्रस में गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है बावजूद इसके कांगे्रस का हर नेता एक ही बात कहता है कि पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है सब एकजुट हैं। कोई स्वयं को मुख्यमंत्री मानकर चल रहा है और पार्टी की ओर से जनता के समक्ष घोषणाएं कर रहा है मुख्यमंत्री का फैसला कांगे्रस में हाईकमान विधायकों की राय  से करता है और घोषणपत्र भी हाईकमान की ओर से गठित कमेटी तैयार करती है, इन सभी का जवाब देने के लिए ही शायद कुमारी सैलजा ने विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा व्यक्त करते हुए फैसला हाईकमान की झोली में डाल दिया है।
कुमारी सैलजा के विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा से कई दावेदारों की नींद हराम हो गई है,  सिरसा के विधानसभा क्षेत्र कालांवाली,फतेहाबाद के  रतिया, हिसार के उकलाना या अंबाला के संढौरा  क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतर सकती है। सैलजा सिरसा से दो बार सांसद रही है ऐसे में उनकी कालांवाली और रतिया क्षेत्र में अच्छी पैठ रही है, अंबाला से भी वे सांसद रही है ऐसे में संढोरा सीट पर भी वे चुनाव लड़ सकती है। पर उनकी उकलाना से चुनाव लडऩे की संभावना ज्यादा जताई जा रही है। सैलजा का पैतृक गांव प्रभुवाला है जहां से उकलाना दो किमी दूर है। उकलाना क्षेत्र के हर गांव से वाकिफ है और हर नेता और कार्यकर्ता को अच्छी प्रकार जानती है। पिछले काफी समय से उनका पूरा ध्यान उकलाना क्षेत्र पर है और गांव गांव का दौराकर जनसंपर्क कर रही है ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि वे उकलाना से ही विधानसभा का चुनाव लडेंगी।

कांगे्रस बना सकती है हरियाणा में महिला सीएम  
भाजपा महिलाओं के हितों को लेकर कोई न कोई नई घोषणा करती रही है, प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार ने भी महिलाओं को कई जगह आरक्षण दिया है। कांग्रेस की जब भी सरकार आई तो पुरूषों को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई पर इस बार कांगे्रस महिला को सीएम बनाकर दूसरे राजनीतिक दलों को जवाब दे सकती है। अगर महिला को सीएम बनाया जाता है तो कुमारी सैलजा ही प्रमुख दावेदार है, वे दलित भी है, कांग्रेस एक तीर से कई निशाने साध सकती है। वैसे भी कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी की तिगड़ी (एसआरके) काफी सक्रि य है उनका प्रदेश में मजबूत जनाधार भी है, हाईकमान की मंशा भांपकर ही शायद सैलजा ने विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर की हो या अंदर खाते हाईकमान ने ही उन्हें ऐसा करने को कहा हो। पर इतना तय है कुमारी सैलजा जो ठान लेती है उसे करती थी है, फिलहाल उन्होंने गेंंद हाईकमान के पाले में डाल दी है और हाईकमान उनकी इच्छा को दरकिनार नहंी कर सकता।

हरियाणा कांगे्रस प्रदेश प्रभारी की भूमिका पर उठाए सवाल
कुमारी सैलजा निष्ठावान कार्यकर्ताओं के साथ मजबूती से खड़ी है और उनके हितों की पैरवी करते हुए हाईकमान के समक्ष सच्चाई रख रही है चाहे इसे गुटबाजी कहा जा रहा हो पर सब जानते है कि वे ठीक कह रही है।  उन्होंने जिला अध्यक्ष के लिए आवेदन लेने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह कोई सरकारी नौकरी है क्या? जिसके लिए फॉर्म भरवाए जाएं। कांग्रेस जिला अध्यक्ष को लेकर उलझा दिया गया है।   जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पर भी उन्होंने सवाल उठाए है। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षक निष्पक्ष नहीं थे। यह सिर्फ दिखावा था। कहां क्या-क्या हुआ सबने देखा है। निष्ठावान कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असंतोष है। जिनकी उपेक्षा नहीं होने दी जाएगी। पर्यवेक्षक  किस तरह के लोग बनाए गए हैं सब जानते हैं चार-पांच को छोडक़र पूरी लिस्ट देखिए वो कौन हैं। उनके  अध्यक्ष रहते समय पार्टी के काफी कार्यक्रम कराए गए। उस समय सभी लोग मिलकर काम करते थे, कुछ लोगों को अलग रखा जाता था। उस समय भाजपा का विरोध करने वाले निष्ठावान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मजबूती से लड़ाई लड़ी। उन कार्यकर्ताओं की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया निष्पक्ष होकर काम नहीं कर रहे है वे कुछ लोगों का पक्ष ले रहे हैं। प्रदेशाध्यक्ष बिल्कुल चुप्पी साधे हुए है शायद उनकी कोई मजबूरी रही होगी।

पार्टी को कौन चला रहा है सब जानते है
कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में पार्टी को कौन चला रहा है यह सभी को पता है। उन्होंने कहा कि पार्टी की तरफ से जिला अध्यक्ष को चुनने के लिए कार्यकर्ता की भावना का पता लगाने के लिए पर्यवेक्षक को भेजा गया था। मगर उसके नाम पर सिर्फ दिखावा चल रहा है। बिना पद के निष्ठावान होकर जमीन स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं में रोष है। जिला अध्यक्ष पद के लिए भेजे गए पर्यवेक्षक की नियुक्त प्रभारी दीपक द्वारा करने के सवाल पर कहा कि यह सभी को दिख रहा है। चार-पांच को छोड़ कर कौन लिस्ट में है यह सब देख रहे हैं।

कौन सीएम होगा हाईकमान तय करता है
 पूर्व  सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से सीएम पद का प्रबल दावेदार बताया जा रहा है ऐसे में कार्यकर्ता दो खेमे में बंटे हुए है, कांगे्रस में एक खेमा हुड्डा विरोध है वह नहीं चाहता कि हुड्डा सीएम बने। हुड्डा की सीएम पद पर दावेदारी को लेकर सैलजा ने साफ कर दिया है कि यह पार्टी हाईकमान तय करता है ऐसे में क्या जरूरत पड़ती है इस तरह की बात कहने की। समर्थक उत्साह में नारे लगा देते हैं। अगर कोई दावेदारी दिखा भी दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। फैसला हाईकमान को ही लेना है।