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तंवर को टिकट देना और मुख्यमंत्री को बदलना भाजपा को पड़ रहा है भारी !​​​​​​​

 शहरी क्षेत्र में भाजपा- कांंगे्रस में मुकाबला, ग्रामीण क्षेत्र में कांगे्रस को मिला भरपूर समर्थन
 
  तंवर को टिकट देना और मुख्यमंत्री को बदलना भाजपा को पड़ रहा है भारी !​​​​​​​
 प्रियंका गांधी के रोड शो का दिखा असर, आप और वामदल ने दी कांगे्रस को मजबूती
दो से ढ़ाई लाख वोट के अंतर से सैलजा की झोली में जा रही है जीत
मोदी और प्रदेश सरकार के खिलाफ मतदाताओं में दिखाई दी नाराजगी

सिरसा, 26 मई। सिरसा संसदीय सीट पर शनिवार को मतदान संपन्न हुआ, अब चार जून को ईवीएम से हार जीत का फै सला बाहर आएगा।
शहरी क्षेत्रों में भाजपा- कांंगे्रस में मुकाबला दिखाई दिया तो ग्रामीण क्षेत्र में कांगे्रस को भरपूर समर्थन मिला। अशोक  तंवर को टिकट देकर और मुख्यमंत्री मनोहरलाल को बदलकर भाजपा बहुत बड़ी गलती कर बैठी, जिसका असर मतदान पर साफ दिखाई दिया। प्रियंका गांधी के रोड शो का मतदाताओं पर असर साफ दिखाई दिया जबकि  आम आदमी पार्टी और  वामदल ने  कांगे्रस को मजबूती प्रदान की। ग्रामीण मतदाताओं में
मोदी और प्रदेश सरकार के खिलाफ नाराजगी का असर देखने को मिला। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो दो से ढ़ाई लाख वोट के अंतर से जीत सैलजा की झोली में जा रही है।  
हरियाणा में सबसे ज्यादा सिरसा संसदीय सीट पर 69.10 प्रतिशत मतदान हुआ हालांकि वर्ष 2019 में हुए चुनाव के मुकाबले यी 6.89 प्रतिशत कम है। इस सीट के ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 74.8 प्रतिशत मतदान हुआ। डबवाली विधानसभा क्षेत्र में 70.8 प्रतिशत,फतेहाबाद  विधानसभा क्षेत्र में 69.1 प्रतिशत,  कालांवाली सुरक्षित  विधानसभा क्षेत्र में 70.4 प्रतिशत, नरवाना सुरक्षित  विधानसभा क्षेत्र में 64.8 प्रतिशत, रािनयां विधानसभा क्षेत्र में 71.5 प्रतिशत, रतिया सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में 70.0 प्रतिशत, सिरसा विधानसभा क्षेत्र में 62.5 और टोहाना विधानसभा क्षेत्र में 71.4 प्रतिशत मतदान हुआ। पहले से माना जा रहा था कि सिरसा और फतेहाबाद जिला में इस बात को लेकर होड थी कि सैलजा को कहां से बड़ी लीड़ मिलेगी। वोटिंग प्रतिशत पर नजर डाली जाए तो शहरी क्षेत्रों की अपेक्ष ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक मतदान हुआ। सिरसा शहरी क्षेत्र में हलोपा विधायक गोपाल कांडा और भाजपा नेता गोबिंद कांडा की वजह से भाजपा उम्मीदवार अशोक तंवर की स्थिति में पहले से काफी सुधार हुआ। सिरसा और फतेहाबाद शहर में कांगे्रस और भाजपा के बीच मुकाबला देखने को मिला पर ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस के पक्ष में हवा दिखाई दी। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो सिरसा सीट पर  दो से ढाई लाख वोटों के अंतर से जीत सैलजा की झोली में जा रही है। सट्टा बाजार में कांगे्रस का भाव 15 पैसा ही रहा।
शहरी क्षेत्रों के मतदाताओं पर जरूर मोदी का असर दिखा। डेरों के वोट को लेकर हर राजनीतिक दल अपने अपने पक्ष के दावे कर रहा है पर डेरों के वोटों पूरी तरह से किसी एक दल के पक्ष में नहीं गए, इन मतदाताओं में बिखराव देखा गया। पर भाजपा सरकार से नाराज डेरा प्रेमियों का रूझान कांगे्रस की ओर देखा गया, डेरा प्रबंधन कमेटी ने सभी राजनीतिक दलों के अपने  अपने समर्थन के दावों को पहले ही खारिज कर दिया था। भाजपा का अशोक तंवर को टिकट देना ही सबसे बड़ी भूल कहा जा सकता है और इसका भाजपा को चुनाव का नतीजा आने के बाद अहसास होगा। तंवर के प्रति लोगों में शुरू ये ही नाराजगी थी, इस नाराजगी का ही असर था कि कुमारी सैलजा के मैदान में कू दने से पहले ही सैलजा की जीत के दावे किए जाने लगे थे। दूसरा सिरसा सैलजा का दूसरा घर रहा है, उनके पिता चौ.दलबीर सिंह चार बार सांसद रहे तो दो बार सैलजा नेे प्रतिनिधित्व किया। उनका मतदाताओं पर पहले से ही असर था। इसका पूरा लाभ सैलजा को मिलता दिख रहा है।
दूसरी किसान आंदोलन भी भाजपा की हार का प्रमुख कारण बन सकता है। भाजपा ने चुनाव से पूर्व किसानों को धोखे में रखा और चुनाव के समय भी ठीक ढंग से बात नहीं की, चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा किसानों के सवालों से बचती रही, ऐसे में भाजपा को करीब करीब हर गांव में किसान विरोध का सामना करना पड़ा कई बार तक उम्मीदवार प्रचार तक नहीं कर सका। किसानों का समर्थन कांगे्रस को मिलने पर कांगे्रस की जीत तय मानी जा रही थी। ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस मजबूत होकर उभरी, सैलजा की जीत की स्क्रिप्ट गांवों में ही लिखी जा चुकी थी। जिन विधानसभा क्षेत्रों में अधिक  मतदान हुआ है उससे एक बात साफ हो रही हैै कि सरकार के खिलाफ मतदान करने के लिए मतदाता घर से बाहर निकला, जहां मतदान कम हुआ उसके कई कारण हो सकते है एक तो गर्मी के कारण मतदाता घर से नहंी निक ला या उसमें मतदान के प्रति कोई रूचि नहीं थी।
किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर पंजाब सीमा से सटे विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला, जहां पर किसानों के प्रदर्शन हुए उन क्षेत्रों में वोट प्रतिशत अधिक रहा, जहां मोदी के खिलाफ वोट गया, डबवाली क्षेत्र में विधायक अमित सिहाग, उनके पिता डज्ञ. केवी सिंह, आप नेता कुलदीप गदराना, वामदलों के नेताओं  के साथ किसान नेता कांगे्रस के साथ खडा दिखाई दिया। ऐनलनाबाद क्षेत्र में पूर्व विधायक भरत सिंह बैनीवाल, संतोष बैनीवाल, पवन बैनीवाल कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़े रहे। रानियां में संदीप नेहरा, विशाल वर्मा, विनीत कांबोज और सभी पुराने कार्यकर्ता पदाधिकारी साथ लगे रहे। कालांवाली में विधायक शीशपाल केहरवाना, उनके पिता ओमप्रकाश केहरवाला और सभी कार्यकर्ता और पदाधिकारी सैलजा के  साथ खड़े दिखाई दिए और चुनाव प्रचार में ताकत दिखाई। सिरसा क्षेत्र में नवीन केडिया, वीरभान मेहता, राजकुमार शर्मा, आनंद बियाणी तन, मन से साथ रहे।
फतेहबाद विधानसभा क्षेत्र में कांगे्रस और भाजपा में मुकाबला देखा गया, शहरी मतदाता मोदी के पक्ष देखा गया, तंवर से नाराज लोगों ने तंवर के पक्ष में मतदान करने के बजाए मोदी के नाम पर वोट दिया। टोहाना में देवेंद्र बबली समर्थकों के साथ से मजबूती मिली तो निशान सिंह, पूर्व मंत्री परमवीर सिंह, हरपाल बुडानिलया ने सैलजा के लिए खूब मेहनत की। रतिया पंजाब से लगा हुआ है,किसान आंदोलन कारियों के समर्थन से कांगे्रस मजबूत हुई। पूर्व विधायक जनरैल सिंह ने भी खूब मेहनत की। नरवाना में राज्यसभा सदस्य चौ.रणदीप सिंह सुरजेवाला, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह और हिसार के पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह के कारण कांगे्रस मजबूत हुई।

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भाजपा पर लगे वोट के बदले नोट बांटने के आरोप
भाजपा ने अपनी जीत के लिए हर प्रकार का हथकंडा अपनाया हुआ था ऐसा दावा कांगे्रस की ओर किया गया। ऐलनाबाद, चोपटा और सिरसा शहर में कई स्थानों पर भाजपा के कार्यकर्ता मतदाताओं को नोट बांंटते हुए पकड़े गए, कांग्रेसियों ने उन्हें पकड़ कर पुलिस के हवाले किया पर उनका क्या हुआ भाजपा जाने या पुलिस प्रशासन। हिसारियां बाजार में नोट बांटने को लेकर कांगे्रस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच जमकर टकराव हुआ। कांगे्रस नेता नवीन केडिया का कार्यालय और उसके बाहर खड़े वाहन क्षतिग्रस्त कर दिए गए। भाजपा की ओर से महिलाओं के साथ अभद्रता करने के आरोप लगाए गए। उधर हर कोई जानता है कि वोट के लिए नोट और शराब किसने बांटी, पुलिस प्रशासन तो आंखे बंद करके बैठ गया।