सी श्रेणी के औद्योगिक एस्टेट के उद्योगों को बर्बाद करने पर तुली सरकार: कुमारी सैलजा
इन्हासमेंट और ब्याज फेर रही है उद्योगपतियों के अरमानों पर पानी

चंडीगढ़, 24 अगस्त। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि सी श्रेणी के पिछड़े औद्योगिक एस्टेट के उद्योगों को सुविधा देने के बजाए सरकार उन्हें बर्बाद करने पर तुली है, जबकि सरकार दावा करते है कि वह प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा दे रही है। सरकार को दोहरी मानसिकता को त्यागते हुए सी श्रेणी के पिछड़े औद्योगिक एस्टेट से जुड़े उद्योगपतियों के हित में सोचना चाहिए।
मीडिया के नाम जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि एचएसआईआईडीसी प्राथमिक रूप से हरियाणा में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। पर सरकार की नीतियां और उसकी हठधर्मिता सी श्रेणी के उद्योगों को बराबर करने पर तुली हुई है। सिरसा सहित प्रदेशभर में सी श्रेणी से जुड़े लोग परेशान है। एचएसआईआईडीसी ने भूमि अधिग्रहण के बाद वर्ष 1994-96 में 600 रुपये प्रति वर्ग गज से भूमि आवंटित की। वर्ष 2005 तक इसी दर से प्लाट आवंटित किए गए जबकि वर्ष 1999 में सिरसा सेशन कोर्ट ने इन्हासमेंट लगाते हुए दर 1075 रुपये प्रति वर्ग गज कर दी थी यानि लोगों को गुमराह करके प्लाट बेचे गए। जब सारे प्लाट बिक गए तो वर्ष 2007 में सभी प्लाट धारकों को नोटिस जारी किए गए। बाद में शोर मचाने पर ब्याज कम कर दी गई पर पैसा 846 रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से मांगा गया। किसान बाद में सुप्रीम कोर्ट चले तो माननीय अदालत ने 2014 में फैसला किया और दर 975 रुपये प्रति वर्ग गज कर दी गई।
उन्होंने कहा कि एचएसआईआईडीसी प्लाट धारकों को शुरू से ही गुमराह करती रही और प्लाट बेचने के लिए अदालत के फैसले को छुपाती रही। सिरसा पहले से औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है वहां पर कोई बड़ा उद्योग नहीं है जो भी छोटे मोटे है वे सब एग्रीकल्चर बेस्ड है। एचएसआईआईडीसी इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन बार आर न्याय की गुहार करती रही पर सरकार ने एक न सुनी। औद्योगिक रूप से पिछड़े जिलों के उद्यमियों की चिंताओं को दूर करने के बजाए सरकार उनकी समस्याएं बढ़ाने में लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार झूठे वायदे कर जनता को गुमराह कर रही है यह सरकार जुमलों की सरकार बन चुकी है। सरकार की गलत नीतियों के चलते उद्योग खासकर लघु उद्योग दम तोड़ रहे है।