हरियाणा कांगे्रस की किंग मेकर बनी कुमारी सैलजा
सिरसा का गढ़ फतेह कर अंबाला और हिसार में लिखी कांगे्रस की जीत की पटकथा
Jun 5, 2024, 14:28 IST
![हरियाणा कांगे्रस की किंग मेकर बनी कुमारी सैलजा](https://palpalindia.in/static/c1e/client/101583/uploaded/904f12c16d56ce89a2cb1e4df0026bdb.jpg)
भाजपा, इनेलो और जजपा को उनके ही गढ़ में जाकर दी मात
चंडीगढ़/सिरसा, 06 जून। भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य एवं सिरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस (इंडिया गठबंधन) की विजयी सांसद कुमारी सैलजा ने सिरसा लोकसभा सीट पर भाजपा, इनेलो और जजपा को उनके ही गढ़ में मात देकर 1991 और 1996 के बाद तीसरी बार जीत हासिल कर इस सीट पर एक इतिहास लिखा, पिता-पुत्री की एक ही सीट पर सातवीं जीत भी एक रिकार्ड है। इतना ही नहीं सैलजा ने सिरसा की सीट जीतने के साथ साथ अंबाला और हिसार में कांगे्रस की जीत की पटकथा लिख कर साबित कर दिया कि वे हरियाणा कांगे्रस की किंगमेकर है।
देश की राजनीति में खासकर कांगे्रस में कुमारी सैलजा अपने आप में एक बड़ा नाम है। अपने नाम, काम, व्यक्तिगत छवि और व्यवहार से मतदाताओं का दिल जीत कर सैलजा ने सिरसा संसदीय सीट पर कांगे्रस की जीत दसवां परचम लहराया है, इसमें उनकी इस सीट पर तीसरी जीत है। यह एससी के लिए आरक्षित है। यह सीट पहली बार 1962 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट पर इससे पूर्व कांग्रेस ने 09 बार जीत का परचम लहराया है जबकि भाजपा ने पहली बार 2019 में जीत हासिल की थी। सिरसा चौ.देवीलाल की राजनीतिक भूमि रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो अध्यक्ष चौ.ओमप्रकाश चौटाला का यह गृह क्षेत्र है और यह इनेलो का गढ़ भी रहा है। इनेलो यहां से चार बार जीत हासिल की है। यही स्थाल जजपा का भी उदगम स्थल है। सैलजा का सिरसा से सांसद बने 25 साल का अरसा बीत गया हो पर न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बल्कि विरोधी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी वे अब तक अपनी पैंठ बरकरार रखे हुए है। लोगों के दुख-सुख में शामिल होने के अलावा कुमारी सैलजा ने समय-समय पर सिरसा आकर अपनी उपस्थिति रखी। इसी ने उनकी जीत की आधारशिला रखी।
कुमारी सैलजा ने लोगों के अनुरोध पर सिरसा में ये चुनाव लड़ा, कांगे्रस हाईकमान ने भी पार्टी की गुटबाजी को दरकिनार करते हुए सैलजा को सिरसा भेजा। प्रियंका गांधी वाड्रा को छोडक़र कोई स्टार प्रचारक सिरसा ससंदीय क्षेत्र में उनके प्रचार में नहीं आया, किरण चौधरी, रणदीप सिंह सुरजेवाला और चंद्रमोहन बिश्रोई उनके प्रचार में जरूर आए। सैलजा ने खुद के चुनाव प्रचार की कमान तो संभाली हुई थी साथ ही हिसार और अंबाला में कांग्रेस की जीत की पटकथा भी लिखी। अंबाला से वह पहले सांसद रह चुकी है उनका अपना वहां पर जनाधार है। इस बार अंबाला से कांगे्रस ने वरिष्ठ कांगे्रस नेता फूृलचंद मुलाना के विधायक पुत्र वरूण चौधरी को मैदान में उतारा। कुमारी सैलजा 20 मई को खुद का चुनाव प्रचार रोककर अंबाला क्षेत्र में गई और रायपुर रानी में वरूण चौधरी के लिए रैली की। इसके साथ ही अपनी सहयोगी विधायक शैली चौधरी, विधायक रेणुबाला और विधायक प्रदीप चौधरी की डयूटर लगाकर आई। इस जीत में सैलजा की अहम भूमिका रही। भाजपा ने बंतो कटारिया को इसलिए मैदान में उतारा था कि उन्हें सहानुभूति वाली वोट मिलेंगी और जीत पक्की है पर सैलजा ने इसे कामयाब नहीं होने दिया।
इतना ही नहीं हिसार संसदीय सीट पर उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी की जीत की पटकथा लिखी। उन्होंने हिसार के अन्य विधानसभा क्षेत्र में कांगे्रस को जिताने के लिए अपने समर्थकोंं की डयूटी लगाई साथ ही अपने विधानसभा क्षेत्र उकलाना से जेपी को जीत दिलाई। हरियाणा में कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत हासिल की जिसमें से तीन में कांगे्रस की जीत में सैलजा ने अहम भूमिका निभाई ऐसे में उन्हें हरियाणा कांगे्रस का किंगमेकर कहा जाता है। आने वाले विधानसभा चुनाव में कांगे्रस की जीत में सैलजा की अहम भूमिका रहेगी।
सिरसा को भाजपा, इनेलो और जजपा का गढ़ माना जा रहा था ऐसे में कांगे्रस की जीत पर सवाल उठाये जा रहे थे पर सैलजा के सिरसा से चुनाव लडऩे की चर्चा पर ही उनकी जीत हर जुबां पर थी। उन्होंने अपने व्यवहार, राजनीतिक कौशल से भाजपा, इनेलो और जजपा को उनके ही गढ़ में जाकर मात देते हुए जीत की नई इबारत लिख डाली। अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान उन्हें आगे रखकर हरियाणा में कांगे्रस की जीत का परचम लहरा सकती है।
सैलजा का नाम ही नहीं काम भी बोलता है
सैलजा जब सिरसा से सांसद रही तो उनके समक्ष एक समस्या आई कि सिरसा में रेलवे लाइन तो है पर छोटी (मीटरगेज) है जिसके कारण देश के दूसरे हिस्सों रेलवे कनेक्टीविटी नहीं हो पा रहा है, उन्होंने सांसद रहते इस 180 किमी लाइन को बड़ी (ब्रॉडगेज) करवाया। इसके बाद ही इस ट्रेक पर ट्रेनों और मालगाडियों की संख्या बढ़ी। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। कहने को एक जिले में एक ही केंद्रीय विद्यालय होता है पर सिरसा में दो हुए। पहला वायुसेना केंद्र परिसर में है तो दूसरा कंगनपुर रोड़ पर है। उच्च शिक्षा को ध्यान में रखते हुए कुरूक्षेत्र विश्व विद्यालय का रिजनल सेंटर उन्होंने गांव फूलकां में खुलवाया जिसका भवन आज भी मौजूद है और यही रिजनल सेंटर आगे चलकर चौ.देवीलाल विश्व विद्यालय में बदला। सैलजा ने खेलों को बढ़ावा दिया। चौ.दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम आज प्रदेश का सबसे बड़ा इंडोर स्टेडियम है। हॉकी को बढ़ावा देने के लिए रानियां क्षेत्र में स्टेडियम बनवाया। सीएमके नेशनल कालेज में सोमनाथ गंडा सभागार का निर्माण करवाया।
पिता-पुत्री के नाम है सबसे अधिक बार सांसद बनने का रिकॉर्ड
सिरसा संसदीय क्षेत्र से पिता-पुत्री सांसद रह चुके हैं। एक खास रिकॉर्ड यह है कि इस सीट से सबसे अधिक तीन बार महिलाओं को लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 1991 और 1996, 2024 में कुमारी सैलजा तो साल 2019 में सुनीता दुग्गल सांसद चुनी गईं। सिरसा लोक सभा से कुमारी सैजला के पिता चौ. दलबीर सिंह 1967, 1971, 1980 व 1984 में सांसद बने थे।
देश की राजनीति में खासकर कांगे्रस में कुमारी सैलजा अपने आप में एक बड़ा नाम है। अपने नाम, काम, व्यक्तिगत छवि और व्यवहार से मतदाताओं का दिल जीत कर सैलजा ने सिरसा संसदीय सीट पर कांगे्रस की जीत दसवां परचम लहराया है, इसमें उनकी इस सीट पर तीसरी जीत है। यह एससी के लिए आरक्षित है। यह सीट पहली बार 1962 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट पर इससे पूर्व कांग्रेस ने 09 बार जीत का परचम लहराया है जबकि भाजपा ने पहली बार 2019 में जीत हासिल की थी। सिरसा चौ.देवीलाल की राजनीतिक भूमि रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो अध्यक्ष चौ.ओमप्रकाश चौटाला का यह गृह क्षेत्र है और यह इनेलो का गढ़ भी रहा है। इनेलो यहां से चार बार जीत हासिल की है। यही स्थाल जजपा का भी उदगम स्थल है। सैलजा का सिरसा से सांसद बने 25 साल का अरसा बीत गया हो पर न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बल्कि विरोधी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी वे अब तक अपनी पैंठ बरकरार रखे हुए है। लोगों के दुख-सुख में शामिल होने के अलावा कुमारी सैलजा ने समय-समय पर सिरसा आकर अपनी उपस्थिति रखी। इसी ने उनकी जीत की आधारशिला रखी।
कुमारी सैलजा ने लोगों के अनुरोध पर सिरसा में ये चुनाव लड़ा, कांगे्रस हाईकमान ने भी पार्टी की गुटबाजी को दरकिनार करते हुए सैलजा को सिरसा भेजा। प्रियंका गांधी वाड्रा को छोडक़र कोई स्टार प्रचारक सिरसा ससंदीय क्षेत्र में उनके प्रचार में नहीं आया, किरण चौधरी, रणदीप सिंह सुरजेवाला और चंद्रमोहन बिश्रोई उनके प्रचार में जरूर आए। सैलजा ने खुद के चुनाव प्रचार की कमान तो संभाली हुई थी साथ ही हिसार और अंबाला में कांग्रेस की जीत की पटकथा भी लिखी। अंबाला से वह पहले सांसद रह चुकी है उनका अपना वहां पर जनाधार है। इस बार अंबाला से कांगे्रस ने वरिष्ठ कांगे्रस नेता फूृलचंद मुलाना के विधायक पुत्र वरूण चौधरी को मैदान में उतारा। कुमारी सैलजा 20 मई को खुद का चुनाव प्रचार रोककर अंबाला क्षेत्र में गई और रायपुर रानी में वरूण चौधरी के लिए रैली की। इसके साथ ही अपनी सहयोगी विधायक शैली चौधरी, विधायक रेणुबाला और विधायक प्रदीप चौधरी की डयूटर लगाकर आई। इस जीत में सैलजा की अहम भूमिका रही। भाजपा ने बंतो कटारिया को इसलिए मैदान में उतारा था कि उन्हें सहानुभूति वाली वोट मिलेंगी और जीत पक्की है पर सैलजा ने इसे कामयाब नहीं होने दिया।
इतना ही नहीं हिसार संसदीय सीट पर उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी की जीत की पटकथा लिखी। उन्होंने हिसार के अन्य विधानसभा क्षेत्र में कांगे्रस को जिताने के लिए अपने समर्थकोंं की डयूटी लगाई साथ ही अपने विधानसभा क्षेत्र उकलाना से जेपी को जीत दिलाई। हरियाणा में कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत हासिल की जिसमें से तीन में कांगे्रस की जीत में सैलजा ने अहम भूमिका निभाई ऐसे में उन्हें हरियाणा कांगे्रस का किंगमेकर कहा जाता है। आने वाले विधानसभा चुनाव में कांगे्रस की जीत में सैलजा की अहम भूमिका रहेगी।
सिरसा को भाजपा, इनेलो और जजपा का गढ़ माना जा रहा था ऐसे में कांगे्रस की जीत पर सवाल उठाये जा रहे थे पर सैलजा के सिरसा से चुनाव लडऩे की चर्चा पर ही उनकी जीत हर जुबां पर थी। उन्होंने अपने व्यवहार, राजनीतिक कौशल से भाजपा, इनेलो और जजपा को उनके ही गढ़ में जाकर मात देते हुए जीत की नई इबारत लिख डाली। अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान उन्हें आगे रखकर हरियाणा में कांगे्रस की जीत का परचम लहरा सकती है।
सैलजा का नाम ही नहीं काम भी बोलता है
सैलजा जब सिरसा से सांसद रही तो उनके समक्ष एक समस्या आई कि सिरसा में रेलवे लाइन तो है पर छोटी (मीटरगेज) है जिसके कारण देश के दूसरे हिस्सों रेलवे कनेक्टीविटी नहीं हो पा रहा है, उन्होंने सांसद रहते इस 180 किमी लाइन को बड़ी (ब्रॉडगेज) करवाया। इसके बाद ही इस ट्रेक पर ट्रेनों और मालगाडियों की संख्या बढ़ी। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। कहने को एक जिले में एक ही केंद्रीय विद्यालय होता है पर सिरसा में दो हुए। पहला वायुसेना केंद्र परिसर में है तो दूसरा कंगनपुर रोड़ पर है। उच्च शिक्षा को ध्यान में रखते हुए कुरूक्षेत्र विश्व विद्यालय का रिजनल सेंटर उन्होंने गांव फूलकां में खुलवाया जिसका भवन आज भी मौजूद है और यही रिजनल सेंटर आगे चलकर चौ.देवीलाल विश्व विद्यालय में बदला। सैलजा ने खेलों को बढ़ावा दिया। चौ.दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम आज प्रदेश का सबसे बड़ा इंडोर स्टेडियम है। हॉकी को बढ़ावा देने के लिए रानियां क्षेत्र में स्टेडियम बनवाया। सीएमके नेशनल कालेज में सोमनाथ गंडा सभागार का निर्माण करवाया।
पिता-पुत्री के नाम है सबसे अधिक बार सांसद बनने का रिकॉर्ड
सिरसा संसदीय क्षेत्र से पिता-पुत्री सांसद रह चुके हैं। एक खास रिकॉर्ड यह है कि इस सीट से सबसे अधिक तीन बार महिलाओं को लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 1991 और 1996, 2024 में कुमारी सैलजा तो साल 2019 में सुनीता दुग्गल सांसद चुनी गईं। सिरसा लोक सभा से कुमारी सैजला के पिता चौ. दलबीर सिंह 1967, 1971, 1980 व 1984 में सांसद बने थे।