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फसल खरीद से बचने का षड्यंत्र रच रही सरकार : कुमारी सैलजा​​​​​​​

 डेटा मिसमैच के बहाने किसानों को मंडियों में आने से रोकने की कोशिश 
 
  फसल खरीद से बचने का षड्यंत्र रच रही सरकार : कुमारी सैलजा​​​​​​​
 

रजिस्ट्रेशन किया हो, न किया हो, सभी का एक-एक दाना खरीदे सरकार
चंडीगढ़, 22 मार्च । अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी  की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष, उत्तराखंड प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि फसल खरीद शुरू होने से एकदम पहले प्रदेश की भाजपा सरकार ने किसानों को परेशान करने की एक और सरकारी साजिश रचनी शुरू कर दी है। फसल का डेटा मिसमैच के बहाने प्रदेश सरकार मेहनत से तैयार फसल को एमएसपी पर खरीदने से बचना चाहती है और इसलिए ही यह सब षड्यंत्र रचा जा रहा है। जबकि, प्रदेश सरकार को प्रत्येक किसान की फसल को खरीदना चाहिए, भले ही उन्होंने रजिस्ट्रेशन कराया हो या फिर न कराया हो।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होनी है और मंडियों में फसल आनी भी शुरू हो जाएगी। इसके लिए किसानों ने समय पर मेरा फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन भी करवा दिया था। लेकिन, प्रदेश सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। अब जब फसल खरीद का समय आ चुका है तो इस पोर्टल पर 10.40 लाख एकड़ फसलों के डेटा का मिलान न होने की बात कही जा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इतने महीने तक सरकार ने इस डेटा को चैक क्यों नहीं कराया? अगर यह डेटा पहले चैक हो जाता तो एंड वक्त पर किसानों के लिए इस तरह की दिक्कत खड़ी नहीं होती और वे आसानी से अपनी फसल को मंडी में लाकर बेच सकते थे।
कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार सरसों की सरकारी खरीद 26 मार्च से शुरू करने की बात कह रही है, जबकि मंडियों में 20 दिन से सरसों की फसल आ रही है। इस फसल को स्टॉकिस्ट व कंपनियां खरीद रही हैं, जो एमएसपी से 1 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक कम दे रहे हैं। लेकिन, सरकार ने एक बार भी इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया, न ही भावांतर के तहत भरपाई करने की सहानुभूति दिखाई। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस बार बारिश व ओलावृष्टि से फसल को बहुत अधिक नुकसान हुआ और प्रदेश सरकार ने आज तक किसी भी तरह का मुआवजा नहीं दिया। इससे गेहूं का उत्पादन प्रभावित होने का अंदेशा पहले ही कृषि वैज्ञानिक जता चुके हैं। ऐसे में किसान को उसकी मेहनत के मुकाबले कम फसल ही मिलने वाली है। इसके बावजूद अब प्रदेश सरकार डेटा मिसमैच का बहाना बनाने लगी है। इससे सरकारी मंशा साफ झलक रही है। हम प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि किसानों की गेहूं, सरसों, जौ, चना, मसूर, सूरजमुखी की फसल का एक-एक दाना बिना किसी बहानेबाजी के खरीदने का इंतजाम किया जाए।