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सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान खुदकुशी करने को मजबूर: एसकेएम (गैर राजनीतिक)

 
कहा, निर्णायक मोड़ पर एमएसपी कानून की लड़ाई, प्रत्येक परिवार से 1-1 सदस्य आंदोलन में करें भागीदारी
 
  सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान खुदकुशी करने को मजबूर: एसकेएम (गैर राजनीतिक)
सिरसा। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेताओं ने महाराष्ट्र के मालेगांव में किसान पंचायत की व प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। बीकेई प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने जानकारी देते हुए बताया कि इसमें मुख्य तौर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल, अभिमन्यु कोहाड़, सुखजीत सिंह हरदोझण्डे, जफर खान मेवाती, भैया लाठर, देवा दराखा, मछिंदरा लाठर, जसदेव सिंह, धर्मपाल संधू, जसपाल सिंह, हरसुलिन्दर सिंह ने भाग लिया। किसान नेताओं ने बताया कि वह राजस्थान, मध्यप्रदेश होते हुए आज महाराष्ट्र में पहुंचे हैं यहां सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान खुदकुशियां कर रहा है, महाराष्ट्र के प्याज वाले किसान को एक्सपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी के कारण बहुत बड़ा नुकसान हुआ है, क्योंकि इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत का प्याज नहीं बिक सका, जिससे प्याज वाले प्रति किसान को 2.5 से 3 लाख रुपए घाटा हुआ। जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि तेलंगाना सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए किसान का कर्ज माफ  किया है, इसी प्रकार हमारे प्रधानमंत्री भी 2014 में किए वायदे के अनुसार किसानों का कर्ज माफ  करें, एमएसपी पर खरीद गारंटी कानून बनाएं और स्वामीनाथ आयोग की सिफारिश सी2+50 के तहत फसलों के भाव तय करें। 2020-21 के आंदोलन की समाप्ति के समय केंद्र सरकार ने एमएसपी गारंटी कानून के लिए कमेटी बनाने का ऐलान किया था, लेकिन जब 2 साल तक सरकार ने कुछ नहीं किया तो 13 फरवरी 2024 को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) व किसान मजदूर मोर्चा द्वारा शांतिपूर्वक दिल्ली चलो कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसमें लाखों किसान शामिल हुए। भाजपा सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए क्रूरता की सभी हदें पार करते हुए पुलिस द्वारा की गयी हिंसा में 1 किसान सिर में गोली लगने से शहीद हो गया, 5 किसानों की आंखों की रोशनी चली गयी और 433 किसान घायल हो गए। किसान नेताओं ने सरकार द्वारा एमएसपी में बढ़ोतरी को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि जब तक एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी का कानून नहीं बनता, तब तक किसानों को फायदा नहीं होगा। उन्होंने बताया कि मूंग में 124 रुपये (1.44 प्रतिशत) धान में 117 रुपये (5.35 प्रतिशत) व बाजरे में 125 रुपये (5 प्रतिशत) की बढ़ोतरी की गयी है, जब कि मई 2024 में ग्रामीण क्षेत्र में महंगाई दर 5.28 प्रतिशत है। इस तरह एमएसपी में बढ़ोतरी न के बराबर है। उन्होंने बताया कि 13 फरवरी से शुरू हुआ आंदोलन एमएसपी गारंटी कानून बनने तक जारी रहेगा। किसान नेताओं ने आगे बताया कि 8 जुलाई को भाजपा के 240 सांसदों को छोडक़र देश के सभी दलों के सांसदों को किसान आंदोलन की मांगों का ज्ञापन सौंपा जायेगा, ताकि एमएसपी गारंटी कानून समेत किसानों की सभी मांगें संसद में गूंजें। किसान नेताओं ने बताया यह पूरा देश जनता है कि नेशनल हाईवे को किसानों ने नहीं, बल्कि भाजपा सरकार ने बंद किया है और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि सरकार रास्ता खोले और किसानों को अपने देश की राजधानी दिल्ली में शांतिपूर्वक आंदोलन करने के लिए जाने दें। किसान आंदोलन को मजबूत व व्यापक करने के लिए राजस्थान, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में किसान पंचायतें व प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। 24 जून को कर्नाटक में दक्षिण भारत के 70 से अधिक संगठनों की बैठक का आयोजन होगा। किसान नेताओं ने राजस्थान, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के किसानों से अपील की कि एमएसपी गारंटी कानून की लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है, इसलिए किसान परिवारों से 1-1 सदस्य इस आंदोलन में जरूर शामिल होकर मजबूत करें। किसान नेताओं ने टोकड़ा गांव में स्थित जाट समाज के बाईसी के खेड़े पर मत्था टेका एवं जलकु गांव में शहीदे आजम भगत सिंह के स्मारक पर माल्यार्पण किया।