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इंडिया का हिस्सा बन सकती है इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी

राज करने की नीति है राजनीति, सत्ता के लिए बदल जाती है सबकी नीतियां 
 
इंडिया का हिस्सा बन सकती है इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी 

चंडीगढ़/सिरसा, 29 अगस्त। देश की राजनीति सत्ता की धुरी पर ही घूमती है, हर राजनेता सत्ता सुख की चाह में अपनी नीतियों को ताक पर रखकर गठबंधन करता है, आज भाजपा को टक्कर देने के लिए विपक्षी दल एकजुट होने का प्रयास कर रहा है, राष्ट्रीय दल और क्षेत्रीय दल सभी मिलकर भाजपा को घेरने में लगे हुए है पर भाजपा उनके हाथ में नहीं आ रही है। इनेलो का कांगे्रस प्रेम प्रदेश की राजनीति में कुछ नए संकेत की ओर इशारा कर रहा है और 31 अगस्त को इंडिया की बैठक में इनेलो भी शामिल होगी ऐसा साफ दिख रहा है। गठबंधन बनने और टूटने से साफ है कि सत्ता के लिए राजनीतिक दलों की नीतियां कभी भी बदल जाती है उन्हें जनता से क ोई लेना देना नहीं है उनकी निगाह कुर्सी पर अटकी रहती है क्योंकि राज करने की नीति ही राजनीति है और इसी की खातिर नीयितां निर्धारित की जाती है।
क्या इनेलो इंडिया का हिस्सा बनेगा विषय को लेकर पल पल यू टयूब चैनल पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें पल पल के प्रधान संपादक सुरेंद्र भाटिया, वरिष्ठ पत्रकार गुलशन वर्मा और इनेलो के प्रवक्ता विकास मेहता शामिल हुए। सुरेंद्र भाटिया ने कहा कि पिछले दिनों एक चैनल पर इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा कि राहुल में लीडरशिप की क्षमता है यानि अभय सिंह का कांगे्रस के प्रति साफ्ट कार्नर है और भविष्य में इनेलो हरियाणा में कांगे्रस के साथ जा सकता है, 31 अगस्त को इंडिया की बैठक हैै हो सकता है इसमें इनेलो की ओर से कोई न कोई जरूर भाग लेना। इनेलो की ओर से पहली बार किसी कांगे्रस नेता की प्रशंसा की गई है, चौ.देवीलाल ने कांगे्रस में रहकर राजनीति शुरू की और इसके बाद करीब कई  दशक तक कांगे्रस के खिलाफ राजनीति की। परिचर्चा में इनेलो का पक्ष रखते हुए प्रवक्ता विकास मेहता ने कहा कि 25 सितंबर 22 को फतेहाबाद में इनेलो की ओर से रैली  में देश के करीब करीब सभी विपक्षी दल एक मंच पर जुटे थे, उसी दिन चौ.ओमप्रकाश चौटाला ने तीसरे मोर्चा (अब तो दूसरा मोर्चा ही कह सकते है) की नींप रख दी थी जिसे आज इंडिया नाम दिया गया है। उसी दिन बीजेपी के खिलाफ विपक्ष ने बिगुल बजा दिया था।
विकास मेहता ने कहा कि इंडिया की दो बैठक हो चुकी है इनेलो को आमंत्रित किया गया था, अभय सिंह चौटाला पदयात्रा पर है ऐसे में बैठक में जाना संभव नही हुआ और चौ.ओमप्रकाश चौटाला का उन दिनों स्वास्थ्य ठीक नहीं था, अब 31 अगस्त और एक सितंबर को इंडिया की बैठक है जिसमें इनेलो का कोई न कोई प्रतिनिधि जरूर जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार गुलशन वर्मा ने कहा कि चौ.ओमप्रकाश चौटाला और अभय सिंह चौटाला के बारे में एक बात तय है कि जो वे कहते है उसे जरूर करते है उनके पास किंतु-परंतु कोई शब्द नहीं होता है। इनेलो का के डर दूसरे राजनीतिक दलों की अपेक्षा कट्टर केडर माना जाता है ऐसा केडर किसी अन्य दल के पास नहीं है। अभय सिंह चौटाला का राहुल गांधी के प्रति साकारात्मक रूख से  प्रदेश में परिर्वतन साफ दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि दोनों ही राजनीतिक दल गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं।
गुलशन वर्मा ने कहा कि क्षेत्रीय दलों का अपना अलग महत्व होता है उनके  प्रभाव को कोई क्षेत्रीय दल या राजनीतिक दल नकार नहीं सकता, सत्ता में आने का ख्वाब देने वाले राजनीतिक दल को क्षेत्रीय दलों का सहारा लेना ही पडेगा। एक बात साफ है कि भाजपा के साथ जो भी दल जाता है वह बाद मेंं विलुप्त हो जाता है पर कांगे्रस के  साथ जाने में ऐसा कोई भय नहीं होता है। इनेलो का अपना वोट बैंक है और फिक्स है, कांगे्रस और इनेलो का वोटर मिलकर नई इबारत लिख सकते हैं। सुरेंद्र भाटिया ने कि प्रदेश के राजनीतिक इतिहास पर नजर डाले तो कई मुख्यमंत्रियों ने भाजपा को साथ लेकर राज किया।  पर बाद में भाजपा उन राजनीतिक दलों को ही खा गई जो संभल गया वहीं बचा हुआ है। राज करने की नीति ही राजनीति है और सत्ता के लिए सबकी नीतियां बदल जाती है। हिंदुत्व के मामले में शिव सेना भाजपा से भी ज्यादा कट्टर है पर सत्ता की खातिर उसने कांगे्रस का हाथ पकड़ा। पर एक बात साफ है कि इनेलो इस बार इंडिया की बैठक में जरूर शामिल होगा।