नई दिल्ली से पत्रकार ऊषा माहना की कलम से।

देश एक बार फिर आतंक की विभीषिका का गवाह बना है। हाल ही में देश के एक संवेदनशील क्षेत्र में हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल निर्दोष नागरिकों की जान ली, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है। इस अमानवीय कृत्य की खबर मिलते ही हर भारतीय के ह्रदय में गहरा आक्रोश और पीड़ा उत्पन्न हो गई।
ऑल इंडिया श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुल जैन ने इस जघन्य आतंकवादी हमले की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा, "आतंकवाद मानवता के मूल सिद्धांतों पर सीधा आघात है। यह कायरता का प्रतीक है, जो निर्दोषों का रक्त बहाकर अपने अस्तित्व को सिद्ध करना चाहता है। हम इस क्रूर हिंसा की तीव्र निंदा करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि आतंक के इन दुश्मनों को जल्द से जल्द कड़ा दंड मिले।"
जैन ने हमले में मारे गए नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने कहा, "यह समय संवेदनाओं में बहने का नहीं, बल्कि एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ संगठित होने का है। पीड़ित परिवारों के दुःख में हम सभी समान रूप से भागीदार हैं।"
उन्होंने जैन धर्म के मूल आदर्शों — अहिंसा, करुणा और सहिष्णुता — का उल्लेख करते हुए देशवासियों से संयम बनाए रखने और शांति व भाईचारे के मार्ग पर चलते रहने की अपील की। उन्होंने स्पष्ट किया, "भारत की आत्मा अहिंसा और सह-अस्तित्व में निहित है। आतंकवाद का लक्ष्य हमारे सामाजिक ताने-बाने को तोड़ना है, लेकिन हमारी एकता और संकल्प से वे अपने मंसूबों में कभी सफल नहीं हो सकते।"
अतुल जैन ने सरकार से आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक और कठोर कदम उठाने का आग्रह करते हुए कहा, "अब समय आ गया है कि आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्र एकजुट होकर निर्णायक संघर्ष करे। देशवासियों को भी सतर्क और जागरूक रहकर सुरक्षा बलों के प्रयासों में अपना सहयोग देना चाहिए।"
उन्होंने अंत में एक प्रेरणादायक संदेश दिया —
"एकजुट रहकर हम न केवल आतंकवाद को पराजित कर सकते हैं, बल्कि एक ऐसा भारत भी बना सकते हैं जो शांति, सहिष्णुता और करुणा का प्रतीक हो।"