बेटी चढ़ी घोड़ी, धूमधाम से निकाला गया बनवारा
Feb 4, 2024, 18:34 IST
फतेहाबाद, 4 फरवरी समाज में एक तरफ जहां कुछ बेटियों को बोझ मानते हैं, वहीं अब अधिकतर लोगों की सोच में बड़ा बदलाव आया है। आज वे बेटियों को भी केवल बेटों के बराबर मानने लगे हैं। फतेहाबाद शहर में शादी से एक दिन पहले लडक़ी के घरवालों ने बनवारा निकाला। लडक़ी को घोड़ी पर बिठाया। परिवार और रिश्तेदारों ने जमकर डांस किया। लडक़ी के पिता ने कहा कि उन्होंने समाज को संदेश देने की कोशिश की है कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं।
पुरानी तहसील चौक स्थित गढ़ी मोहल्ला निवासी संजीव शर्मा की बेटी स्नेहा की शादी सिरसा के उमेश शर्मा के साथ तय हुई है। उनकी रविवार को शादी तय की गई। शनिवार रात को स्नेहा के परिवार ने बनवारा निकाला। स्नेहा घोड़ी पर बैठी और परिवार वाले डीजे की धुन पर नाचते गाते चले। आमतौर पर शादी में लडक़ों का ही बनवारा निकला जाता है। लडक़ी का बनवारा निकलना लोगों के लिए अनोखी बात है।
स्नेहा के पिता संजीव शर्मा और मां रेणु बाला ने कहा कि इस तरह समाज की रूढिय़ों को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या जैसी सोच रखने वालों को समझाने के लिए ऐसा किया। आज के समय में बेटियां बेटों से कम नहीं हैं। कुछ लोग बेटियों को बोझ समझते हैं, लेकिन बेटियां बोझ नहीं, बल्कि भविष्य हैं। बेटियों के बिना कुछ नहीं है। घोड़ी पर बैठी स्नेहा ने कहा कि परिवार ने शुरू से ही मुझे लडक़ों की तरह पाला है। किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं रहा। मेरा परिवार सबसे अलग विचारधारा वाला है। स्नेहा की दादी कमलेश ने बताया कि वह बहुत खुश है, क्योंकि उनके बेटे की सोच बहुत बड़ी है। बेटे ने पहले ही कह दिया था कि वह अपनी बेटी का बनवारा निकालेगा और समाज में बेटियों के प्रति फैली बुराइयों को बदलाव का संदेश देगा।
पुरानी तहसील चौक स्थित गढ़ी मोहल्ला निवासी संजीव शर्मा की बेटी स्नेहा की शादी सिरसा के उमेश शर्मा के साथ तय हुई है। उनकी रविवार को शादी तय की गई। शनिवार रात को स्नेहा के परिवार ने बनवारा निकाला। स्नेहा घोड़ी पर बैठी और परिवार वाले डीजे की धुन पर नाचते गाते चले। आमतौर पर शादी में लडक़ों का ही बनवारा निकला जाता है। लडक़ी का बनवारा निकलना लोगों के लिए अनोखी बात है।
स्नेहा के पिता संजीव शर्मा और मां रेणु बाला ने कहा कि इस तरह समाज की रूढिय़ों को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या जैसी सोच रखने वालों को समझाने के लिए ऐसा किया। आज के समय में बेटियां बेटों से कम नहीं हैं। कुछ लोग बेटियों को बोझ समझते हैं, लेकिन बेटियां बोझ नहीं, बल्कि भविष्य हैं। बेटियों के बिना कुछ नहीं है। घोड़ी पर बैठी स्नेहा ने कहा कि परिवार ने शुरू से ही मुझे लडक़ों की तरह पाला है। किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं रहा। मेरा परिवार सबसे अलग विचारधारा वाला है। स्नेहा की दादी कमलेश ने बताया कि वह बहुत खुश है, क्योंकि उनके बेटे की सोच बहुत बड़ी है। बेटे ने पहले ही कह दिया था कि वह अपनी बेटी का बनवारा निकालेगा और समाज में बेटियों के प्रति फैली बुराइयों को बदलाव का संदेश देगा।