Pal Pal India

महान हस्तियों के अनुभवों से विद्यार्थियों को मिलेगी समाजसेवा की प्रेरणा : कम्बोज

 
 महान हस्तियों के अनुभवों से विद्यार्थियों को मिलेगी समाजसेवा की प्रेरणा : कम्बोज
हिसार, 02 फरवरी  हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के 55वें स्थापना दिवस पर शुक्रवार को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित विशेष कार्यक्रम में पद्मश्री एवं विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त करने वाली महान हस्तियों को सम्मानित किया गया।
प्रथम चरण में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने फ्लैचर भवन के सामने स्व. चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया। इसके बाद उन्होंने फ्लैचर भवन, कैंपस स्कूल के सभागार व पुस्तकालय के नवीनीकरण परियोजनाओं और विश्वविद्यालय के मत्स्य महाविद्यालय में नई स्नातक प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। सम्मान समारोह में पद्मश्री एवं विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त करने वाली महान हस्तियों ने अपने अनुभव साझा किए।
प्रो. कम्बोज ने कहा कि वैज्ञानिकों व विद्यार्थियों को इन महान विभूतियों के जीवन संघर्ष, अनुभवों व लगन से प्रेरित होकर अपने जीवन को समाज के प्रति समर्पित करने व राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना योगदान देने के लिए अपने आप को तैयार करना चाहिए। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगातार किसानों की आर्थिक दशा को मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं। वैज्ञानिकों द्वारा इजाद की गई उन्नत किस्में देशभर में लोकप्रिय हो रही हैं। इसकी बदौलत विश्वविद्यालय लगातार राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बना रहा है।
विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर पद्मश्री व विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त विजेताओं के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इनमें मौलिक एवं मानविकी विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. आरसी सिहाग को विज्ञान-तकनीकी एवं कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर, विश्वविद्यालय के पूर्व कृषि विस्तार विशेषज्ञ डॉ. हरिओम को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर, प्रगतिशील किसान करनाल स्थित नीलोखेड़ी निवासी सुल्तान सिंह भुटाना को मछली पालन को बढ़ावा देने पर सम्मानित किया गया। विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर चार करोड़ की लागत से फ्लैचर भवन, 2.18 करोड़ की लागत से कैंपस स्कूल के सभागार के हुए नवीनीकरण परियोजनाओं और विश्वविद्यालय के मत्स्य महाविद्यालय में 53 लाख रुपये की लागत में बनी नई स्नात्तक प्रयोगशाला का उद्घाटन प्रो. कम्बोज ने किया।