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क्या दीपेंद्र हुड्डा को सीएम प्रोजेक्ट कर रही है कांगे्रस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान की टीम?

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ की कठपुतली बने हुए है प्रदेशाध्यक्ष उदयभान 
 
क्या दीपेंद्र हुड्डा को सीएम प्रोजेक्ट कर रही है कांगे्रस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान की टीम? 
सिरसा, 15 फरवरी। हम न एकजुट थे, न हैं और न ही एकजुट रहेंगे शायद ऐसी कोई शपथ हरियाणा कांगे्रस के नेताओं ने न जाने किस को साक्षी मानकर ली होगी, पार्टी हाईकमान और न प्रदेश प्रभारियों ने सारे जतन करके देख लिये पर आज तक कांगे्रसी एक न हुए वो बात अलक है कि हर बार हर मंच पर एकता का दिखावा खूब किया। दरअसल भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को सीएम की कुर्सी पर बैठना देखना चाहते है। दीपेंद्र की राह में जो भी आया उसे रास्ते से हटा दिया या बेचारा शर्मसार होकर पार्टी ही छोड़कर भाग गया, यही तो हुड्डा गुट चाहता है। प्रदेश में इतना कांगे्रस प्रदेशाध्यक्ष सक्रिय नहीं है जितना दीपेंद्र है, कांगे्रस उनके इशारे पर नाच रही है जबकि न तो वे प्रदेशाध्यक्ष है और ही प्रदेश की कार्यकारिणी में है फकत वे एक राज्यसभा सदस्य हैं। उदयभान की टीम सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, किरण चौधरी को तो कुछ मानती ही नहीं है, हाईकमान भी हुड्डा की ऊंगलियों पर नाच रहा है, इससे साफ है कि हाईकमान कितना लाचार है और कितना बेवस है।  

हरियाणा में शुरू से कांगे्रस में गुटबाजी रही, कभी चौ.देवीलाल गुट, कभी चौ.भजनलाल गुट, कभी चौ.बंसीलाल गुट हावी रहा तो अब 2004 में मुख्यमंत्री बनने के बाद चौ.भूपेंद्र सिंह हुड्डा हावी हुए। दो बार सीएम पद पर रहने के बाद सत्ता से ऐसा लगाव हुआ कि अब कुर्सी पर अपने पुत्र दीपेंद्र सिंह को देखना चाहते है और अब वे जो कुछ भी कर रहे है वह पुत्र मोह में कर रहे है अगर पार्टी के लिए कु छ किया होता तो पार्टी एक जुट होती, डा.अशोक तंवर और कुलदीप बिश्रोई को पार्टी छोड़कर न जाना पड़ता। भूपेेंद्र सिंह हुड्डा ऐसे हालात पैदा कर देते है कि उनके पुत्र की राह के सारे क ांटे दूर हो जाते हैं। दीपेंद्र लोकसभा का चुनाव क्या हारे कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की नींद ही गायब हो गई पर कोई बात नहीं वे दीपेंद्र को राज्यसभा में पहुंचाने में कामयाब रहे, सवाल उठता है कि दीपेंद्र के अलावा क्या कांगे्रस में कोई दूसरा नेता नहीं था जिसे राज्यसभा में पहुंचाया जा सके, रणदीप सिंह सुरजेवाला को राजस्थान से राज्यसभ का वीसा हासिल करना पड़ा। सैलजा को अपने कद के अनुरूप कुछ भी तो नहीं मिला।  
हालात ये है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा,  सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, किरण चौधरी  के बीच में दूरियां इतनी बढ़ चुकी है कि उन्हें करीब लाना मुश्किल है। सोनिया गांधी राहुल गांधी, प्रियंका गांधी ने सारे जतन करके देख लिये पर कांगे्रसी एक जुट न हुए। सोनिया गांधी राहुल गांधी को कुछ अपना नेता मानते है पर विडंबना यह है कि वे अपने नेताओं की कोई बात नहीं मानते। हाईकमान कुछ करना चाहता है पर डरकर कुछ कर नहीं आता क्योंकि उसे लगता है कि बचे-खुचे नेता भी उसके हाथ से न निकल जाए। एक बात तय है कि कांगे्रस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले ज्यादा दूरी तय नहीं कर पाते हा कोई कांगे्रसी किसी अन्य राजनीतिक दल में चला गया तो वहां कामयाम हो गया। हुड्डा ने पार्टी में ऐसे हालात पैदा किए कि अशोक तंवर की प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी चली गई आखिर में वे कांगे्रस से ही चले गए। प्रदेशाध्यक्ष बनने का सपना देखने वाले कुलदीप बिश्रोई के हुड्डा ने  ऐसे पर कतरे की कि बेचारे कांगे्रस छोड़कर भाजपा में चले गए। हुड्डा ने ही सैलजा की प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी छीनी।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेशाध्यक्ष बनना चाहते थे जब कोई बात न बनी तो उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बनवा दिया, उन्हें प्रदेश में अधिकतर कांगे्र्रसी न जानते थे और न ही पहचानते थे। बाद में पता चला कि आया राम गया राम की शुरूआत करने वाले कांगे्रस विधायक के पुत्र है। उदयभान प्रदेशाध्यक्ष बन तो गए पर उनके पास  करने को कुछ नहीं है, उनके हाथ बंधे हुए है मुंह पर टेप लगा है जो कुछ करना है वे हुड्डा ही कर रहे है जो हुड्डा कहते है वे ही बोल रहे हैं। उदयभान प्रदेशाध्यक्ष होकर भी इतने सक्रि य नहीं है जितने राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा है ऐसा लग रहा है कि अप्रत्यक्षरूप से प्रदेशाध्यक्ष का कार्यभार दीपेंद्र के हाथों में हैै। कृष्णमूर्ति हुड्डा कहा करते है कि कांगे्रस में रहना है तो दीेपेंद्र दीपेंद्र कहना होगा। कहने को तो  कांगे्रस में चार कार्यकारी अध्यक्ष  जितेंद्र भारद्वाज, सुरेश गुप्ता मतलौड़ा, श्रुति चौधरी और रामकिशन गुर्जर है पर प्रदेश में उनकी कोई खास सक्रियता नहीं है, लोग ये भी भूल गए कि कांगे्रस में उदयभान के अलावा चार कार्यकारी अध्यक्ष भी है।
एक बात और खास है कि अगर कार्यकर्ता प्रदेशाध्यक्ष उदयभान का कार्यक्रम करना चाहते हैं तो भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा या दीपेंद्र सिंह से पूछना होगा। अगर आपने दीपेंद्र का कार्यक्रम लिया हुआ है तो उदयभान को बुलाने की जरूरत नहंी है क्योंकि वे खुद चले आएंगे। कांगे्रस में प्रदेशाध्यक्ष पद के वल नाम का ही है। प्रदेशाध्यक्ष खुद दीेपेंद्र हुड्डा का गुणगान करने में लगे हुए है वे भूपेंद्र सिंह हुड्डा सपनों को साकार करने के लिए उनके अरमानों की बगियां को सींच रहे हैं। हरियाणा कांगे्रस का वजूद क्या है ये इस बात से पता लगाया जा सकता है कि न तो अशोक तंवर और न ही सैलजा को पार्टी संगठन खड़ा करने दिया और उदयभान भी अभी तक नाकाम रहे हैं वैसे उन्हें क्या लेना देना संगठन की टीम तो हुड्डा को बनानी है बस उन्हें तो अपने हस्ताक्षर करने हैं। हरियाणा में कांगे्रस भाजपा का विकल्प बन सकती है पर बिखरी हुई कांगे्रस पर जनता भरोसा करने को तैयार नहीं है ऐसे में जनता इस बार भी सत्ता भाजपा को सौंप सकती है।