कर्नाटक जीत का हरियाणा में दिखेगा असर

चंडीगढ़, 14 मई। कांग्रेस की कर्नाटक में जीत का असर हरियाणा कांग्रेस में भी दिखाई देने की पूरी संभावना है। इस जीत का सबसे ज्यादा असर अगर किसी पर पड़ा तो वह प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज चेहरों में शुमार सांसद रणदीप सुरजेवाला हैं। कर्नाटक में पार्टी प्रभारी होने के कारण दिल्ली में उनकी धमक बढ़ेगी। इससे हरियाणा कांग्रेस की संगठन सूची पर भी प्रभाव पड़ेगा।
सुरजेवाला का कद बढऩे से साफ है कि पार्टी में बने दूसरे गुटों पर भी असर दिखाई देगा। सबसे ज्यादा असर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट पर दिखेगा।
एक गुट दे रहा सुरजेवाला को क्रेडिट
कर्नाटक में जीत का श्रेय हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का एक गुट सुरजेवाला को दे रहा है। कैथल जिले में तो कार्यकर्ताओं ने मिठाई भी बांटी। इसकी खास वजह यह भी है कि यह रणदीप सुरजेवाला का गढ़ भी है। दबी जुबान में दूसरे गुटों के नेता भी कह रहे हैं कि इस जीत का श्रेय रणदीप सुरजेवाला को ही जाता है। हालांकि हुड्डा गुट इसके लिए केंद्र विरोधी लहर को बता रहा है।
हरियाणा कांग्रेस में क्या पड़ेगा असर
सुरजेवाला का दिल्ली में कद बढऩे से सबसे ज्यादा असर प्रदेश में पार्टी संगठन की लिस्ट में दिखाई देगा। केंद्रीय नेतृत्व को दी लिस्ट में अभी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का वर्चस्व बताया जा रहा है। यही कारण है कि केंद्रीय नेतृत्व ने अभी इस लिस्ट को जारी नहीं किया है। इसके अलावा अब 2024 में होने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व के फैसलों पर रणदीप का हस्तक्षेप भी बढ़ेगा।
विरासत में मिली राजनीति
रणदीप सुरजेवाला को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता स्व. चौधरी शमशेर सिंह सुरजेवाला कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे। कैथल विधानसभा से उनके पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला ने चुनाव लड़ा और जीता था। सन् 2010 व 2015 में रणदीप सुरजेवाला कैथल से विधायक बने और मंत्री भी बने। हालांकि 2018 में सुरजेवाला को जींद उप-चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
चौटाला को हरा चुके रणदीप
रणदीप सुरजेवाला नरवाना से दो बार विधायक रह चुके हैं। हालांकि वह तत्कालीन इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला से चुनाव हार भी चुके हैं। 2005 में रणदीप सुरजेवाला ने पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला को नरवाना विधानसभा से हराकर अपना बदला ले चुके हैं। इसके बाद कैथल में कांग्रेस कार्यकर्ता व सुरजेवाला समर्थकों को खुशी मनाने का अवसर ही नहीं मिल पाया। कर्नाटक में कांग्रेस के बहुमत की खबरें आने के बाद अब सुरजेवाला को संजीवनी मिली है।