Pal Pal India

हिंदू संस्कृति और संस्कार के केंद्र हैं गुरुकुल: ओमप्रकाश धनखड़

गुरुकुल महाविद्यालय झज्जर के 108वें वार्षिक उत्सव में पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ 
 
  हिंदू संस्कृति और संस्कार के केंद्र हैं गुरुकुल: ओमप्रकाश धनखड़
झज्जर, 24 मार्च  भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा गुरुकुल शिक्षा के साथ-साथ हिंदू संस्कृति और संस्कार के केंद्र रहे हैं। पिछले दस वर्षों में हिंदू संस्कृति अपने स्वर्णिम दौर की ओर अग्रसर है। गुरुकुल भी आगे बढ़ें यह हमारा सभी का प्रयास होना चाहिए। यह बात उन्होंने रविवार को होली के पावन पर्व पर गुरुकुल महाविद्यालय झज्जर के 108वें वार्षिक उत्सव व स्वामी ओमानंद सरस्वती के 22वें स्मृति दिवस समारोह में कही।
भाजपा नेता धनखड़ ने कहा की लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति ने अंग्रेजी हुकूमत के लिए नौकर पैदा किए। अंग्रेज हुकूमत को पता था कि भारत की शिक्षा पद्धति को बदले बिना हम लंबे समय तक राज नही कर सकते। उस कठिन दौर में गुरुकूलों ने हमारे हिन्दू संस्कारों व संस्कृति की शिक्षा पद्धति का संरक्षण किया और आगे भी बढ़ाया। झज्जर गुरुकुल की आजादी के आंदोलन, आजादी के बाद हिंदी आंदोलन और समय-समय पर समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने में अग्रणी भूमिका रही है। हम धन्य हैं कि स्वामी ओमानंद सरस्वती जैसे विख्यात आचार्य ने इस क्षेत्र की सेवा की है। देशभर में झज्जर गुरुकुल महाविद्यालय का नाम गर्व के साथ लिया जाता है।
धनखड़ ने देश व प्रदेशवासियों को होली और फाग के त्योहार की शुभकामनाएं देते हुए कहा की हमारी शिक्षा पद्धति मालिक बनना सिखाती है। खुशी की बात है कि लॉर्ड मैकाले के देश इंग्लैंड को आज हिन्दू संस्कार व संस्कृति में पला बढ़ा भारतीय ऋषि सुनक बतौर प्रधानमन्त्री संभाल रहे हैं और गर्व से कहते हैं कि भारतीय संस्कार अतुलनीय हैं। हर भारतीय का सीना चौड़ा हो जाता है जब इंग्लैड के प्रधानमन्त्री आवास पर दिवाली और होली मनाई जाती है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की होली का विशेष महत्व हैं, क्योंकि रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हैं।
गुरुकुल पहुंचने पर आचार्यों और क्षेत्र की सरदारी ने भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ का जोरदार अभिनंदन किया। धनखड़ ने अपनी नेक कमाई से गुरुकुल की आर्थिक मदद की। सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने भी अपना संबोधन दिया और गुरुकुल प्रबंधन की सराहना की। कार्यक्रम में सांसद रामचंद्र जांगड़ा, आचार्य विजय पाल, स्वामी संपूर्णानंद, आचार्य राजेंद्र, डॉ. योगानंद, महेंद्र धनखड़, ब्रह्मानंद, डॉ. जयकुमार, राजबीर, उमेद आर्य, अनिल, संदीप हसनपुर, रमेश सुहरा, रामबीर शास्त्री सहित अनेक योगाचार्य और आर्यवीर मौजूद रहे