Pal Pal India

आईपीएस की आईएएस पत्नी ने चंडीगढ़ पुलिस की एफआईआर काे किया खारिज

 - नई शिकायत देकर एफआईआर में धाराएं बदलने की मांग- हरियाणा के डीजीपी एवं रोहतक के एसपी को मुख्यारोपित बनाने की मांग
 
  आईपीएस की आईएएस पत्नी ने चंडीगढ़ पुलिस की एफआईआर काे किया खारिज
चंडीगढ़, 10 अक्टूबर  चंडीगढ़ पुलिस द्वारा आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार आत्महत्या केस में दर्ज की गई एफआईआर पर उनकी पत्नी अमनीत पी कुमार ने आपत्ति जता दी है। चंडीगढ़ पुलिस ने गुरुवार रात करीब साढे़ 12 बजे एफआईआर की कॉपी उन्हें सौंपी और अमनीत पी. कुमार ने रात 12 बजकर 53 मिनट पर नई शिकायत चंडीगढ़ पुलिस की एसएसपी को दी है।
अमनीत कौर की ओर से एसएसपी को भेजे गए इस पत्र में उन्होंने कहा है कि 9 अक्तूबर को रात 10 बजकर 22 मिनट पर दर्ज की गई एफआईआर नंबर 156 अधूरी और अपूर्ण जानकारी वाली है। उन्होंने आरोप लगाया है कि एफआईआर में मुख्य आरोपितों - डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया के नाम तक स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं किए गए हैं, जबकि यह नाम उनके पति द्वारा छोड़े गए ‘फाइनल नोट’ में साफतौर पर उल्लिखित हैं। पत्र में कहा गया है कि एफआईआर की प्रति अधूरी है, उसमें आरोपितों के नाम स्पष्ट नहीं हैं और दस्तावेज में कई महत्वपूर्ण विवरणों की कमी है, इससे निष्पक्ष जांच पर सवाल उठता है।
आईएएस अमनीत कौर ने अपने पत्र में लिखा है कि एफआईआर में जो धाराएं लगाई गई हैं, वे कमजोर हैं और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की गलत सेक्शन का प्रयोग किया गया है। उन्होंने आग्रह किया कि इस मामले में धारा 3(2)(1) लगाई जाए, जो कि दलित अधिकारी के खिलाफ की गई किसी कार्रवाई या उत्पीड़न से जुड़ी गंभीर परिस्थितियों में लागू होती है। अमनीत कौर ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कानूनी प्रावधानों का सही तरीके से प्रयोग हो ताकि न्याय प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे।
आईएएस अमनीत कौर ने यह भी लिखा है कि 7 अक्तूबर, 2025 को पूरन कुमार के पॉकेट और लैपटॉप बैग से दो ‘फाइनल नोट्स’ बरामद हुए थे, लेकिन उनकी प्रमाणित कॉपियां अब तक परिवार को उपलब्ध नहीं कराई गईं। उन्होंने मांग की है कि दोनों ‘फाइनल नोट्स’ की सत्यापित प्रतियां तत्काल दी जाएं ताकि एफआईआर में जिन बातों का हवाला दिया गया है, उनकी जांच और तुलना की जा सके। परिवार का आरोप है कि एफआईआर में जानबूझकर कुछ अहम बिंदुओं को छोड़ा गया है ताकि मामले को कमजोर किया जा सके।