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सीएम नायब सैनी की कुर्सी पर संकट, रद्द हो सकता है करनाल उपचुनाव

 
सीएम नायब सैनी की कुर्सी पर संकट, रद्द हो सकता है करनाल उपचुनाव 
 चंडीगढ़, 28 मार्च। महाराष्ट्र के अकोला वेस्ट विधानसभा क्षेत्र का 26 अप्रैल को होने वाला उप-चुनाव बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। अब हाईकोर्ट के इस फैसले का असर हरियाणा में करनाल विधानसभा उप-चुनाव पर भी पड़ सकता है। नागपुर पीठ ने अकोला वेस्ट विधानसभा का उप-चुनाव इस आधार पर रद्द किया है कि आने वाले सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष से भी कम होगा। यही बात करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भी फिट बैठती है, जिसकी घोषणा चुनाव आयोग ने 16 मार्च को की थी। यहां 25 मई को यह उप-चुनाव होना है। इस सीट से भाजपा ने हरियाणा के सीएम नायब सैनी को अपना उम्मीदवार बनाया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 13 मार्च को करनाल विधानसभा सीट से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। हरियाणा विधानसभा का 5 साल का कार्यकाल 3 नवंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है, जो एक वर्ष से भी कम है। अगर 6 महीने के भीतर सैनी विधायक नहीं बने तो उन्हें हरियाणा सीएम की कुर्सी छोडऩी होगी। 
इस नियम से बढ़ा खतरा
यदि विधायकों का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम है तो कानून उप-चुनाव पर रोक लगाता है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151-ए, संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के संचालन के लिए संसद द्वारा अधिनियमित कानून है। हाईकोर्ट ने कहा है कि उप-चुनाव कराने के फैसला लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151-ए के अनुरूप नहीं था। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में न्यायमूर्ति अनिल एस किलोर और न्यायमूर्ति एमएस जावलकर शामिल हैं। भाजपा के विधायक गोवर्धन शर्मा का 3 नवंबर 2023 को निधन हो जाने के बाद अकोला पश्चिम विधानसभा सीट खाली है।  पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के वकील संदीप गोयत ने कहा है कि वह करनाल विधानसभा उप-चुनाव कराने के संबंध में चुनाव आयोग की 16 मार्च की अधिसूचना को चुनौती देंगे। स्पष्ट है कि करनाल विधानसभा उप-चुनाव कराने की चुनाव आयोग की अधिसूचना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 के प्रावधान के खिलाफ है। गोयत ने बताया कि यदि किसी सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष से भी कम शेष रहता है तो उप-चुनाव कराना स्पष्ट रूप से वर्जित है। वह रिक्ति एक वर्ष से भी कम समय में है। हम एक याचिका तैयार कर रहे हैं। इधर, विधायक नीरज शर्मा ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है। इसमें बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के दिए फैसले का हवाला देकर करनाल विधानसभा का उप-चुनाव रद्द करने की मांग की गई है। लेटर में लिखा है कि एक वर्ष से भी कम कार्यकाल के लिए उप-चुनाव कराना पैसे की बर्बादी है। यदि यहां चुनाव होते भी हैं तो नव निर्वाचित विधायक का आधे से ज्यादा कार्यकाल आचार संहिता में बीतेगा। 4 जून को नतीजे आने के बाद नए विधायक को सिर्फ 4 महीने का समय मिलेगा। चुनाव में सरकारी खजाने से भारी रकम खर्च की जाएगी।