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पंजाबी-बागड़ी के साथ जाटों का मिल रहा खुला समर्थन, दलबदलू के छूट रहे है पसीने,​​​​​​​

 वंचित वर्ग के मतदाताओं पर भी सैलजा ने बनाई मजबूत पकड़ 
 
 पंजाबी-बागड़ी के साथ जाटों का मिल रहा खुला समर्थन,  दलबदलू के छूट रहे है पसीने,​​​​​​​
 सैलजा की नुक्कड़ सभाओं में उमड़ती भीड़ देख विरोधियों के हुए  हौंसले पस्त  
 सिरसा, 21 मई। कांग्रेस के बड़े चेहरों में शुमार कुमारी सैलजा सिरसा लोकसभा सीट से पांचवीं जीत हासिल करने जा रही हैं। तमाम जातीय समीकरण भी इस समय   सैलजा के पक्ष में आ चुके हैं।  पहले सिरसा फिर अंबाला लोकसभा सीट से लगातार विरोधियों को शिकस्त देने वाली सैलजा ने एक बार फिर सिरसा लोकसभा सीट पर विरोधियों के तमाम समीकरण बिगाड़ दिए। सैलजा की टिकट घोषित होने से पहले

सैलजा ऐसी उम्मीदवार है जिसका नाम सिरसा सीट से घोषित होने से पहले ही लोग कहने लगे थे कि सैलजा आएगी तो शत प्रतिशत जीतेगी। जब नाम घोषित हुआ तो जीत तय मानी जा रही है, सट्टा बाजार हो या राजनीतिक विशेषज्ञ सैलजा की जीत मानकर चल रहा है विरोधी तो अपना वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, कोई अपनी जमानत बचाने के  लिए लोगों के बीच जा रहा है।

जातीय समीकरण भी सैलजा के पक्ष में

सिरसा लोकसभा सीट से कुमारी सैलजा के मैदान में आते ही तमाम जातीय समीकरण भी उनके पक्ष में आ गए हैं। जहां पंजाबी एवं बागड़ी मतदाता दिल खोलकर सैलजा को समर्थन देने की बात कह रहे हैं। ज्यादातर  डेरा प्रेमी भी सैलजा को पुरजोर समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं। सिरसा लोकसभा सीट पर हमेशा से ही पंजाबी व जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में रहे हैं। केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी व जुमलेबाजी की वजह से पंजाबी पूरी खिलाफत कर रहे हैं जबकि किसानों पर हो रहे जुल्म की वजह से जाट पहले ही सरकार से नाराज चल रहा है। ऐस में दोनों समुदाय भाजपा को हराने के लिए सैलजा को सपोर्ट करते दिख रहे हैं। सिरसा लोकसभा सीट पर जाट मतदाताओं की संख्या 03 लाख 60 हजार है।  8.13 लाख वंचित वर्ग के मतदाताओं पर भी इस समय सैलजा की मजबूत पकड़ हो रही है। निरंतर रोज होने वाली नुक्कड़ सभाओं में जिस तरह सैलजा को लोग दिल खोलकर समर्थन दे रहे हैं उससे साफ जाहिर है कि लोकसभा के लिए सैलजा के दरवाजे खुल चुके हैं। सिरसा लोकसभा सीट पर   जट सिख करीब 02 लाख हैं, जबकि पंजाबी समुदाय में खत्री, अरोड़ा और मेहता वोटों की संख्या करीब 02 लाख है। वैश्य मतदाता एक लाख और कांबोज 90 हजार तो ब्राह्मण 65 हजार है। इन जातियों के मतदाता भी कुमारी सैलजा को पुरजोर समर्थन देने की बात कह रहे हैं। ऐसी स्थिति तो सैलजा सिरसा लोकसभा सीट से जीत का नया रिकॉर्ड बना सकती हैं।

सिरसा सीट पर छह बार सैलजा परिवार का रहा कब्जा

सिरसा लोकसभा सीट पर छह बार यानि 30 साल तक सैलजा परिवार का कब्जा रहा है। चार बार इस सीट से सैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह सांसद बने  जबकि दो बार सैलजा खुद यहां से जीत का परचम लहरा चुकी हैं। पिछड़ा वर्ग से आने वाले सैनी, कुम्हार, अहीर, गुर्जर, खाती और सुनार मतदाताओं ने भी इस सीट पर हमेशा सैलजा परिवार को पुरजोर तरीके से मदद की  है। सबसे बड़ी बात यह है कि सैलजा का वोट बैंक आज भी कायम है। जो प्यार उन्हें पिता के समय मिलता था वहीं प्यार उन्हें पिता के बाद मिला। सैलजा ने इस क्षेत्र से नाता तोड़ा नहीं, अपना वोट खोया नहीं बल्कि सैलजा की वोट लोगों के पास अमानत के  रूप में रही, लोगों ने मान लिया कि जब सैलजा सिरसा से चुनाव लडेगी तो उसका वोट उसकी झोली में डाल देंगे ताकि वह पांचवी बार संसद में पहुंच सके।

सैलजा का देश की  राजनीति में बड़ा नाम

 कन्या भ्रूण हत्या, ऑनर किलिंग और घूंघट के लिए बदनाम रहे हरियाणा की कई  बेटियों ने देश और प्रदेश की राजनीति में अपना नाम चमकाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा उनमें से एक बड़ा नाम है। प्रदेश की राजनीतिक पृष्ठभूमि से निकलकर सैलजा राजनीति के बड़े मुकाम तक पहुंची हैं। वे अब तक चार बार सांसद बन चुकी हैं जबकि एक बार उन्हें राज्य सभा सांसद बनने का मौका भी मिल चुका है। तत्कालीन यूपीए सरकार में वे केंद्र में वजीर भी रही हैं। सैलजा सबसे पहले वर्ष 1991 में हुए 10वें लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट से जीतकर सांसद बनी थी। इसके बाद 1996 के चुनाव में भी सैलजा ने सिरसा से जीत हासिल की थी। 2004 के आम चुनाव में अंबाला से जीत हासिल कर कुमारी सैलजा ने केंद्र सरकार में मंत्री बनीं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भी सैलजा ने अंबाला लोकसभा सीट से चुनाव जीता और केंद्र सरकार में मंत्री रही। केंद्रीय मंत्री होने के साथ ही सैलजा कई राज्यों की प्रभारी रही हैं। साथ ही उन्हें प्रदेश कांग्रेस की अगुवाई करने का भी मौका मिल चुका है।