मस्कुलर डिस्ट्राफी पीडि़त बच्चों की सुध ले सरकार: कुमारी सैलजा
चिरायु योजना के तहत साल भर मुफ्त इलाज की करें व्यवस्था
Updated: Nov 3, 2023, 21:24 IST
हर महीने सामाजिक सुरक्षा के तहत दी जाए पेंशन की तरह वित्तीय सहायता
चंडीगढ़, 3 नवंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार मस्कुलर डिस्ट्राफी से जूझ रहे बच्चों के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है। सरकार का न तो इनके इलाज की ओर कोई ध्यान है, और न ही इन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए किसी तरह की वित्तीय सहायता मुहैया कराई जा रही है। गठबंधन सरकार को तुरंत प्रभाव से मस्कुलर डिस्ट्राफी पीडि़त बच्चों को चिरायु योजना के तहत पूरे साल मुफ्त इलाज की सुविधा देनी चाहिए। साथ ही इन्हें अन्य मासिक पेंशन की तरह सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाए। मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में मस्कुलर डिस्ट्राफी से 250 से अधिक बच्चे जूझ रहे हैं। इनके परिजनों का कहना है कि वे कई बार प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को पत्र लिख कर बच्चों के इलाज की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन, कहीं पर भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। इनका कहना है कि इस बीमारी से पीडि़तों का समय रहते इलाज न किया जाए तो ज्यादातर बच्चों की अल्पायु में ही मौत हो जाती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भिवानी के फूलपुरा निवासी सुंदर सिंह परमार तो राष्ट्रपति को पत्र लिखकर पूरे परिवार के साथ इच्छामृत्यु की इजाजत मांग चुके हैं। इससे पता चलता है कि ये परिवार किस हद तक परेशान हो चुके हैं। इनका कहना है कि सरकार उनकी कोई मदद नहीं कर रही, जबकि इस बीमारी की दवा अमेरिका में बनती है, जो काफी महंगी है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि बच्चों के परिजनों के मुताबिक इलाज कराते-कराते उनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो चुकी है। अब तो सिर्फ अपने अंग और संपत्ति बेचकर ही इलाज पर खर्च कर सकते हैं। यह सब शपथ पत्र पर लिखते हुए इन परिवारों ने प्रधानमंत्री को पत्र भी भेजे हैं। ऐसे में इनकी स्थिति को समझते हुए गठबंधन सरकार को तुरंत प्रभाव से जरूरी कदम उठाने चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ समय पहले सीएम निवास पर चंडीगढ़ में इन परिवारों ने प्रदर्शन भी किया, लेकिन अधिकारियों से मिले आश्वासन के बावजूद आज तक न तो बच्चों के इलाज की दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठाया गया और न ही इन्हें किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गई। ऐसे में प्रदेश सरकार को चाहिए कि पीडि़त बच्चों को चिरायु योजना में शामिल करते हुए समुचित इलाज का मुफ्त इंतजाम किया जाए। साथ ही सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हुए मासिक सम्मान भत्ता दिया जाए।
क्या होती है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (एमडी) का अर्थ आनुवंशिक रोगों के एक समूह से है जिसमें संचालन यानि चलने-फिरने और हिलने-डुलने को नियंत्रित करने वाली कंकालीय मांसपेशियों में उत्तरोत्तर कमजोरी आती जाती है और उनका क्षय होता जाता है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कई रूप होते हैं; कुछ तो जन्म के समय दिखाई पड़ जाते हैं जिसे जन्मजात मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कहा जाता है, वहीं कुछ अन्य रूप किशोरावस्था में विकसित होते हैं। आरंभ का समय चाहे जो भी हो, रुष्ट से गतिशीलता में कमी और यहां तक कि लकवा भी हो सकता है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि बच्चों के परिजनों के मुताबिक इलाज कराते-कराते उनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो चुकी है। अब तो सिर्फ अपने अंग और संपत्ति बेचकर ही इलाज पर खर्च कर सकते हैं। यह सब शपथ पत्र पर लिखते हुए इन परिवारों ने प्रधानमंत्री को पत्र भी भेजे हैं। ऐसे में इनकी स्थिति को समझते हुए गठबंधन सरकार को तुरंत प्रभाव से जरूरी कदम उठाने चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ समय पहले सीएम निवास पर चंडीगढ़ में इन परिवारों ने प्रदर्शन भी किया, लेकिन अधिकारियों से मिले आश्वासन के बावजूद आज तक न तो बच्चों के इलाज की दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठाया गया और न ही इन्हें किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गई। ऐसे में प्रदेश सरकार को चाहिए कि पीडि़त बच्चों को चिरायु योजना में शामिल करते हुए समुचित इलाज का मुफ्त इंतजाम किया जाए। साथ ही सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हुए मासिक सम्मान भत्ता दिया जाए।
क्या होती है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (एमडी) का अर्थ आनुवंशिक रोगों के एक समूह से है जिसमें संचालन यानि चलने-फिरने और हिलने-डुलने को नियंत्रित करने वाली कंकालीय मांसपेशियों में उत्तरोत्तर कमजोरी आती जाती है और उनका क्षय होता जाता है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कई रूप होते हैं; कुछ तो जन्म के समय दिखाई पड़ जाते हैं जिसे जन्मजात मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कहा जाता है, वहीं कुछ अन्य रूप किशोरावस्था में विकसित होते हैं। आरंभ का समय चाहे जो भी हो, रुष्ट से गतिशीलता में कमी और यहां तक कि लकवा भी हो सकता है।