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क्रोध की अग्नि जंगल की आग से भी भयंकर: उपेंद्र मुनि​​​​​​​

 
 सोनीपत: क्रोध की अग्नि जंगल की आग से भी भयंकर: उपेंद्र मुनि
सोनीपत, 28 जनवरी  खरखौदा में गांव मोहम्मदाबाद के भगवान प्रेम सुख मंदिर में रविवार को मंगलकारी प्रवचन करते हुए उपेंद्र मुनि ने कहा कि एक दिन का क्रोध 6 महीने की शक्ति को नष्ट कर देता है। क्रोध की अग्नि दावानल जंगल की आग से भी भयंकर है।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए पंडित रत्न शास्त्री उपेंद्र मुनि ने कहा कि संसार में दो प्रकार के शास्त्र द्रव्य और भाव कह गए हैं। बरछी, तीर, भाला, बंदूक द्रव्य शास्त्र है, तो क्रोध, मान, माया, लोभ आदि चार कषायभाव चार शास्त्र हैं। द्रव्य शस्त्र शरीर एवं प्राणों का हनन करते हैं और क्रोध आदि भाव शास्त्र आत्मिक गुणों का हनन करता है । जिससे भव भ्रमण बढ़ता है। जब किसी व्यक्ति को क्रोध आता है तब उसकी जुबान खुल जाती है और आंखें बंद हो जाती है। परिणाम स्वरुप उसे मालूम नहीं होता कि उसके सामने कौन खड़ा है और वह अपनी जुबान से कितने कटु और भयंकर शब्द बोल चुका है। क्रोध चार कारणों से आता है और पांच रूपों में व्यक्त होता है। जब व्यक्ति क्रोध में होता है तब वह दुर्वचन बोलता है, स्वार्थ सिद्धि में बाधा उत्पन्न होने पर, अनुचित व्यवहार के कारण संशय की स्थिति में विचार या रुचि भेद के कारण इंसान को क्रोध आता है। क्रोध में व्यक्ति प्रीति का नाश कर देता है।
उसका शरीर कांपने लगता है।आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। क्रोध प्राणों का हरण करने वाला है । वह इंसान का भयंकर शत्रु होता है । क्रोध उस धारदार तलवार के समान है। जिसे किसी का भी भला नहीं किया जा सकता । इसलिए क्रोध आत्मा की अधोगति का कारण है। यही नहीं, क्रोध से सत्य का, शील का , विनय का और धर्म का भी नाश होता है। उन्होंने कहा कि इंसान को अपने जीवन में क्रोध को बिल्कुल भी स्थान नही देना चाहिए।