हरियाणा में वित्तीय आपातकाल जैसे हालत, हर साल बढ़ता ही जा रहा है कर्ज: कुमारी सैलजा

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा में वित्तीय आपातकाल जैसे हालत हैं क्योंकि प्रदेश पर सालाना कर्ज बढ़ता ही जा रहा है, अगर सरकार कर्ज कम करना चाहती है तो उसे वित्तीय प्रबंधन पर अधिक ध्यान देना होगा और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सख्त से सख्त कदम उठाने ही होंगे। सरकार रोजगार के जितने अवसर प्रदान करेगी उतना ही उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, प्रदेश का जितना बजट है उससे कही ज्यादा कर्जा है।
मीडिया को जारी बयान में हरियाणवियों की आय बढ़ाने, रोजगार देने, फैक्ट्री और उद्योग लगाने पर सरकार को अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए। एक ओर सरकार दावा करती है कि उसके कार्यकाल में गरीबी मिटी है जबकि प्रदेश में 70 प्रतिशत से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले है। हर साल होने वाले कामों का 35 प्रतिशत तो कर्ज उठा कर किया जाता है। जहां कर्ज लेकर घी पीने की आदत पड़ जाए वहां काम होंगे इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जनता जब किसी भी राजनीतिक दल को सत्ता सौंपती है तो उस पर भरोसा करती है कि वह उसके हितों की रक्षा करेगा उसकी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखेगा। वित्तीय प्रबंधन व आर्थिक कुशलता में 18 राज्यों में हरियाणा की नायब सैनी सरकार को 14 वें नंबर पर फिसड्डी माना है यानि हरियाणा अब बिहार और यूपी से भी पीछे है। कुमारी सैलजा ने कहा कि बजट में सभी वर्ग के लोगों की सुविधाओं का सरकार को ध्यान रखना चाहिए, सरकार की ओर से जो भी घोषणाएं की जाती है उनकी समय सीमा तय करनी होगी और सबसे पहले पुरानी घोषणाओं की ओर ध्यान देना होगा, उन्हें पूरा करने के लिए बजट में प्रावधान करना होगा।
कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भ्रष्टाचार सबसे गहरी चोट पहुंचा रहा है, अर्थव्यवस्था पूरी तरह से हांफती दिख रही है, ऐसे में सबसे पहले बिना किसी भेदभाव के भ्रष्टाचारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी होगी। जैसे जैसे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा आर्थिक हालात में भी सुधार होगा। साथ ही सरकार को आर्थिक प्रबंधन की ओर सबसे ज्यादा ध्यान देना होगा वित्ती प्रबंधन से पैसे का सही सदुपयोग होगा। इसके साथ ही प्रदेश सरकार को रोजगार सृजन पर अधिक से अधिक ध्यान देना होगा। युवाओं को रोजगार मिलेने से अपराध पर अंकुश लगेगा, प्रदेश के आर्थिक हालात में सुधार होगा। दूसरी ओर केंद्र सरकार को जीएसट में राज्यों को अधिक से अधिक मदद देनी चाहिए, अगर ऐसा हुआ तो राज्य सरकारों पर कर्ज नहीं बढ़ेगा।